Poorvottar Lok: Manipur में आ रही है शांति, Assam Gangrape Case के आरोपी गिरफ्तार, Tripura में बिजली दरें बढ़ीं, Nagaland को मिला नया BJP President

N Biren Singh
ANI

प्राधिकारियों ने इंफाल ईस्ट और इंफाल वेस्ट जिलों में सुबह पांच बजे से रात 11 बजे तक कर्फ्यू में ढील दी है ताकि लोग आवश्यक सामान तथा दवाएं आदि खरीद सकें। आदेश में कहा गया है कि यह छूट ‘‘किसी भी गैरकानूनी सभा या बड़े पैमाने पर लोगों की आवाजाही या धरना प्रदर्शन’’ पर लागू नहीं होगी।

नमस्कार प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क के खास कार्यक्रम पूर्वोत्तर लोक में आप सभी का स्वागत है। इस सप्ताह मणिपुर में शांति कायम होने पर कर्फ्यू में ढील दी गयी तो दूसरी ओर केंद्र सरकार ने श्रीनगर के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक राकेश बलवाल का उनके मूल काडर मणिपुर में तबादला कर दिया है जहां पिछले कुछ महीनों से स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई है। हम आपको बता दें कि मणिपुर काडर के 2012 बैच के आईपीएस अधिकारी राकेश बलवाल ने 2021 में श्रीनगर के एसएसपी का पदभार संभाला था और उन्होंने आतंकवाद पर काबू पाने में सफलता हासिल की थी। उधर असम में सामूहिक बलात्कार मामला इस सप्ताह काफी सुर्खियों में रहा तो दूसरी ओर असम-मेघालय सीमा पर झड़प भी बड़ी खबर रही। त्रिपुरा में राज्य सरकार ने बिजली दरें बढ़ा दीं जिससे जनता नाराज हुई तो दूसरी ओर अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री ने उन वुशू खिलाड़ियों से मिलकर उनका हौसला बढ़ाया जिन्हें एशियन गेम्स में भाग लेने के लिए चीन ने वीजा नहीं दिया था। इसके अलावा, नगालैंड में भाजपा अध्यक्ष पद पर नया चेहरा लेकर आई तो मिजोरम में सभी पार्टियां विधानसभा चुनावों की घोषणा से पहले अपने अपने प्रत्याशियों की सूची को अंतिम रूप देने में लगी हुई हैं। इसके अलावा भी इस सप्ताह पूर्वोत्तर भारत से काफी खबरें रहीं। आइये डालते हैं सब पर एक नजर और सबसे पहले बात करते हैं मणिपुर की।

मणिपुर

मणिपुर की इंफाल घाटी में मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह के खाली पड़े पैतृक आवास पर हमले की कोशिश समेत हिंसक झड़पों के एक दिन बाद शुक्रवार को स्थिति शांत लेकिन तनावपूर्ण है। प्राधिकारियों ने इंफाल ईस्ट और इंफाल वेस्ट जिलों में सुबह पांच बजे से रात 11 बजे तक कर्फ्यू में ढील दी है ताकि लोग आवश्यक सामान तथा दवाएं आदि खरीद सकें। एक आधिकारिक आदेश में कहा गया है कि यह छूट ‘‘किसी भी गैरकानूनी सभा या बड़े पैमाने पर लोगों की आवाजाही या धरना प्रदर्शन’’ पर लागू नहीं होगी। इंफाल घाटी में भारी सुरक्षा व्यवस्था तथा कर्फ्यू के बावजूद भीड़ ने बृहस्पतिवार की रात को मुख्यमंत्री के खाली पड़े पैतृक आवास पर हमला करने की कोशिश की। सुरक्षाबलों ने आंसू गैस के कई गोले छोड़े और इस प्रयास को नाकाम कर दिया। एक पुलिस अधिकारी ने कहा, ‘‘इंफाल के हिंगांग इलाके में मुख्यमंत्री के पैतृक आवास पर हमले की कोशिश की गयी।’’ उन्होंने बताया कि सुरक्षाबलों ने मुख्यमंत्री के पैतृक आवास से करीब 100-150 मीटर दूर भीड़ को रोक दिया था। मुख्यमंत्री राजधानी इंफाल के केंद्र में एक अलग आधिकारिक आवास में रहते हैं जिस पर सुरक्षाकर्मियों का कड़ा पहरा रहता है। सूत्रों ने बताया कि इंफाल में बृहस्पतिवार की रात को विभिन्न स्थानों पर सुरक्षाबलों और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़प में कई लोग घायल हो गए। सूत्रों ने बताया कि इंफाल ईस्ट के हट्टा मिनुथोंग में, मारे गए दो छात्रों के लिए न्याय की मांग करते हुए निकाली जा रही एक रैली में उस समय हिंसा भड़क गयी जब सुरक्षाकर्मियों ने प्रदर्शनकारियों को आगे बढ़ने से रोक दिया। घटना में कई लोग घायल हुए और उन्हें एक स्थानीय अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा। अधिकारियों ने बताया कि बृहस्पतिवार देर रात को भीड़ ने इंफाल ईस्ट के चेकोन इलाके में एक मकान में आग लगा दी। बाद में दमकलकर्मियों ने आग पर काबू पाया। उन्होंने बताया कि इंफाल ईस्ट जिले के वांगखेई, खुरई और कोंग्बा में प्रदर्शनकारियों ने सुरक्षाबलों की आवाजाही बाधित करने के लिए टायर जलाए और लोहे की छड़ों तथा पत्थरों से सड़कें अवरुद्ध कर दीं। एक आधिकारिक आदेश के अनुसार, मणिपुर सरकार ने पिछले दो दिन में यहां सुरक्षा बलों के प्रदर्शनकारियों पर, मुख्य रूप से छात्रों पर कथित रूप से अत्यधिक बल प्रयोग की शिकायतों की जांच के लिए बृहस्पतिवार को एक समिति का गठन किया। छात्रों से शांति बनाए रखने और सामान्य स्थिति बहाल करने में कानून प्रवर्तन एजेंसियों के साथ सहयोग करने की अपील करते हुए पुलिस ने कहा, ‘‘कोई भी बदमाश अगर मौजूदा स्थिति का फायदा उठाते हुए पाया गया तो पुलिस उससे सख्ती से निपटेगी।’’ मणिपुर की राजधानी इंफाल में जुलाई से लापता एक लड़के और लड़की के शव की तस्वीरें सोमवार को सोशल मीडिया पर आने के एक दिन बाद, मंगलवार को फिर से हिंसा भड़क गयी। केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) का एक दल इस घटना की जांच कर रहा है।

