नई लकीर खींचने की कोशिश में जुटे मोहन यादव
मोहन यादव महाकाल की नगरी उज्जैन के निवासी है। उज्जैन में ही भगवान कृष्ण ने संदीपनी ऋषि के आश्रम में शिक्षा ली थी। मोहन यादव कहते हैं कि कंस-वध के बाद कान्हा जी चाहते तो खुद सिंहासन पर बैठ सकते थे।
विधानसभा चुनाव में अभूतपूर्व जीत के बाद मध्य प्रदेश में बीजेपी ने तकरीबन अपरिचित चेहरे को राज्य की कमान सौंपने का फैसला लिया, तो राजनीतिक हलकों में हैरत जताई गई थी। उन्हीं मोहन यादव ने बतौर मुख्यमंत्री सालभर की यात्रा पूरी कर ली है। मंत्री के तौर पर मोहन यादव मध्य प्रदेश शासन का हिस्से रहे, लेकिन मुख्यमंत्री बनने के बाद उन्हें समझ आया कि एक या दो विभाग संभालना अलग बात है और पूरे राज्य की कमान के साथ राजनीतिक संतुलन बनाए रखना कठिन चुनौती है। लेकिन मोहन यादव ने इस चुनौती को ना सिर्फ संभाल लिया है, बल्कि नवाचार के साथ शासन और प्रशासन को बखूबी संभाल रहे हैं। शासन की पहली वर्षगांठ के अवसर पर विशेष भेंट में मोहन यादव ने अपनी चुनौतियों के साथ ही अपने सपनों को जिस सहज अंदाज में साझा किया, वह उनकी राजनीति और चरित्र को समझने का सूत्र है।
बड़ा राजनीतिक दल हो या संभ्रांत परिवार, हर नए नेतृत्व के सामने अक्सर अतीत और पूर्वज से तुलना का सवाल उठ खड़ा होता है। अगर अतीत का नेतृत्व विराट रहा हो तो नए नेतृत्व के हर कदम को पुराने की कसौटी पर कसा जाना स्वाभाविक है। मोहन यादव को बखूबी पता है। वे खुद भी स्वीकार करते हैं कि उनके मुख्यमंत्री बनने से पहले करीब साढ़े अठारह साल तक राज्य में बीजेपी की सत्ता रही। उसकी कमान जिन हाथों में रही, वे प्रभावशाली रहे। मोहन यादव स्वीकार करते हैं कि उनके नेताओं ने जो वायदे किए, जिस जैसा शासन चलाया, उन्हें पूरा करना और उस परिपाटी को बरकरार रखना उनका पाथेय है। मोहन यादव को पता है कि उन्हें अपनी भी एक नई लकीर खींचनी होगी। वे खुलकर इसे स्वीकार नहीं करते, बल्कि खुद को विनम्र कार्यकर्ता बताते हैं। मध्य प्रदेश को लेकर उनके भी अपने कुछ सपने हैं। सपना यह कि समृद्ध और वैविध्यपूर्ण प्राकृतिक संपदा वाला उनका राज्य समृद्ध बने, आर्थिक रूप से समृद्ध हो, कृषि विकास की मौजूदा दर बनी रहे और किसान लगातार समृद्ध होते रहें। सांस्कृतिक रूप से संपन्न राज्य की भारत ही नहीं, वैश्विक मानचित्र पर गहन पहचान भी बने। इन सपनों को हकीकत बनाने के लिए वे अहर्निश जुटे हैं। उनका कहना है कि सोते-जागते हर वक्त उन्हें एक ही चिंता रहती है, यह कि मध्य प्रदेश समृद्ध हो, संपन्न हो और अपनी सांस्कृतिक धरोहरों के साथ आगे बढ़ता रहे।
