Milord! WhatsApp पर बैन लगाइए... सुप्रीम कोर्ट पहुंची याचिका, जानें जज ने क्या कहा?
ओमनाकुट्टन ने अपनी याचिका में दलील दी कि मैसेजिंग प्लेटफॉर्म ने सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यवर्ती दिशानिर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता) नियम, 2021 का पालन करने से इनकार कर दिया है। जनहित याचिका में आरोप लगाया गया कि व्हाट्सएप संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत गारंटीकृत नागरिकों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन कर रहा है और राष्ट्रीय हित और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए संभावित खतरा पैदा कर रहा है।
सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को उस जनहित याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें व्हाट्सएप के संचालन और उपयोग पर प्रतिबंध लगाने के लिए केंद्र को निर्देश देने की मांग की गई थी। जनहित याचिका में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के खिलाफ कार्रवाई की मांग करते हुए कहा गया है कि अगर मैसेजिंग ऐप देश में अधिकारियों के आदेशों का पालन नहीं करता है तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए। न्यायमूर्ति एमएम सुंदरेश और न्यायमूर्ति अरविंद कुमार की पीठ ने याचिका खारिज कर दी। अदालत ने कहा कि वह केरल निवासी सॉफ्टवेयर इंजीनियर ओमनाकुट्टन केजी द्वारा दायर याचिका पर विचार करने के इच्छुक नहीं है।
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ओमनाकुट्टन ने अपनी याचिका में दलील दी कि मैसेजिंग प्लेटफॉर्म ने सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यवर्ती दिशानिर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता) नियम, 2021 का पालन करने से इनकार कर दिया है। जनहित याचिका में आरोप लगाया गया कि व्हाट्सएप संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत गारंटीकृत नागरिकों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन कर रहा है और राष्ट्रीय हित और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए संभावित खतरा पैदा कर रहा है।
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दलील ने कहा कि अगर ऐप अपनी तकनीक बदलने को तैयार नहीं था और सरकार के साथ सहयोग नहीं करता था, तो इसे देश में संचालित करने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। केंद्र ने देश के हित के खिलाफ काम करने के लिए कई वेबसाइटों और मोबाइल ऐप पर प्रतिबंध लगा दिया था।
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