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इसके अलावा, मणिपुर की इंफाल घाटी में सुरक्षा व्यवस्था और कर्फ्यू के बावजूद भीड़ ने बृहस्पतिवार रात मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह के खाली पड़े पैतृक आवास पर हमला करने की कोशिश की। सुरक्षा बलों ने हालांकि, हवा में गोलीबारी करके इस प्रयास को विफल कर दिया। सिंह राज्य की राजधानी के मध्य में एक अलग आधिकारिक आवास में रहते हैं। एक पुलिस अधिकारी ने कहा, ‘‘इंफाल के हिंगांग इलाके में मुख्यमंत्री के पैतृक आवास पर हमले की कोशिश की गई। सुरक्षा बलों ने भीड़ को आवास से लगभग 100-150 मीटर पहले ही रोक दिया।’’ अधिकारी ने कहा कि अब इस आवास में कोई नहीं रहता है, हालांकि उसकी चौबीसों घंटे सुरक्षा की जाती है। पुलिस अधिकारी ने कहा, ‘‘लोगों के दो समूह अलग-अलग दिशाओं से आये और मुख्यमंत्री के पैतृक आवास के निकट पहुंचे लेकिन उन्हें रोक दिया गया।’’ उन्होंने कहा कि भीड़ को तितर-बितर करने के लिए आरएएफ और राज्य पुलिसकर्मियों ने आंसू गैस के गोले छोड़े। पुलिस ने बताया कि प्रदर्शनकारियों ने पास की सड़क के बीचों-बीच टायर भी जलाये। मणिपुर में दो युवकों की मौत को लेकर छात्रों ने मंगलवार और बुधवार को हिंसक विरोध प्रदर्शन किया था। भीड़ ने बृहस्पतिवार को तड़के इंफाल पश्चिम जिले में उपायुक्त कार्यालय में भी तोड़फोड़ की थी और दो चार-पहिया वाहनों में आग लगा दी थी। बुधवार को दो जिलों इंफाल पूर्व और पश्चिम में फिर से कर्फ्यू लगा दिया गया था और झड़प में मंगलवार से 65 प्रदर्शनकारी घायल हुए हैं। जुलाई में लापता हुए दो लोगों- एक पुरुष और एक लड़की के शवों की तस्वीरें सोशल मीडिया पर प्रसारित होने के एक दिन बाद मंगलवार को राज्य की राजधानी में हिंसा की एक नई घटना हुई थी।