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मोहन यादव महाकाल की नगरी उज्जैन के निवासी है। उज्जैन में ही भगवान कृष्ण ने संदीपनी ऋषि के आश्रम में शिक्षा ली थी। मोहन यादव कहते हैं कि कंस-वध के बाद कान्हा जी चाहते तो खुद सिंहासन पर बैठ सकते थे। लेकिन उन्होंने कुर्सी की बजाय शिक्षा को चुना और उज्जैन चले आए। जहां सुदामा से उनकी ऐसी मित्रता हुई, जिससे दुनिया आज भी सीख लेती है। मोहन यादव ने कान्हा की याद में ‘श्रीकृष्ण पाथेय’ परियोजना की कल्पना की है। मोहन यादव कहते हैं कि कंस वध के बाद मथुरा से चलकर कृष्ण उज्जैन आए। यहां उन्होंने शिक्षा ली। ‘श्रीकृष्ण पाथेय’ के तहत उज्जैन को मथुरा से जोड़ने की योजना है। इस पथ पर तीन राज्य हैं। कृष्ण उत्तर प्रदेश के मथुरा से राजस्थान होते हुए मध्य प्रदेश के उज्जैन पहुंचे थे। श्रीकृष्ण पाथेय करीब साढ़े छह सौ किलोमीटर का होगा। इस पाथेय के लिए राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल से मोहन यादव की बात हो चुकी है। यह संयोग ही है कि भजनलाल और मोहन यादव ने तकरीबन साथ-साथ अपने-अपने राज्यों में कमान संभाली थी। मोहन यादव की योजना है कि इस पाथेय को गुजरात के द्वारका तक बढ़ाया जाए। इस सिलसिले में गुजरात सरकार से भी मध्य प्रदेश की बातचीत चल रही है। श्रीकृष्ण पाथेय सही मायने में सांस्कृतिक पथ होगा। मोहन यादव कहते हैं कि लोकजागरण भी उनकी जिम्मेदारी है। इस पाथेय के जरिए दुनिया को दो संदेश देने की कोशिश होगी, पहला शिक्षा का संदेश और दूसरा अमीर-गरीब की मित्रता का संदेश। समाज को जोड़ने में शिक्षा और मित्रता का योगदान अनमोल है। इस पाथेय पर श्रीकृष्ण जहां-जहां रूके, उन-उन जगहों, तीर्थों को विकसित करने और पाथेय पर हस्तशिल्प कलस्टर को बनाने की तैयारी है। इससे जहां पर्यटन बढ़ेगा, बल्कि लोगों को रोजगार भी मिलेगा।
मध्य प्रदेश सरकार साल 2024 में लाड़ली बहना योजना पर 9 हजार 455 करोड़ रूपये से अधिक की राशि खर्च की है। जिसका फायदा राज्य की एक करोड़ 29 लाख महिलाओं को मिला है। बेशक ऐसी योजनाएं सरकारों के लिए फायदेमंद साबित हुई हैं, लेकिन एक वर्ग के निशाने पर भी ये योजनाएं हैं। मोहन यादव को भी पता है कि ऐसी कल्याणकारी योजनाओं को लंबे समय तक चलाना तभी संभव होगा, जब राज्य की आर्थिक सेहत अच्छी हो। इसलिए राज्य में इन्वेस्टर समिट किए जा गए। राज्य स्तर पर सातवां निवेशक सम्मेलन फरवरी 2025 में होना है। ये सम्मेलन संभागीय स्तर पर भी आयोजित किए जाते रहे। इन सम्मेलनों से अब तक राज्य को चार लाख करोड़ का निवेश प्रस्ताव मिल चुका है। जिसे और बढ़ाने की तैयारी है।
पर्यावरण संकट झेल रही दुनिया में भारत के कई राज्यों पर कार्बन रेटिंग ठीक करने का दबाव है। लेकिन उनके पास जंगल लायक जमीन नहीं है। मोहन यादव उन राज्यों के लिए कैप्टिव योजना लाने जा रहे हैं। जिसे कान्हा वन, वृंदावन योजना नाम दिया गया है। इसके तहत कार्बन रेटिंग ठीक करने की चाहत रखने वाला राज्य मध्य प्रदेश में लीज पर जमीन ले सकता है और यहां जंगल लगा सकता है। मुख्यमंत्री का कहना है कि इससे जहां दूसरे राज्यों की कार्बन रेटिंग सुधरेगी, वहीं मध्य प्रदेश का वन क्षेत्र बढ़ेगा। जिससे मध्य प्रदेश का पर्यावरण भी बेहतर होगा।
