फैलते प्रदूषण पर बोले सिंघवी, इस शहर में हर शख़्स परेशान सा क्यों है?

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[email protected] । Nov 6 2018 10:54AM

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता डॉ. अभिषेक मनु सिंघवी ने धनतेरस के मौके पर पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि आज हम कुछ दुखद प्रसंग जो प्रदूषण से संबंध रखता है, उसकी बात कर रहे हैं, क्योंकि ये आप और हम ही नहीं, हर नागरिक के लिए बहुत चिंता का विषय है।

नयी दिल्ली। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता डॉ. अभिषेक मनु सिंघवी ने धनतेरस के मौके पर पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि आज हम कुछ दुखद प्रसंग जो प्रदूषण से संबंध रखता है, उसकी बात कर रहे हैं, क्योंकि ये आप और हम ही नहीं, हर नागरिक के लिए बहुत चिंता का विषय है। हालांकि यह किसी दूसरे प्रंसग में बॉलीवुड में कहा गया था, लेकिन आज यह पंक्तियां बड़ी उपयुक्त हैं इस प्रदूषण के माहौल में है कि-  

‘सीने में जलन आँखों में तूफ़ान सा क्यों है,
इस शहर में हर शख़्स परेशान सा क्यों है’? 

उन्होंने कहा कि अब इसे आप रोमांटिक वातावरण भी कह सकते हैं, लेकिन आज ये प्रदूषण के वक्त इतना उपयुक्त है, एक-एक शब्द इतना सटीक रुप से लागू होता है कि ये दुखद प्रसंग हमें आपके सामने रखना पड़ रहा है। ‘सीने में जलन आँखों में तूफ़ान सा क्यों है, लिटरेली इस शहर में हर शख्स परेशान सा क्यों है? परेशान ना हों तो क्या हों? सिंघवी ने आगे कहा कि भाजपा और आप की नूराकुश्ती ने दिल्ली की हवा को ज़हरीली बना दिया है और वातावरण को प्रदूषित कर दिया है! राजनैतिक और अन्य तरीकों से तो कर ही दिया है, लेकिन वास्तव में फिजिकली भी कर दिया है।

उन्होंने कहा कि आज विषैली हवा से घुट - घुट कर जीने को हम मजबूर हैं, आप, हम, हर नागरिक और उसके साथ-साथ विषैली राजनीति, निष्क्रियता से ग्रस्त, एक तरफ सत्ता लोलुप बीजेपी, एक तरफ आप, जो मजा ले रहे हैं, सिर्फ सत्ता का और हमारे समक्ष ये जहरीली चीजें फैला रहे हैं। मैं आपके समक्ष कुछ आंकड़े भी रखूंगा, लेकिन सच्चाई ये है कि आज इतने हर्ष के माहौल में, इतनी शुभकामनाओं और शुभअवसर के माहौल में जो धनतेरस, छोटी दिवाली, बड़ी दिवाली इत्यादि के साथ आता है, इस वक्त उन सबके ऊपर एक बहुत बड़ा बादल छा गया है, काला बादल और वो लिटरेली फिजिकली काला बादल है प्रदूषण का। ऐसे अजीबो गरीब अपमान हमें देखने को मिल रहे हैं, कुछ वर्ष पहले श्रीलंका की पूरी टीम पोल्यूशन मास्क पहन कर आ गई थी। अभी कल मुंबई के बैट्समैन सिद्धेश लाड रणजी ट्रॉफी फिक्सर  के बीच में वही करने को मजबूर हो गए और इन सबके बीच में। 

कांग्रेस वरिष्ठ नेता ने कहा कि प्रधानमंत्री कैसे चुप्पी साध सकते हैं? एक बड़ा महत्वपूर्ण आपको आंकड़ा दे रहा हूं, वाराणसी के साथ, दिल्ली, आगरा, लखनऊ, कानपुर भी जोड़ लीजिए, लेकिन वाराणसी के साथ ये शहर विश्व के सबसे ज्यादा प्रदूषित शहर हैं। आज प्रदूषण के विषय में यहाँ पर आपातकाल है। Air Quality Index के कुछ आंकड़े आज 6 बजे लिए गए हैं। पीएम जिसको हम सबसे ज्यादा महत्व देते हैं और पीएम के बारे में मैं कुछ कहूंगा, संवैधानिक पीएम के बारे में भी और इस पीएम के बारे में भी। 945 MG था। अब तो हम आदी हो गए हैं, लेकिन इन आंकड़ों को तो मैं भी आदी नहीं हुआ हूं और ये WHO के आंकड़ों से तो कोई मेल ही नहीं रखता, जो लिमिट हैं। कई –कई गुना ज्यादा। 

उन्होंने कहा कि आज लगभग 90 प्रतिशत से ज्यादा बच्चे और मैं समझता हूं ये आंकड़ा भारत में इससे भी बड़ा होगा, इस प्रदूषण से क्या सांस ले रहे हैं और 25 प्रतिशत बच्चे उसमें से निश्तिच मृत्यु की तरफ अग्रसर हैं। 10 लाख लोग हमारे देश में प्रतिवर्ष इस जहर से मरते हैं। आज अगर 20 में से 14 सबसे ज्यादा प्रदूषित शहर देखें तो उन 14 में से 9 भारत में हैं। दिल्ली को World’s most Polluted Mega City का आदर और सम्मान दिया गया है। ये हम हर्ष कर सकते हैं कि ‘मेक इन इंडिया’ शायद कुछ बढ़ रहा है क्योंकि आज एयर प्यूरिफाई का उत्पादन बढ़ रहा है, लेकिन इस प्रकार का हर्ष, बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण होता है। 