इसके अलावा, वर्तमान में दिल्ली में डेरा डाले हुए मणिपुर के 20 से अधिक विधायकों ने केंद्र से अशांत राज्य में दो युवाओं के अपहरण और हत्या के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कार्रवाई करने का आग्रह किया है। विधायकों ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से यह सुनिश्चित करने का भी आग्रह किया है कि सीबीआई जांच में तेजी लाई जाए। विधायकों में से एक राजकुमार इमो सिंह ने ‘एक्स’ (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा, “दिल्ली में मौजूद ज्यादातर विधायक केंद्र सरकार से जल्द से जल्द न्याय देने की मांग कर चुके हैं। आइए अगले कुछ दिनों में इसमें शामिल दोषियों को गिरफ्तार कर न्याय सुनिश्चित करें।” उन्होंने मणिपुर में लोगों से हिंसा नहीं करने का आग्रह किया और कहा कि सभी प्रकार के आंदोलन शांतिपूर्ण ढंग से होने चाहिए। उन्होंने कहा, “आइए हम सुनिश्चित करें कि मारे गए छात्रों को जल्द से जल्द न्याय मिले।” सिंह ने कहा कि अगर सीबीआई अगले कुछ दिनों में न्याय नहीं दे पाती है तो आइए नया कदम उठाने के लिये हम दिल्ली में अपने लोगों के साथ बैठें। उन्होंने कहा, “लेकिन आइए हम यह भी सुनिश्चित करें कि स्थानीय लोगों को बचाने के हमारे सामान्य उद्देश्य से ध्यान न भटके, हमारा सामान्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि सभी अवैध प्रवासियों का पता लगाया जाए, जमीनी नियमों को तोड़ने वाले विद्रोही समूहों के खिलाफ कार्रवाई की जाए, सीमा पर बाड़ लगाने का काम पूरा किया जाए।” भाजपा विधायक ने कहा कि हर किसी को एक सुर में साथ खड़े होना चाहिए। उन्होंने अपील की, “अगर हम इस समय असंतुष्ट हैं, तो नए हथकंडे तलाशने वाले लोग हम सभी के एक-दूसरे के खिलाफ खड़ा होने पर मुस्कुराएंगे और हंसेंगे। आइए हम सभी मणिपुर के लिए एक साथ खड़े हों।” सिंह ने कथित तौर पर “सशस्त्र बलों द्वारा बर्बरतापूर्ण कृत्य” की भी कड़ी निंदा की और पूछा कि वे इस तरह के आंदोलन को रोकने के लिए पानी की बौछारों और अन्य तरीकों का इस्तेमाल क्यों नहीं कर सकते।” उन्होंने कहा, “सशस्त्र बलों को इस तरह की नाजुक स्थिति से निपटने में अधिक मानवीय होने का निर्देश दिया जाना चाहिए। इसमें शामिल लोगों को कानून के अनुसार सजा दी जानी चाहिए।” मणिपुर की राजधानी में मंगलवार से दो दिनों तक हिंसक विरोध प्रदर्शन हुआ, क्योंकि हजारों छात्रों ने दो युवकों के अपहरण और हत्या का विरोध किया था। इन छात्रों के शवों की तस्वीरें सोशल मीडिया पर व्यापक रूप से प्रसारित हुई थीं।

