सिद्धू-कैप्टन के करियर पर मंडरा रहे संकट के बादल, सोनू सूद की सियासी पारी पर लग सकता है पूर्ण विराम
कांग्रेस आलाकमान ने सिद्धू पर भरोसा जताते हुए उनके मन मुताबिक टिकट बांटे थे। फिर भी पार्टी को नुकसान उठाना पड़ रहा है। खुद सिद्धू अपनी सीट अमृतसर पूर्व से पिछड़ते हुए दिखाई दे रहे हैं। ऐसे में सिद्धू को हार की जिम्मेदारी लेने के लिए तैयार रहना चाहिए।
चंडीगढ़। पंजाब में हुए विधानसभा चुनाव के शुरुआती नतीजे आना शुरू हो चुके हैं। इन नतीजों में कांग्रेस की फजीहत होती हुई दिखाई दे रही है। जबकि आम आदमी पार्टी की बल्ले-बल्ले है। पिछले विधानसभा चुनाव में महज 20 सीटें जीतने वाली आम आदमी पार्टी ने एकतरफा बढ़त बना ली है। इसके अतिरिक्त सभी दिग्गज नेता अपनी-अपनी सीटों पर पीछे चल रहे हैं। ऐसे में सबसे ज्यादा चर्चा पंजाब कांग्रेस प्रमुख नवजोत सिंह सिद्धू और पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह की हो रही है।
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कैप्टन ने कांग्रेस को कहा था अलविदा
पंजाब कांग्रेस में अंतर्कलह के चलते अपमानित होकर कैप्टन अमरिंदर सिंह ने पार्टी को अलविदा कहते हुए अपनी अलग पार्टी का गठन किया था। दरअसल, नवजोत सिंह सिद्धू और कैप्टन अमरिंदर सिंह कई मौकों पर आमने-सामने दिखाई दिए थे। जिसके वजह से पार्टी की छवि पर असर पड़ रहा था। ऐसे में कांग्रेस आलाकमान ने वहां पर दलित कार्ड खेलते हुए चरणजीत सिंह चन्नी को मुख्यमंत्री बनाया था। इसके बावजूद नवजोत सिंह सिद्धू अपनी हरकतों से बाज नहीं आए।
नवजोत सिंह सिद्धू के साथ जारी मतभेदों के चलते ही कैप्टन अमरिंदर सिंह को इस्तीफा देना पड़ा और फिर सिद्धू और चन्नी के बीच के मतभेद भी उजागर हुए। ऐसे में सबसे ज्यादा किसी पार्टी को फायदा हुआ है तो वह है आम आदमी पार्टी। जिसने शुरुआती रूझानों में बहुमत का आंकड़ा पार कर लिया है।
कांग्रेस ने सिद्धू पर जताया था भरोसा
कांग्रेस आलाकमान ने सिद्धू पर भरोसा जताते हुए उनके मन मुताबिक टिकट बांटे थे। फिर भी पार्टी को नुकसान उठाना पड़ रहा है। खुद सिद्धू अपनी सीट अमृतसर पूर्व से पिछड़ते हुए दिखाई दे रहे हैं। ऐसे में सिद्धू को हार की जिम्मेदारी लेने के लिए तैयार रहना चाहिए। हालांकि खबर है कि मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी अपना इस्तीफा सौंप सकते हैं।
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वहीं कैप्टन अमरिंदर सिंह के राजनीतिक कॅरियर पर भी संकट का बादल मंडरा रहे हैं क्योंकि उन्होंने कांग्रेस से इस्तीफा देकर पंजाब लोक कांग्रेस का गठन किया और फिर भाजपा के साथ मिलकर चुनाव लड़ा। लेकिन वो खुद पटियाला सीट से पिछड़ रहे हैं।
इसके अलावा मोगा उम्मीदवार मालविका सूद का भी काफी चर्चा हो रही है। वो अभिनेता सोनू सूद की बहन है और वो अपनी बहन के माध्यम से राजनीति में एंट्री करने वाले थे लेकिन उनकी बहन मोगा से बुरी तरह पिछड़ रही है। ऐसे में माना जा रहा है कि सोनू सूद की राजनीतिक एंट्री से पहले ही एग्जिट का रास्ता तैयार हो चुका है।
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