बांग्लादेश के हालात बता रहे हैं- 'एक हैं तो सेफ हैं' सिर्फ चुनावी नारा नहीं बल्कि दीर्घायु रहने का मंत्र है

Muhammad Yunus
ANI

देखा जाये तो बांग्लादेश में शेख हसीना को पद से हटाने के बाद कट्टरपंथियों ने शासन करने के लिए जिन मोहम्मद यूनुस को चुना वह तो सबसे बड़े कट्टरपंथी निकले। मोहम्मद यूनुस की आंखों के सामने हिंदुओं का खून बह रहा है और वह कह रहे हैं कि यह हमारा आंतरिक मामला है।

बांग्लादेश में हिंदुओं के नरसंहार का राउंड टू चल रहा है जिसे दुनिया के बड़े-बड़े देश बड़े चाव से देख रहे हैं। हिंदुओं को जिस तरह मारा काटा जा रहा है उस पर संयुक्त राष्ट्र भी चुप है, संयुक्त राष्ट्र का मानवाधिकार आयोग और दुनिया भर में काम करने वाले तमाम मानवाधिकार संगठन चुप हैं क्योंकि जिनको मारा जा रहा है, जिनको काटा जा रहा है, जिनके घर जलाये जा रहे हैं, जिनके यहां लूट की जा रही है, जिनकी बेटियों के साथ अत्याचार किये जा रहे हैं, वह सब हिंदू हैं। गाजा में एक भी मस्जिद पर हमला होता है तो पूरी दुनिया में मीडिया से लेकर सोशल मीडिया तक बड़ा बवाल खड़ा कर देने वाले बांग्लादेश में मंदिरों को आग के हवाले होते देख कर, देवी-देवताओं की मूर्तियों को खंडित होता देख कर बड़े खुश हो रहे हैं और किसी की जुबान से उफ तक नहीं निकल रही।

देखा जाये तो बांग्लादेश में शेख हसीना को पद से हटाने के बाद कट्टरपंथियों ने शासन करने के लिए जिन मोहम्मद यूनुस को चुना वह तो सबसे बड़े कट्टरपंथी निकले। मोहम्मद यूनुस की आंखों के सामने हिंदुओं का खून बह रहा है और वह कह रहे हैं कि यह हमारा आंतरिक मामला है। दुनिया के किसी भी हिस्से में जब किसी हमले में मुस्लिमों की मौत होती है तो पूरी दुनिया में विरोध प्रदर्शन होते हैं और संयुक्त राष्ट्र भी आपात बैठकें बुला कर निंदा प्रस्ताव पास करने लगता है और शांति की अपील करने लगता है लेकिन ढाका और बांग्लादेश के अन्य इलाकों में हिंदुओं का खून बह रहा है तो इसे एक देश का आंतरिक मामला बताया जा रहा है। मोहम्मद यूनुस जिस तरह इतने खूनखराबे पर भी खामोश हैं और मुस्कुरा के सब कुछ देख रहे हैं उसके चलते उनका नोबेल शांति पुरस्कार छीना जाना चाहिए। शांति का नोबेल पुरस्कार किसी ऐसे व्यक्ति के पास हर्गिज नहीं रहना चाहिए जो नरसंहार को बढ़ावा दे रहा हो या उसे रोक पाने के लिए कोई कदम नहीं उठा रहा हो। बांग्लादेश के हालात को देखते हुए तो ऐसा लगता है कि मोहम्मद यूनुस को लाया ही इसलिए गया था ताकि वह कट्टरपंथियों को मनमानी करने की आजादी दे सकें और इस्लामिक देश से उसी तरह हिंदुओं का सफाया किया जा सके जिस तरह पाकिस्तान और अफगानिस्तान ने अपने यहां से कर दिया। इसमें कोई दो राय नहीं कि आरक्षण के नाम पर बांग्लादेश में शुरू हुआ आंदोलन अब हिंदू विरोधी आंदोलन का रूप ले चुका है।

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बहरहाल, बांग्लादेश से जो तस्वीरें और वीडियो सामने आ रहे हैं उससे भारत के हिंदुओं को भी बटेंगे तो कटेंगे और एक हैं तो सेफ हैं का अर्थ समझ आ जाना चाहिए। बांग्लादेश की स्थिति बता रही है कि अगर हिंदू कटेंगे तो दुनिया में कहीं कोई आवाज नहीं उठेगी और कोई बचाने नहीं आयेगा इसलिए एक हैं तो सेफ हैं यह कोई चुनावी नारा नहीं बल्कि दीर्घायु रहने का मंत्र है।

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