इसके अलावा, सुरक्षा एजेंसियों के लिए सबसे बुरी आशंका सच साबित होती दिख रही है, क्योंकि इंफाल घाटी में उग्रवादियों को खुलेआम घूमते और भीड़ को उकसाते हुए देखा गया है। दो लापता किशोरों की तस्वीरें सामने आने के बाद से इंफाल घाटी में भीड़ उग्र हो गई है। अधिकारियों के मुताबिक बुधवार शाम पुलिस टीम पर किए गए हमलों के दौरान काली वर्दी पहने हथियारबंद लोगों को उग्र युवाओं को पुलिस पर हमला करने का निर्देश देते देखा गया। इसके बाद कई वाहनों को आग लगा दी गई। सुरक्षा एजेंसियां चेतावनी देती रही हैं कि यूनाइटेड नेशनल लिबरेशन फ्रंट (यूएनएलएफ), पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) और अन्य प्रतिबंधित समूहों के उग्रवादी भीड़ का हिस्सा बन गए हैं और सुरक्षा बलों पर छिपकर हमला करने के साथ-साथ प्रदर्शनकारियों को भी निर्देश दे रहे हैं। हाल में, भीड़ के भीतर उग्रवादियों की मौजूदगी पाई गई थी, जिसने टेंग्नौपाल में पलेल के पास सुरक्षा बलों पर हमला किया था, जिसमें सेना के एक लेफ्टिनेंट कर्नल घायल हो गए थे। केंद्रीय सुरक्षा एजेंसियों ने हिंसा प्रभावित मणिपुर में तनाव फैलाने के लिए किसी भी विरोध प्रदर्शन के दौरान उग्रवादियों के भीड़ में शामिल होने की आशंका के बारे में चेतावनी दी थी। एक पुलिस वाहन में आगजनी की घटना में भीड़ को निर्देशित करने वाले सशस्त्र उग्रवादियों की उपस्थिति देखी गई। इसके अलावा, भीड़ में उपद्रवियों ने लोहे के टुकड़ों का इस्तेमाल किया, जो स्वचालित हथियार की मदद से सुरक्षाकर्मियों की ओर दागे गए। लापता किशोरों की तस्वीरें सामने आने के बाद इंफाल घाटी में हुई इन झड़पों में अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक स्तर के एक अधिकारी सहित एक दर्जन से अधिक पुलिसकर्मी घायल हो गए। इन किशोरों के जातीय संघर्ष के दौरान मारे जाने की आशंका है। अधिकारियों ने दोहराया कि मौजूदा अशांति के कारण राज्य में यूएनएलएफ, पीएलए, कांगलेई यावोल कनबा लूप (केवाईकेएल), कांगलेइपाक कम्युनिस्ट पार्टी (केसीपी) और पीपुल्स रिवोल्यूशनरी पार्टी ऑफ कांगलेइपाक (पीआरईपीएके) जैसे लगभग निष्क्रिय प्रतिबंधित समूहों को सक्रिय होते देखा गया है। अधिकारियों ने यह भी आगाह किया है कि हाल में पुलिस शस्त्रागार से लूटे गए घातक हथियार रखने वाले चार युवकों की रिहाई एक खतरनाक संकेत है और उन्हें पकड़ने और कानून की संबंधित धाराओं के तहत उन पर मामला दर्ज करने के प्रयास तेज किए जाने चाहिए। उन्होंने कहा कि वर्तमान में, यूएनएलएफ के कैडर की संख्या 330 है, उसके बाद पीएलए के 300 और केवाईकेएल के 25 हैं जो बहुसंख्यक समुदाय के समूहों के भीतर सक्रिय हैं। सेना और असम राइफल्स ने विशिष्ट खुफिया जानकारी के आधार पर 24 जून को पूर्वी इंफाल में केवाईकेएल के 12 सदस्यों को पकड़ा, जिनमें स्वयंभू ‘लेफ्टिनेंट कर्नल’ मोइरंगथेम तम्बा उर्फ उत्तम भी शामिल था। उत्तम 2015 में छठी डोगरा रेजिमेंट पर घात लगाकर किए गए हमले के मास्टरमाइंड में से एक था, जिसमें सेना के 18 जवान मारे गए थे। अधिकारियों ने कहा कि इस बात की पूरी संभावना है कि मणिपुर पुलिस शस्त्रागार से लूटे गए हथियार और गोला-बारूद इन उग्रवादी समूहों के पास आए होंगे। उन्होंने कहा कि लूटे गए हथियारों में .303 राइफल, मीडियम मशीन गन (एमएमजी) और एके असॉल्ट राइफल, कार्बाइन, इंसास लाइट मशीन गन (एलएमजी), इंसास राइफल, एम-16 और एमपी5 राइफल शामिल हैं। अधिकारियों ने कहा कि लगभग 4,537 हथियार और 6.32 लाख गोलियां मुख्य रूप से पूर्वी इंफाल के पांगेई में मणिपुर पुलिस प्रशिक्षण केंद्र (एमटीपीसी), 7वीं इंडिया रिजर्व बटालियन और 8वीं मणिपुर राइफल्स से गायब हैं, जो इंफाल शहर के खाबेइसोई में स्थित हैं। अधिकारियों के अनुसार, चुराए गए हथियारों में से 2,900 घातक श्रेणी के थे जबकि अन्य में आंसूगैस और मिनी फ्लेयर बंदूकें शामिल थीं। नेताओं की बार-बार की गई अपील का कोई नतीजा नहीं निकला, क्योंकि जुलाई के अंतिम सप्ताह में लौटाए गए हथियारों को छोड़कर लूटे गए हथियारों में से कोई भी वापस जमा नहीं किया गया है। शवों के अंतिम संस्कार और इंफाल से पर्वतीय क्षेत्रों तक आपूर्ति मार्ग खोलने पर भी कोई प्रगति नहीं हुई है। तीन मई को मणिपुर में जातीय हिंसा भड़कने के बाद से 180 से अधिक लोग मारे गए हैं और सैकड़ों लोग घायल हुए हैं। बहुसंख्यक मेइती समुदाय की अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की मांग के विरोध में पर्वतीय जिलों में ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ के आयोजन के बाद हिंसक घटनाओं का सिलसिला शुरू हुआ था।

