विधानसभा में सर्वसम्मति से पास हुआ देश में जाति जनगणना कराने का प्रस्ताव, BJP ने भी दिया साथ
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भाजपा सहित विभिन्न राजनीतिक दलों के विधायकों ने प्रस्ताव का समर्थन किया, जिसे सदन ने स्वीकार कर लिया। यह प्रमुख विपक्षी अन्नाद्रमुक सदस्यों की अनुपस्थिति में हुआ, जिन्हें कार्यवाही में बाधा डालने के लिए विधानसभा से निलंबित कर दिया गया था। अध्यक्ष एम अप्पावु ने कहा कि प्रस्ताव सर्वसम्मति से अपनाया गया।
तमिलनाडु विधानसभा ने बुधवार को सर्वसम्मति से एक प्रस्ताव पारित कर केंद्र सरकार से जल्द ही जाति आधारित जनगणना कराने का आग्रह किया। मुख्यमंत्री एमके स्टालिन द्वारा पेश किए गए प्रस्ताव में इस बात पर जोर दिया गया कि केंद्र सरकार को इस बार जाति आधारित जनसंख्या जनगणना को शामिल करते हुए 2021 से अतिदेय जनगणना कार्य तुरंत शुरू करना चाहिए। प्रस्ताव में कहा गया है कि यह सदन मानता है कि भारत के प्रत्येक नागरिक के लिए शिक्षा, अर्थव्यवस्था और रोजगार में समान अधिकार और समान अवसर सुनिश्चित करने के लिए नीतियां बनाने के लिए जाति आधारित जनसंख्या जनगणना आवश्यक है।
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भाजपा सहित विभिन्न राजनीतिक दलों के विधायकों ने प्रस्ताव का समर्थन किया, जिसे सदन ने स्वीकार कर लिया। यह प्रमुख विपक्षी अन्नाद्रमुक सदस्यों की अनुपस्थिति में हुआ, जिन्हें कार्यवाही में बाधा डालने के लिए विधानसभा से निलंबित कर दिया गया था। अध्यक्ष एम अप्पावु ने कहा कि प्रस्ताव सर्वसम्मति से अपनाया गया।
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प्रस्ताव पेश करते हुए स्टालिन ने कहा कि जनगणना अधिनियम, 1948 की धारा 3 के अनुसार, जनसंख्या जनगणना करने का अधिकार केवल केंद्र सरकार के पास है। मुख्यमंत्री ने कहा कि यद्यपि सांख्यिकी संग्रह अधिनियम, 2008, राज्य सरकारों को जनसंख्या की सामाजिक-आर्थिक स्थिति पर डेटा इकट्ठा करने की अनुमति देता है, अधिनियम की धारा 3, भाग ए राज्य सरकारों को सातवें के तहत सूचीबद्ध समुदायों पर डेटा एकत्र करने से प्रतिबंधित करता है। सांख्यिकी संग्रह अधिनियम के तहत जनगणना डेटा एकत्र करना संभव नहीं है। केंद्र सरकार द्वारा जनसंख्या जनगणना कराना ही एकमात्र विकल्प है। इसलिए हम इस बात पर जोर देते हैं कि जाति जनगणना केंद्र द्वारा कराई जानी चाहिए।
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