'दल'जीत से 'दिल'जीत तक, ये मुलाकात बताती है कि हर बड़ा पेड़ फल लगने के बाद झुकने लगता है

Modi
ANI
अभिनय आकाश । Jan 3 2025 2:33PM

अंग्रेजी में एक कहावत होती है ब्रेक द इंटरनेट यानी की एक ऐसी तस्वीर जिसने सबको चौंका दिया जब वो सोशल मीडिया इंटरनेट पर आई। किसी को भरोसा भी नहीं था कि ऐसा कुछ होगा। दरअसल, 1 जनवरी को 7 लोककल्याण मार्ग यानी प्रधानमंत्री के घर पर मशहूर पंजाबी सिंगर दिलजीत दोसांझ ने पीएम से मुलाकात की। इस दौरान दोनों के बीच काफी हंसी ठिठोली हुई, बातें हुई।

2016 का साल पंजाब के एक साधारण सिंगर के घर के सामने एक भीड़ खड़ी थी। भीड़ के हाथों में तख्तियां, जुबान पर नारे और आंखों में बेहद गुस्सा नजर आ रहा था। वो साधारण सा सिंगर उस वक्त अपनी मां से जिद कर रहा था कि आप कुछ दिनों के लिए मामा के घर चली जाओ। उसे डर था कि उसकी गलती पर नाराज भीड़ कहीं उसके परिवार को नुकसान न पहुंचा दे। उसके मन में था कि आज मेरी वजह से मेरी मां, मेरे परिवार को जितनी तकलीफ, जितनी जिल्लत मिल रही है। एक दिन मैं इससे भी ज्यादा इज्जत और खुशी उन्हें कमाकर दूंगा। उस रात के ठीक आठ साल के बाद वो लड़का मैंचेस्टर के अपने कॉन्सर्ट में अपनी मां का हाथ थामे हजारों की भीड़ के बीचों बीच खड़ा था। आज भी भीड़ के हाथों में प्लेकार्ड थे, जुबान पर नारे थे और आंखों में उस सिंगर के लिए बेपनाह मोहब्बत थी। इस भीड़ के हर कोने से एक आवाज आ रही थी- दिलजीत, दिलजीत, दिलजीत...कहा जाता है कि म्यूजिक प्रोड्यूसर राजेंद्र सिंह ने दलजीत को उनका पहला एलबम दिया और उन्हीं के कहने पर दलजीत ने अपना नाम बदलकर दिलजीत कर लिया। नए साल का आगाज हो चुका है। लेकिन नए साल की शुरुआत भी काफी धमाकेदार ढंग से हुई।

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अंग्रेजी में एक कहावत होती है ब्रेक द इंटरनेट यानी की एक ऐसी तस्वीर जिसने सबको चौंका दिया जब वो सोशल मीडिया इंटरनेट पर आई। किसी को भरोसा भी नहीं था कि ऐसा कुछ होगा। दरअसल, 1 जनवरी को 7 लोककल्याण मार्ग यानी प्रधानमंत्री के घर पर मशहूर पंजाबी सिंगर दिलजीत दोसांझ ने पीएम से मुलाकात की। इस दौरान दोनों के बीच काफी हंसी ठिठोली हुई, बातें हुई। दिलजीत ने पीएम मोदी को एक गाना गाकर भी सुनाया तो प्रधानमंत्री टेबल पर तबले की थाम देते दिखे। इस दौरान दिलजीत ने कहा कि मैंने हाल ही में आपका एक इंटरव्यू देखा था। आपका जो पद है उसके पीछे कई बार हम एक बेटा और तमाम ऐसे पहलू हैं प्रधानमंत्री के वो भूल जाते हैं। लेकिन आप जब अफनी मां या गंगा मां को लेकर भावुक होते हैं तो वो दिल को छू जाता है। लेकिन दिलजीत दोसांझ और पीएम मोदी की मुलाकात के कई सवाल उपजे हैं  क्या दिलजीत दोसांझ और पीएम मोदी की मुलाकात एक मुलाकात भर थी या फिर इसके गहरे निहतार्थ हैं? क्या दिलजीत ने मोदी का मन जीतते हुए नए सियासी सफर के संकेत दे दिए हैं। या नरेंद्र मोदी ने दिलजीत से  बात मुलाकात के बहाने अपनी लोकप्रियता को और विस्तार दे दिया है। क्या दिलजीत और पीएम मोदी की मुलाकात ने पंजाब और किसानों को एक मैसेज दिया है। सिखों के नए युवा नायक दिलजीत दोसांझ अरसे बाद उस कद को हासिल करते दिख रहे हैं जो हाल फिलहाल में किसी संगीत सितारे ने हासिल नहीं किया है। इन सवालों के बीच ये भी लगता है कि ये सवाल बेमानी हैं। क्योंकि एक म्यूजिक स्टार अपने देश के पीएम से मिला तो इसमें इतने किंतु परंतु क्यों उठने लगे? लेकिन इसमें सवाल इसलिए भी हैं क्योंकि दिलजीत जिस तरह से किसान आंदोलन के दौरान किसनों के पक्ष में खड़े होकर अपनी बात की थी। उसके बाद मोदी समर्थक उन्हें खालिस्तानी कहने तक से नहीं हिचके थे। 