इसके अलावा, आतंकवाद संबंधी मामलों से निपटने में विशेषज्ञता हासिल करने वाले श्रीनगर के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) राकेश बलवाल को ‘‘समय से पूर्व’’ उनके मूल मणिपुर काडर में भेज दिया गया है जहां फिर से भड़की हिंसा ने पहले से खराब हालात को और तनावपूर्ण बना दिया है। भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के 2012 बैच के अधिकारी बलवाल को मणिपुर में कार्यभार संभालने पर नया पद दिया जाएगा। मणिपुर में इस साल मई से बहुसंख्यक मेइती और आदिवासी कुकी समुदायों के बीच संघर्ष चल रहा है। बलवाल को दिसंबर 2021 में अरुणाचल प्रदेश-गोवा-मिजोरम और केंद्र शासित प्रदेश (एजीएमयूटी) काडर में भेजा गया था। एक आधिकारिक आदेश में कहा गया है, ‘‘मंत्रिमंडल की नियुक्ति समिति ने अरुणाचल प्रदेश-गोवा-मिजोरम और केंद्र शासित प्रदेश (एजीएमयूटी) काडर से आईपीएस राकेश बलवाल के समय से पहले उनके मूल काडर में तबादले के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है।’’ जम्मू क्षेत्र में उधमपुर के रहने वाले बलवाल मणिपुर पुलिस में विभिन्न पदों पर काम कर चुके हैं। वह आखिरी बार 2017 में चूराचांदपुर के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक पद पर रहे थे। वह थौबल और इंफाल क्षेत्रों में भी तैनात रहे हैं। उन्होंने श्रीनगर के एसएसपी का पद ऐसे वक्त में संभाला था जब शहर में अल्पसंख्यक सदस्यों की हत्या और पुलिसकर्मियों पर हमले समेत कई आतंकी गतिविधियां देखी जा रही थी। एसएसपी का पदभार संभालने के बाद बलवाल ने शहर में कानून एवं व्यवस्था की स्थिति सुधारने पर ध्यान केंद्रित किया और यह सुनिश्चित किया कि आतंकवादियों की मौजूदगी खत्म हो और अल्पसंख्यकों या सुरक्षाबलों पर कोई हमला न हो। उनके ही कार्यकाल में तीन दशक बाद सड़कों पर मुहर्रम का जुलूस निकालने की अनुमति दी गयी और इस साल स्वतंत्रता दिवस समारोहों में बड़ी संख्या में लोगों ने भाग लिया। उनके कार्यकाल में ही जी20 के पर्यटन कार्यकारी समूह की मेजबानी जैसे कई अंतरराष्ट्रीय कार्यक्रम शांतिपूर्वक आयोजित किए गए। बलवाल को कई पदकों से भी सम्मानित किया जा चुका है। उनके कार्यकाल में ही मीरवाइज उमर फारूक को चार साल बाद हाल में घर में नजरबंदी से रिहा किया गया और ऐतिहासिक जामा मस्जिद में शुक्रवार की नमाज पढ़ने की अनुमति दी गयी। श्रीनगर एसएसपी का पदभार संभालने से पहले बलवाल प्रतिनियुक्ति के आधार पर साढ़े तीन साल राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) में पुलिस अधीक्षक रहे। वह 2019 के पुलवामा आतंकवादी हमले की जांच करने वाले दल का भी हिस्सा थे। इस हमले में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के 40 जवानों की मौत हो गयी थी। एक जून को त्रिपुरा काडर के 1993 बैच के आईपीएस अधिकारी राजीव सिंह को मणिपुर का नया पुलिस महानिदेशक नियुक्त किया गया था।

इसके अलावा, जाने-माने मणिपुरी अभिनेता राजकुमार सोमेंद्र ने राज्य सरकार द्वारा ‘‘मौजूदा जातीय संघर्ष और दो छात्रों की नृशंस हत्या के मामले को सही ढंग से नहीं संभालने’’ को लेकर भाजपा की प्राथमिक सदस्यता से बृहस्पतिवार को इस्तीफा दे दिया। पार्टी सूत्रों ने यह जानकारी दी। सोमेंद्र को 'काइकू' के नाम से भी जाना जाता है और वह लगभग 400 फिल्मों में अभिनय कर चुके हैं। उन्होंने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की प्रदेश इकाई के नेतृत्व को अपना इस्तीफा सौंप दिया, जबकि पार्टी के शीर्ष नेताओं ने उनसे अपने फैसले पर पुनर्विचार करने का अनुरोध किया। इंफाल पश्चिम के थांगमेइबंद क्षेत्र के निवासी ‘काइकू’ ने 2019 का लोकसभा चुनाव एक निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में लड़ा था और बाद में नवंबर 2021 में भाजपा में शामिल हो गए थे। 'काइकू' ने अपने त्यागपत्र में कहा, ‘‘मेरी प्राथमिकता 'जनता पहले और पार्टी बाद में' है, इसलिए मैंने इस कठिन समय में जनता का साथ देने का निर्णय किया है।’’ उन्होंने कहा कि यह देखना निराशाजनक है कि सरकार ने राज्य में पिछले चार महीने से अधिक समय से जारी अव्यवस्था को दूर करने के लिए अभी तक सक्रिय कदम नहीं उठाए हैं। उन्होंने कहा, ‘‘ईमानदारी से कहूं तो, मैं यह सोचकर भाजपा में शामिल हुआ था कि पार्टी अपनी ‘डबल इंजन’ सरकार के साथ हमारे राज्य में एक महत्वपूर्ण बदलाव लाएगी। बेशक, यह मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह के तहत पर्यटन जैसे विभिन्न क्षेत्रों में बदलाव लायी। इसे ध्यान में रखते हुए, मैंने सोचा था कि केंद्रीय नेता मौजूदा मुद्दे पर तेजी से कार्रवाई करेंगे व संघर्ष को समाप्त करेंगे और उन पर भरोसा किया। हालांकि, ऐसा लगता है कि केंद्रीय नेताओं का लोगों के दर्द और दुख पर कोई ध्यान नहीं है और वे लोगों की उम्मीद पर खरे नहीं हैं।’’ 'काइकू' ने समाज के सभी वर्गों से मौजूदा स्थिति का स्थायी समाधान निकालने की अपील की। उन्होंने कहा, ‘‘चूंकि मैंने भाजपा छोड़ दी है, अब मैं लोक व्यवस्था बहाल करने के लिए लोगों के अभियान में शामिल होने के लिए एक स्वतंत्र नागरिक हूं।’’ आगामी लोकसभा चुनावों पर अभिनेता ने कहा, ‘‘चुनावी राजनीति पर मेरा कोई विशेष निर्णय नहीं है लेकिन मैं राज्य में सामान्य स्थिति बहाल करने के लिए लोगों के साथ मिलकर काम करूंगा।’’

