अयोध्या राम मंदिर मसले पर मैं अपनी पार्टी की लाइन पर ही चला हूं: कमलनाथ
हम अति धार्मिक राष्ट्रवाद के पीछे इसके नरम स्वरूप के साथ भाग नहीं सकते। हमें इस हालात का अहसास करना चाहिए और तत्काल विकल्प को स्वीकार करना चाहिए। यह एकता, सौहार्द और सहिष्णुता की राजनीति की विरासत पर आधारित होना चाहिए।
कमलनाथ ने कहा, ‘‘मैंने छिंदवाड़ा में सबसे बड़ा हनुमान मंदिर बनवाया था। मैं हिंदू धर्म में आस्था रखता हूं। लेकिन, मैं अन्य सभी धर्मों का अत्यधिक सम्मान करता हूं।’’ उन्होंने सवाल किया, ‘‘क्या भाजपा ने हिंदू धर्म का पेटेंट कराया है? क्या उन्होंने (भाजपा) धर्म और भगवान राम के लिए एजेंसी ली है?’’ कमलनाथ ने अयोध्या में पांच अगस्त को भगवान राम के मंदिर के निर्माण के भूमि पूजन के एक दिन पहले भोपाल में अपने सरकारी निवास पर राम दरबार सजाकर हनुमान चालीसा के पाठ का आयोजन किया था। हनुमान चालीसा का पाठ करने के बाद राम मंदिर निर्माण का स्वागत करते हुए उन्होंने घोषणा की थी कि मध्य प्रदेश कांग्रेस अयोध्या स्थित राम मंदिर निर्माण के लिये प्रदेश की जनता की ओर से चाँदी की 11 ईंट भेजेगी। अयोध्या में पांच अगस्त को मंदिर के भूमि पूजन के अवसर को देखते हुए कमलनाथ ने भोपाल स्थित प्रदेश कांग्रेस कार्यालय के मुख्य द्वार पर भगवान श्रीराम की तस्वीर के सामने दीप प्रज्वलित कर भगवान श्री राम का पूजन किया था।Live : पूर्व मुख्यमंत्री एवं प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ जी का स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर जनता के नाम संबोधन। (सीधा प्रसारण) https://t.co/MXKdMPcbPp
— Office Of Kamal Nath (@OfficeOfKNath) August 14, 2020
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इसके अलावा, उस दिन यहां कांग्रेस मुख्यालय पर भगवान राम की एक विशाल तस्वीर भी लगाई थी। रंगारंग आतिशबाजी और पूरे कार्यालय को रंगबिरंगी रोशनी से सजाने के साथ-साथ बैंड की धुन पर मधुर संगीतमय भजनों की प्रस्तुति होती रही। पूरा कांग्रेस कार्यालय जय-जय श्रीराम के नारों से गूंजता रहा और कांग्रेसी राममय हो गये थे। कांग्रेस के लोकसभा सदस्य टीएन प्रतापन ने राम मंदिर निर्माण के लिए हुए भूमि पूजन के बारे में मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्रियों कमलनाथ और दिग्विजय सिंह सहित अन्य कांग्रेस नेताओं की प्रतिक्रया का विरोध करते हुए सोनिया गांधी को पत्र लिखा था। इस पत्र में उन्होंने कहा, ‘‘हम अति धार्मिक राष्ट्रवाद के पीछे इसके नरम स्वरूप के साथ भाग नहीं सकते। हमें इस हालात का अहसास करना चाहिए और तत्काल विकल्प को स्वीकार करना चाहिए। यह एकता, सौहार्द और सहिष्णुता की राजनीति की विरासत पर आधारित होना चाहिए।
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