कंगना और दिलजीत का ट्विटर वॉर

दिलजीत की उस वक्त कंगान से जबरदस्ती ट्विट वॉर हुई थी। कंगान ने उस वक्त कहा था कि कई ऐसी महिलाएं 100 रुपए हर दिन का लेकर आंदोलनकारी बन जाते हैं। दिलजीत ने ट्वीट कर कहा था कि एक महिला होकर आप किसी और महिला को ऐसे कैसे कह सकती हैं। इसके बाद दोनों के बीच ट्विटर पर जबरदस्त जंग छिड़ी थी। फिर कंगना बीजेपी के टिकट पर लोकसभा पहुंची। वहीं दिलजीत को जब तेलंगाना सरकार ने दिलजीत दोसांझ को नोटिस जारी किया और हिदायत दी कि वो अपने कॉन्सर्ट में शराब, हिंसा और ड्रग्स वाले गाने न गाने जैसी नसीहत दी थी। तब कई कथाकथित गोदी मीडिया के पत्रकारों के निशाने पर भी दिलजीत रहे थे। वहीं कई बीजेपी समर्थक दिलजीत के विरोध में दिखे थे। तब दिलजीत ने खुद ही खुल कर कहा था कि अगर सारे राज्य ड्राई स्टेट बन जाए तो मैं कभी ऐसे विषय पर न गाने गाऊंगा और न लिखूंगा क्योंकि मैं खुद तो इसका सेवन नहीं करता हूं। कई ऐसे मुद्दे रहे हैं जिसको लेकर दिलजीत काफी मुखर रहे हैं। 

मनमोहन सिंह की खामोशी को खास  बताया, कंसर्ट में उनका शेर भी सुनाया

अभी कुछ दिनों पहले गुवाहाटी के एक शो में पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह को श्रद्धांजलि देते हुए पूरा कॉन्सर्ट मनमोहन सिंह को डेडिकेट भी किया था। उनके चुप रहने के गुण को खास बताया औऱ उनका कहा शेर भी दोहराया। जिसके बाद कई लोग ये कहने से भी नहीं हिचके की दिलजीत कांग्रेस समर्थक हैं। इसके अलावा इंदौर में आयोजित कॉन्‍सर्ट में दिलजीत ने मरहूम शायर राहत इंदौरी के कुछ शेर पढ़े थे। माना गया कि दिलजीत ने बिना नाम लिए अपने विरोधियों को जवाब दिया। बजरंग दल ने कॉन्‍सर्ट में मांस और शराब परोसे जाने को लेकर विरोध प्रदर्शन किया था। दिलजीत ने राहत इंदौरी का शेर अगर खिलाफ है तो होने दो, जान थोड़ी है, यह सब धुंआ है कोई आसमां थोड़ी है. सब का खून है शामिल यहां की मिट्टी में, किसी के बाप का हिंदुस्‍तान थोड़ी है। बेंगलुर में दीपिका पादुकोण उनके कंसर्ट में अचानक पहुंचती हैं, जिन्हें एंटी बीजेपी कहा जाता है। आपको याद होगा दीपीका जेएनयू कैंपस में जाकर छात्रों के प्रोटेस्ट में खड़ी नजर आईं थीं। तब कई बीजेपी समर्थकों ने उन्हें टुकड़े टुकड़े गैंग का मेंबर बता दिया था। कुल मिलाकर दिलजीत की छवि जो भी रही हो लेकिन अभी तक वो बीजेपी सपोर्टर आर्टिस्ट तो बिल्कुल भी नहीं रहे हैं।  

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विशालकाय पेड़ में झुकाव लाजिमी है

पुरानी कहावत है झुकता वही है जिसमें जान होती है और अकड़ तो मुर्दे की पहचान होती है। अमूमन कहा भी जाता है जैसे जैसे पेड़ बड़ा होता है वो झुकने लगता है। यही फॉर्मूला इंसानों पर भी लागू होता है। आम तौर पर कोई कलाकार जब ज्यादा मॉस फॉलोइंग वाला नहीं होता है तो उसके जो मन में आता है वो बोलने के लिए स्वतंत्र होता है। लेकिन बड़ा कलाकार बनते ही उसके हित भी बड़े हो जाते हैं। यही वजह है कि शाहरुख खान और करण जौहर जैसे लोग पीएम मोदी की तारीफ करने से बाज महीं आते। उनके कार्यक्रमों में शिरकत करते हैं। कई सारे ट्विट भी आपको समर्थन में दिख जाएंगे। दिलजीत किसान आंदोलन से भी बहुत गहराई से जुड़े रहे हैं। लेकिन अब लगता है कि दिलजीत को भी समझ में आ गया है कि विरोध करने वाले खुद दिशाहीन हैं। 

समर्थन थोड़ा बढ़ भी जाए तो बुराई क्या है?

पीएम मोदी संग दिलजीत की मुलाात से उन्हें फायदे ही फायदे हैं। अभी तक उनके विरोध में ट्विट करते वाले भी कथाकथित राष्ट्रभक्त मोदी से मुलाकात वाली तस्वीर अपने अकाउंट से साझा करने में लगे हैं। दिलजीत का शो तमाम विरोधों के बावजूद पूरे देश में हिट रहा है। अगर थोड़ा और समर्थन बढ़ जाता है तो इसमें बुराई क्या है? वहीं तेलंगाना में कांग्रेस की सरकार है और पंजाब में आम आदमी पार्टी का शासन है। दोनों ही राज्यों में दिलजीत दोसांझ के कॉन्सर्ट हुए हैं। लेकिन स्थानीय सरकारों ने न तो शो में सहयोग दिया बल्कि कई सारे विवाद भी देखने को मिले। ऐसे में दिलजीत भी समझ गए हैं कि फिर तो बीजेपी ही भला तो क्यों न अब खुलकर खेंले। 

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