इसके अलावा, मणिपुर के अधिकतर हिस्सों में सशस्त्र बल (विशेषाधिकार) अधिनियम (अफस्पा) लागू किए जाने के एक दिन बाद अधिकार कार्यकर्ता इरोम शर्मिला ने कहा कि राज्य में जारी संघर्ष का हल ‘‘दमनकारी कानून’’ से नहीं निकलेगा। शर्मिला को मणिपुर की ‘आयरन लेडी’ के तौर पर जाना जाता है। उन्होंने एक साक्षात्कार में बृहस्पतिवार को कहा कि केन्द्र की भारतीय जनता पार्टी नीत सरकार को विविधता का सम्मान करना चाहिए न कि समान नागरिक संहिता जैसे प्रस्तावों के जरिए एकरूपता लाने की दिशा में काम करना चाहिए। मणिपुर में अफस्पा को अगले छह महीने के लिए बढ़ा दिया गया है। इंफाल घाटी के 19 थानों तथा पड़ोसी राज्य असम से सीमा साझा करने वाले एक इलाके को इस कानून के दायरे से बाहर रखा गया है। शर्मिला ने कहा, ''अफस्पा के दायरे में विस्तार राज्य में जातीय हिंसा अथवा अन्य समस्याओं का हल नहीं है। केन्द्र और मणिपुर सरकार को क्षेत्र की विविधता का सम्मान करना चाहिए।’’ उन्होंने कहा, ‘‘विभिन्न जातीय समूहों के मूल्यों, सिद्धांतों और प्रथाओं का सम्मान किया जाना चाहिए। भारत अपनी विविधता के लिए जाना जाता है, लेकिन केंद्र सरकार और भाजपा की दिलचस्पी समान नागरिक संहिता जैसे प्रस्तावों के जरिए एकरूपता बनाने में अधिक है।’’ शर्मिला ने प्रश्न किया कि मई में राज्य में हिंसा भड़कने के बाद से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने राज्य का दौरा क्यों नहीं किया। अधिकार कार्यकर्ता ने कहा, ''प्रधानमंत्री मोदी देश के नेता हैं। अगर उन्होंने राज्य का दौरा किया होता और लोगों से बात की होती तो अब तक समस्या का हल हो गया होता। इस हिंसा का हल करुणा, प्रेम और मानवीय संवेदनाओं में निहित है। लेकिन ऐसा लगता है कि भाजपा मुद्दों को हल करने की इच्छुक नहीं है और चाहती है कि समस्या बनी रहे।’’ मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह की आलोचना करते हुए शर्मिला ने कहा कि राज्य सरकार की गलत नीतियों ने मणिपुर को अभूतपूर्व संकट की ओर धकेल दिया है। शर्मिला ने कहा कि जातीय हिंसा में राज्य के युवाओं को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचा है। उन्होंने कहा कि हाल में एक युवक और युवती की मौत की घटना ने उन्हें व्यथित किया है। उन्होंने इस पूर्वोत्तर राज्य में महिलाओं की स्थिति को लेकर भी केंद्र पर निशाना साधा। अधिकार कार्यकर्ता ने कहा, ''मणिपुर की महिलाएं अफस्पा और जातीय हिंसा का दंश झेल रही हैं। अगर हम महिला की गरिमा की रक्षा नहीं कर सकते तो महिला सशक्तीकरण पर बातें करने और महिला आरक्षण विधेयक से कुछ नहीं होने वाला। क्या मणिपुर की महिलाएं मुख्य भू-भाग भारत की महिलाओं से अलग हैं? हम अलग दिखते हैं, इसका अर्थ यह नहीं है कि हमारे साथ अलग तरह से बर्ताव किया जाए।’’ शर्मिला ने राज्य से अफस्पा हटाने की मांग को लेकर 16 वर्ष तक भूख हड़ताल की थी। उन्होंने कहा, ‘‘भारत एक लोकतांत्रिक देश है। हमें औपनिवेशिक काल के इस कानून को कब तक ढोना चाहिए? उग्रवाद से लड़ने के नाम पर करोड़ों रुपये बर्बाद किये गये, जिनका उपयोग पूरे पूर्वोत्तर के विकास में किया जा सकता था। महीनों से इंटरनेट बंद है, बुनियादी अधिकार छीन लिए गए हैं। अगर मुंबई या दिल्ली में कानून व्यवस्था की समस्या हो तो क्या आप वहां अफस्पा लगा सकते हैं?’’ शर्मिला ने 2000 में इंफाल के पास मालोम में एक बस स्टॉप पर सुरक्षा बलों द्वारा कथित तौर पर दस नागरिकों की हत्या किए जाने के बाद अफस्पा के खिलाफ भूख हड़ताल शुरू की थी।