कृषि विकास दर के लिहाज से मध्य प्रदेश देश में पहले स्थान पर है। मोहन यादव ऐसी योजनाएं ला रहे हैं, जिससे किसानों की आय और बढ़े और राज्य की आर्थिक सेहत भी दुरूस्त हो। इस लिहाज से दुग्ध उत्पादन और बागवानी पर जोर दिया जा रहा है। देश के दुग्ध उत्पादन में मध्य प्रदेश की हिस्सेदारी नौ प्रतिशत है, योजना है कि इसे बढ़ाकर बीस प्रतिशत किया जाए। किसी भी राज्य के कृषि विकास में उस राज्य के कृषि विश्वविद्यालयों में हो रही पढ़ाई और शोध का बहुत योगदान होता है। मोहन यादव इसे समझते हैं, इसीलिए राज्य के सभी 16 विश्वविद्यालयों में कृषि विभाग शुरू किए गए हैं। राज्य में कपास का उत्पादन भी खूब होता है। मोहन यादव सरकार चाहती है कि मध्य प्रदेश की कपास से राज्य में ही कपड़े का उत्पादन हो, इसके लिए योजना लाई गई है। मध्य प्रदेश की कपड़ा मिलों में महिलाओं को नौकरी मिले, इसके लिए प्रति महिला पांच हजार रूपए महीने उत्पादक को सब्सिडी देने की तैयारी है। इसी तरह राज्य के प्रमुख शहरों, भोपाल, ग्वालियर, जबलपुर और रीवां समेत सात जगहों पर आईटी पार्क स्थापित करने की तैयारी है। युवाओं को रोजगार योग्य बनाने के लिए राज्य में 55 पीएम एक्सीलेंस कॉलेज खोले जा रहे हैं।
शासन में फिजूलखर्ची रोकने की योजना भी बनाई गई है। इसके तहत स्वास्थ्य और चिकित्सा शिक्षा जैसे अलग विभागों को एकीकृत कर दिया गया है। राज्य के प्रशासन में जहां भी जरूरी होगा, उन्हें संतुलित करने, विभागों को एक साथ लाने की योजना पर काम चल रहा है। राज्य सरकार थानों का परिसीमन सफलतापूर्वक कर चुकी है, इसी तर्ज पर प्रशासनिक परिसीमन की भी तैयारी है। इसी तरह अफसर-कर्मचारी अनुपात को भी तर्कसंगत करने की तैयारी है। मोहन यादव कहते हैं कि सरकारी तंत्र पर खर्च होने वाला हर पैसा नागरिक का होता है और उसका दुरूपयोग नहीं होने दिया जाएगा। मोहन यादव सरकार एक और अनूठी योजना लेकर आई है। मध्य प्रदेश पहला राज्य बन गया है, जहां सरकारी स्तर पर एयर एंबुलेंस सेवा शुरू की गई है। आयुष्मान योजना के तहत आने वाले रोगियों को यह सुविधा जहां मुफ्त मिलेगी, वहीं सक्षम लोगों से इसके लिए फीस ली जाएगी। निजी और सरकारी सहयोग के आधार पर अस्पताल शुरू किए जा रहे हैं। बड़ी-बड़ी गोशालाएं बनाई जा रही हैं, जिन्हें नगर महापालिकाओं और नगर निगमों को दी गई है। केन – बेतवा नदी जोड़ परियोजना की शुरूआत प्रधानमंत्री मोदी के हाथों हो चुकी है।
मोहन यादव आज बीजेपी के नए नेतृत्व का चेहरा हैं। हालांकि खुद को वे पार्टी का विनम्र कार्यकर्ता ही बता रहे हैं। पार्टी का यह विनम्र कार्यकर्ता अपने ढंग से अपनी नई लकीर खींचने की कोशिश में जुट रहा है। लेकिन यह कोशिश तभी कामयाब मानी जाएगी, जब देश-दुनिया के नक्शे पर मध्य प्रदेश नई पहचान के साथ उभर पाएगा।
-उमेश चतुर्वेदी
लेखक वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तम्भकार हैं
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