सिंघवी ने कहा कि ये हमेशा से ऐसा था, ऐसी बात नहीं है, बिल्कुल ऐसा नहीं था। मैं आपको याद दिलाना चाहता हूं, 2013 में जब श्रीमती शीला दीक्षित मुख्यमंत्री थीं, उनके नेतृत्व में दिल्ली को Greenest Capital in the World कहा गया था और उनके 2013 के पहले के सालों में तुलनात्मक रुप से 22 प्रतिशत फारेस्ट कवर बढ़ गया था। सबसे ज्यादा ग्रीन ट्रांसपोर्ट सिस्टम का उत्पादन दिल्ली में किया, जो यूपीए सरकार ने किया। सीएनजी का सबसे अधिक उपयोग किया तो यूपीए सरकार ने किया और जब दिल्ली में सीएनजी कनवर्जन हुआ तो यह विश्वभर में दुनिया की 10 सबसे महत्वपूर्ण नीति परिवर्तन की सूची में आई। दिल्ली को पर्यावरण के विषय में UN Clean City अवार्ड भी मिला। आजकल ऐसी बातें करना भी अजीबो-गरीब लगता है, लगता है कि बाबा आदम के जमाने की बातें कर रहे हैं।  

इसके साथ आपको जोड़ना पड़ेगा कि पंजाब सरकार मांग मांग कर थक गई, लेकिन केन्द्र सरकार ने उसको इस विषय में कोई मदद नहीं की। इसके बावजूद वहाँ 72 प्रतिशत कमी दिखाई है Stubble Burning में – पराली जलाने के मामले में। नंबर तीन, पंजाब में जो कमी दिखी है, वो हरियाणा से कहीं ज्यादा है और फिर भी दिल्ली और केन्द्र सरकार दोषारोपण में लगे हैं, आपसी वैमनस्य में लगे हैं, हमारे नागरिकों को कोई भी राहत नहीं दे रहे हैं। मैं आपको संक्षेप में कुछ पुरानी नीतियों को याद दिलाना चाहता हूं और उसके बाद सकारात्मक रुप से कुछ ठोस सुझाव देना चाहता हूं।   

Peripheral Expressway का जो आईडा था, वो किसका था और किसने कार्यांवित किया, यूपीए सरकार ने। सीएपी (CAP), जिसको सुप्रीम कोर्ट ने कॉम्प्रिहेंसिव एक्शन प्लान कहा है, उसमें लिखित आदेश है कि brick kilns अर्थात ईंटा भट्टों में अपग्रेड होना अति आवश्यक है, क्योंकि जो brick kilns होते हैं, हमारे यहाँ पर ईंटों की टेक्नोलॉजी के कारण बहुत प्रदूषण होता है, उस टेक्नोलॉजी को अपग्रेड करने का न्यायिक आदेश हो चुका है। आज दुर्भाग्य है और मैं ये आंकड़ा दे रहा हूं आपको कि 74 प्रतिशत वो अपग्रेड नहीं हुआ है, कई बार कहने के बावजूद। ये केन्द्र सरकार की और प्रदेश सरकार की घोर असफलता है, बहानेबाजी है। बसों का मुद्दा लीजिए आप, पब्लिक ट्रांसपोर्ट के बिना ये हल नहीं हो सकता। पब्लिक ट्रांसपोर्ट में ये हालत है कि 5,400 बसों की संख्या को 10 हजार करने का आदेश दिए हुए कई साल हो गए हैं। 5000 को कम से कम डबल करके 10 हजार बनाओ लेकिन नहीं हुआ। 

दिनभर हम जद्दोजहद देखते हैं कि आज इस कारण से नहीं हुआ है, कल इस कारण से नहीं हो रहा है। लेकिन मूल बात ये है कि न्यायिक आदेश के बावजूद के यह नहीं हो पाया है। अब जाकर हम सुनते हैं 1,000 या 1500 बसों को खरीदने की बात हुई है और मेट्रो फेज 4 का क्या हुआ, मेट्रो 10 फेज का प्रोजेक्ट है, मेट्रो का फेज 4 अगर हो जाए और 5,000 बसें आ जाएं तो आप सोच सकते हैं कि कम से कम पब्लिक ट्रांसपोर्ट के आधार पर जो नीजि ट्रांसपोर्ट के कारण प्रदूषण हो रहा है, उसमें कितना प्रभाव पड़ेगा, कितने रुप से कम होगा। लेकिन हुआ क्या, केन्द्र सरकार फेंकती है फुटबाल की तरह प्रदेश सरकार की ओर, प्रदेश सरकार फेंकती है केन्द्र सरकार की ओर। आज तक आपने झगड़े जरूर देख लिए सिग्नेचर ब्रिज पर, आपसी दोषारोपण के, लेकिन ग्राउंड रियलिटी क्या देखा है। ये जवाब मांगती है आज की जनता और इसके जवाब में आपको मिलती है चुप्पी।   

तो हम आपके जरिए ये चाहेंगे कि दिल्ली की जनता और पूरे देश की जनता एक साथ, एक आवाज में इसकी भर्त्सना करे और ठोस कदम से उनको कार्यांवित करने की समयसीमा मांगे। इसमें राजनीति से ऊपर उठकर काम करने की आवश्यकता है, लेकिन हमने पिछले कई वर्षों में परिणाम प्राप्त करने की दिशा में कोई भी कदम नहीं देखे हैं।

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