असम

असम से आई खबरों की बात करें तो आपको बता दें कि राज्य के करीमगंज जिले में एक किशोरी की गला घोंटकर हत्या करने के बाद उसके शव से दुष्कर्म करने के आरोप में रेलवे के एक कर्मी समेत तीन लोगों को बृहस्पतिवार को गिरफ्तार किया गया। पुलिस ने यह जानकारी दी। यह घटना नौ सितंबर की है और उसी दिन करीमगंज शहर बाईपास के पास से पीड़िता का शव बरामद कर लिया गया था। करीमगंज के पुलिस अधीक्षक (एसपी) पार्थ प्रीतम दास ने पत्रकारों को बताया कि पोस्टमार्टम में शव से दुष्कर्म करने की पुष्टि हुई है और यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पॉक्सो) कानून के तहत मामला दर्ज कर लिया गया है। एसपी ने बताया कि छानबीन के दौरान, पुलिस को लड़की की निजी डायरी से एक फोन नंबर मिला जिससे तीनों आरोपियों का पता चला और करीमगंज शहर में उनके घरों से उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। उन्होंने बताया कि पता चला कि रेलवे में नव नियुक्त एक कर्मचारी का लड़की के साथ प्रेम प्रसंग था और वह लड़की पर यौन संबंध बनाने का दबाव बना रहा था लेकिन लड़की ने इससे बार-बार इनकार किया था। एसपी ने कहा, ‘‘नौ सितंबर को, लड़की को उसके घर पर अकेला पाकर लड़की के दोस्त और उसके दो साथियों ने लड़की से बलात्कार करने की कोशिश की लेकिन जब उसने विरोध किया तो उन्होंने गला घोंटकर उसकी हत्या कर दी और फिर शव के साथ दुष्कर्म किया।’’ उन्होंने बताया कि आरोपियों ने बाईपास के पास शव को ठिकाने लगा दिया था। हालांकि पुलिस ने शव को बरामद कर लिया और लड़की के माता-पिता ने शव की पहचान कर ली।

इसके अलावा, असम-मेघालय अंतरराज्यीय सीमा के पास एक विवादित क्षेत्र में फिर से झड़प हो गई, जिससे एक व्यक्ति घायल हो गया। अधिकारियों ने बुधवार को यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि दोनों पक्षों के स्थानीय लोगों ने एक-दूसरे पर तीर-कमान और गुलेल से हमला किया। अधिकारियों के अनुसार, झड़प की यह घटना मेघालय के वेस्ट जयंतिया हिल्स जिले और असम के वेस्ट कार्बी आंगलोंग जिले के बीच सीमा पर लापांगप गांव में मंगलवार को हुई। अधिकारियों ने बताया कि घटना में कार्बी आंगलोंग जिले का एक व्यक्ति घायल हो गया, जबकि मेघालय की ओर से किसी को भी गंभीर चोट नहीं आई। दोनों राज्यों के पुलिस दलों ने घटनास्थल का दौरा किया और स्थानीय लोगों से बात कर उन्हें समझाया जिसके बाद स्थिति नियंत्रित हुई। मेघालय के एक अधिकारी ने कहा कि पुलिस ने झड़प वाले स्थान पर ग्रामीणों के जुटने पर रोक लगा दी। ऐसे में शांति तो है, लेकिन बुधवार को सुबह तक स्थिति तनावपूर्ण थी। वेस्ट जंयतिया हिल्स जिले के एक वरिष्ठ अधिकारी ने पीटीआई-भाषा को बताया, ‘‘हम स्थिति को नियंत्रण में रखने के लिए असम के वेस्ट कार्बी आंगलोंग जिले में अपने समकक्षों के साथ समन्वय कर रहे हैं।’’ लापांगप गांव के एक बुजुर्ग देइमोनमी लिंगदोह ने दावा किया कि गांव के किसान अपने धान के खेतों में काम कर रहे थे तभी खेतों के पास छिपे असम के लोगों ने उन पर गुलेल और तीर-कमान से हमला किया। उन्होंने कहा, ‘‘जैसे ही हमले के बारे में जानकारी मिली तो हमारे गांव के लगभग 250-300 लोग घटनास्थल पर पहुंचे और जवाबी हमला किया। कल पूरे दिन तनाव बना रहा।’’ उन्होंने जिला प्रशासन से सुरक्षा मुहैया कराने की मांग की है। वहीं, कार्बी आंगलोंग के तापत इलाके के स्थानीय लोगों ने आरोप लगाया कि मंगलवार को जब वे अपने खेतों में काम कर रहे थे तो पड़ोसी राज्य मेघालय के लगभग 200 लोगों ने उन पर गुलेल, लाठियों और खंजर से हमला किया। झड़प के कुछ वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुए हैं। असम-मेघालय अंतरराज्यीय सीमा के एक विवादित खंड पर स्थित मुकरोह गांव में पिछले साल 22 नवंबर को हुई गोलीबारी की घटना में पांच मेघालय निवासियों और असम के एक वन रक्षक सहित कम से कम छह लोगों की मौत हो गई थी। अंतरराज्यीय सीमा को पुनर्गठित करने के लिए दोनों पड़ोसी राज्यों के बीच आधिकारिक वार्ता अग्रिम चरण में है। दोनों राज्यों के मुख्यमंत्री वार्ता के एक और दौर के लिए अगले महीने की शुरुआत में बैठक करने वाले हैं। असम और मेघालय ने मतभेद वाले छह क्षेत्रों में विवाद को सुलझाने के लिए पिछले साल एक सीमा समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। सूत्रों ने बताया कि मतभेद वाले बाकी छह इलाकों पर बातचीत अग्रिम चरण में है।

