Iran President Election: कौन होगा ईरान का अगला राष्ट्रपति? रेस में 4 उम्मीदवार, नतीजें इस्लामिक रिपब्लिक की नीतियों में ला सकते बड़ा बदलाव?

Iran President Election
Prabhasakshi
अभिनय आकाश । Jun 28 2024 2:08PM

तदाताओं को दो कट्टरपंथी उम्मीदवार पूर्व परमाणु वार्ताकार सईद जलीली और संसद के अध्यक्ष मोहम्मद बाघेर कलीबाफ और सुधारवादी के तौर पर पहचाने जाने वाले उम्मीदवार मसूद पेजेशकियन के बीच चयन करना है।

ईरान में शुक्रवार को राष्ट्रपति पद के चुनाव के लिए मतदान शुरू हो गया। पिछले महीने राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी की एक विमान दुर्घटना में मौत के बाद यह चुनाव हो रहे हैं। मतदाताओं को कट्टरपंथी उम्मीदवारों और एक कम चर्चित राजनेता के बीच चुनाव करना होगा, जो ईरान के सुधारवादी आंदोलन से जुड़े रहे हैं। चुनाव प्रक्रिया की निगरानी करने वाले गृह मंत्री अहमद वहीदी ने बताया कि सुबह (स्थानीय समयानुसार) आठ बजे मतदान शुरू हुआ। ईरान के 85 वर्षीय सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामनेई ने चुनाव में पहला वोट डाला और जनता से मतदान करने का आग्रह किया। विश्लेषक राष्ट्रपति चुनाव में त्रिकोणीय मुकाबला मान रहे हैं। मतदाताओं को दो कट्टरपंथी उम्मीदवार पूर्व परमाणु वार्ताकार सईद जलीली और संसद के अध्यक्ष मोहम्मद बाघेर कलीबाफ और सुधारवादी के तौर पर पहचाने जाने वाले उम्मीदवार मसूद पेजेशकियन के बीच चयन करना है। मसूद का झुकाव पूर्व राष्ट्रपति हसन रूहानी की तरफ है, जिनके शासन के तहत तेहरान ने विश्व शक्तियों के साथ 2015 का ऐतिहासिक परमाणु समझौता किया था।

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फारस का पुराना इतिहास

ईरान का पुराना नाम फ़ारस है और इसका इतिहास बहुत ही नाटकीय रहा है। फारसी सास्कृतिक प्रभाव वाले क्षेत्रों में आधुनिक ईरान के अलावा इराक का दक्षिणी भाग, अज़रबैजान, पश्चिमी अफगानिस्तान, ताजिकिस्तान का दक्षिणी भाग और पूर्वी तुर्की भी शामिल हैं। ये सब वो क्षेत्र हैं जहाँ कभी फारसी सासकों ने राज किया था और जिसके कारण उनपर फारसी संस्कृति का प्रभाव पड़ा था। ईरान एक ऐसा देश है जो तकरीबन ढाई हजार साल तक राजशाही के अंदर रहा है। जिन्हें शाहों के नाम से जाना गया। 1950 में ईरान की जनता ने मोहम्मद मुसादिक के रूप में एक धर्मनिर्पेक्ष राजनेता को प्रधानमंत्री चुना। मुसादिक एक नेशनलिस्ट लीडर थे जो चाहते थे कि ईरान के ऑयल सेक्टर का राष्ट्रीयकरण हो। इससे पहले ईरान के के तेल के व्यापार का पूरा नियंत्रण ईरानी कंपनी का था, जिसका असल में मालिक ब्रिटिश और अमेरिकी कंपनी थी। मोहम्मद मुसादिक ने इसके राष्ट्रीयकरण की कोशिश की। जिसे रोकने के लिए एक सिक्रेट मिशन को अंजाम दिया गया, जिसका नाम था-मिशन एजेक्स। एक ऐसा ऑपरेशन जिसे अमेरिका की सीआईए औप ब्रिटेन की सीक्रेट एजेंसी द्वारा किया गया। जिसका मुख्य लक्ष्य था ईरान के तत्कालीन प्रधानमंत्री को सत्ता से हटाना। 1953 में अमेरिका ने ब्रिटेन के साथ मिलकर एक साज़िश के तहत मुसादिक का तख्तापलट कर दिया। एक लोकतांत्रिक देश को राजशाही में तब्दील कर मोहम्मद रज़ा पहेलवी को ईरान का नया शाह बना दिया। रजा पहेलवी को ये पता था कि उसे अपनी सत्ता पर नियंत्रण मजबूत करना है तो ईरान के अंदर की जनता का समर्थन हासिल करना होगा। 1963 में एक नई नीति व्हाईट रिव्ल्यूशन ईरान में शुरू की गई। इसका मकसद वहां लैंड रिफॉर्म करना था जिससे किसानों का सपोर्ट शाह को मिले। शाह ने अगला क़दम यही उठाया. ईरान के बाज़ार को दुनिया के लिए खोल दिया. जिसका नतीजा ये हुआ कि तेहरान फैशन का हब बन गया।

किसके किसके बीच मुकाबला

2024 के चुनाव के लिए गार्जियन काउंसिल ने छह उम्मीदवारों को मंजूरी दी थी। उनमें से दो- अलीरेज़ा ज़कानी और अमीर-होसैन ग़ाज़ीज़ादेह हाशमी 27 जून को बाहर हो गए। मैदान में बचे उम्मीदवारों पर एक नजर:

मोहम्मद बाघेर क़ालिबफ़: संसद के वर्तमान अध्यक्ष और तेहरान के पूर्व मेयर, क़ालिबफ़ के इस चुनाव में शीर्ष पर आने की उम्मीद है। वह अपने सख्त रुख और छात्र प्रदर्शनकारियों के खिलाफ हिंसक कार्रवाई में शामिल होने के लिए जाने जाते हैं।

सईद जलीली: सर्वोच्च राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के सचिव और ईरान के शीर्ष परमाणु वार्ताकार थे। जलीली एक कट्टर कट्टरपंथी हैं और उनके शासन से गहरे संबंध हैं। उन्होंने अक्सर क्रांतिकारी सिद्धांतों का कड़ाई से पालन करने की वकालत की है।

मसूद पेज़ेशकियान: पूर्व स्वास्थ्य मंत्री रेस में एकमात्र सुधारवादी उम्मीदवार हैं। मतपत्र में उनका शामिल होना अधिक उदार मतदाताओं से अपील करके मतदान प्रतिशत बढ़ाने के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है। पेज़ेशकियान को परमाणु समझौते को पुनर्जीवित करने की उम्मीद है।

मुस्तफ़ा पौरमोहम्मदी: उम्मीदवारों में एकमात्र मौलवी हैं, जिनकी पिछली भूमिकाएँ आंतरिक मंत्री और न्याय मंत्री के रूप में थीं। पौरमोहम्मदी को 1980 के दशक में राजनीतिक कैदियों की सामूहिक फाँसी में शामिल होने के लिए जाना जाता है।

इस चुनाव में प्रमुख मुद्दे

ईरान कई प्रमुख मुद्दों का सामना कर रहा है जिनका इस बार के चुनाव पर असर पड़ने की आशंका है।

आर्थिक संकट: ईरान को उच्च मुद्रास्फीति और बेरोजगारी दर सहित गंभीर आर्थिक चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। अमेरिका द्वारा हटाए गए प्रतिबंधों का प्रभाव महत्वपूर्ण बना हुआ है। सरकार के भीतर और राजनीतिक अभिजात वर्ग के बीच भ्रष्टाचार के आरोप भी एक केंद्र बिंदु होने की उम्मीद है।

परमाणु नीति: ईरान का परमाणु कार्यक्रम और संयुक्त व्यापक कार्य योजना (जेसीपीओए) के तहत इसकी प्रतिबद्धताएं केंद्रीय विषय हैं। चूंकि ये अमेरिकी प्रतिबंधों का स्रोत हैं और ईरान की अंतरराष्ट्रीय स्थिति और सुरक्षा चिंताओं को प्रभावित करते हैं, इसलिए इस मुद्दे पर उम्मीदवारों के विचारों पर उत्सुकता से नजर रखी जा रही है।

विदेश नीति: मध्य पूर्व में ईरान की भूमिका, जिसमें सीरिया, इराक और यमन में संघर्षों में उसकी भागीदारी भी शामिल है, क्षेत्र में अस्थिरता के बीच एक और महत्वपूर्ण मुद्दा है। पश्चिमी देशों, विशेषकर संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ संबंध भी महत्वपूर्ण हैं।

घरेलू शासन और सुधार: रायसी की मृत्यु से पहले भी आर्थिक और सामाजिक कारकों के संयोजन के कारण ईरानी जनता परेशान हो रही थी। देश में मानवाधिकार और स्वतंत्रता का सवाल लगातार सामने आता रहा है। विरोध प्रदर्शनों से निपटने के सरकार के तरीके, खासकर 2022 में महसा अमिनी की मृत्यु के बाद, का स्थायी प्रभाव पड़ा है जो चुनाव में दिखाई दे सकता है।

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ईरान में चुनाव से जुड़े नियम

18 साल से अधिक उम्र का कोई भी शख्स नेशनल आईडी कार्ड दिखाकर वोट दे सकता है।

देश भर में 58,640 बूथ पर चुनाव बैलेट बॉक्स के जरिए वोटिंग हो रही है।

वोटिंग बूथ स्कूल, मस्जिद और दूसरे सार्वजनिक स्थानों पर बने हैं।

राष्ट्रपति चुनाव 40 से 75 साल के बीच के व्यक्ति ही लड़ सकते हैं।

अगर चुनाव में किसी उम्मीदवार को 50 फीसदी मत नहीं मिलता है तो सबसे अधिक वोट हासिल करने वाले दो प्रमुख उम्मीदवारों के बीच दोबारा 5 जुलाई को चुनाव कराए जाएंगे।

चुनावी नतीजे के बाद ईरान के सर्वोच्च धार्मिक नेता आयतुल्लाह खामेनई नए राष्ट्रपति के शपथ ग्रहण से पहले इसके नतीजों को मंजूरी देंगे। 

सुप्रीम लीडर सबसे पॉवरफुल

राष्ट्रपति ईरान का सर्वोच्च अधिकारी होता है। मगर शक्तियों के लिहाजे से वो सबसे ऊपर नहीं होता। ईरान के संविधान के मुताबिक़, राष्ट्रपति ईरान में दूसरा सबसे ज़्यादा ताक़तवर व्यक्ति होता है। वह कार्यकारिणी का प्रमुख होता है जिसका दायित्व संविधान का पालन करवाना है। यहां सबसे बड़ी अथॉरिटी हैं सुप्रीम लीडर। इनका आधिकारिक टाइटल है- अयातुल्लाह। 

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