इसके अलावा, असम के बक्सा जिला स्थित मानस राष्ट्रीय उद्यान एवं बाघ अभयारण्य को एक अक्टूबर से दोबारा पर्यटकों के लिए खोल दिया जाएगा। एक आधिकारिक अधिसूचना में बुधवार को यह जानकारी दी गई। विश्व विरासत सूची में शामिल इस राष्ट्रीय उद्यान को पांच जून को मानसून की वजह से बंद किया गया था। राष्ट्रीय उद्यान को पर्यटकों के लिए दोबारा खोलने के अवसर पर बाहबाड़ी रेंज में विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा। हालांकि, राष्ट्रीय उद्यान को दोबारा खोलने का फैसला मौसम पर निर्भर करेगा। यह राष्ट्रीय उद्यान रॉयल बंगाल टाइगर, एशियाई हाथी, एक सींग वाले गैंडों, तेंदुओं, डॉलफिन, लपांडा, सुनहरे लंगूर आदि के लिए प्रसिद्ध है। यहां पर चिड़ियों की कुल 450 प्रजातियों की पहचान की गई है।

मेघालय

मेघालय से आई खबर की बात करें तो आपको बता दें कि मेघालय उच्च न्यायालय के एक अतिरिक्त न्यायाधीश के एक सशस्त्र सुरक्षाकर्मी ने बुधवार को कथित तौर पर अपनी सर्विस राइफल से खुद को गोली मारकर आत्महत्या कर ली। पुलिस ने यह जानकारी दी। पुलिस ने बताया कि यह घटना सुबह लगभग साढ़े छह बजे लाबान थाना क्षेत्र में न्यायमूर्ति विश्वदीप भट्टाचार्जी के आवास पर हुई, जहां 46 वर्षीय सुरक्षाकर्मी ड्यूटी पर तैनात थे। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि पुलिस शव को पोस्टमार्टम के लिए शिलांग सिविल अस्पताल ले गई। उन्होंने कहा कि घटना की जांच के आदेश दिए गए हैं। अस्पताल में मौजूद परिवार के सदस्यों ने कहा कि उन्हें संदेह है कि पीड़ित व्यक्ति अवसाद से ग्रस्त था।

त्रिपुरा

त्रिपुरा से आई खबरों की बात करें तो आपको बता दें कि राज्य के खोवाई जिले में 25 वर्षीय महिला ने अपने दो बेटों को जहर देने के बाद कथित रूप से आत्महत्या कर ली। पुलिस ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी। चम्पाहौर थाने के प्रभारी अधिकारी सुक्रामोनी देबबर्मा ने बताया कि महिला की पहचान प्रमिला मुंडा के रूप में हुई है। पुलिस के मुताबिक, महिला के नौ साल के बेटे की खोवाई अस्पताल ले जाते समय मौत हो गई जबकि उसका 11 वर्ष का बेटा अगरतला के जीबीपी अस्पताल में जिंदगी की लड़ाई लड़ रहा है। उन्होंने बताया कि इस कदम के पीछे क्या वजह रही इसका पता लगाने के लिए जांच की जा रही है। पुलिस के मुताबिक, घटना बुधवार रात कमला बगान गांव की है। अधिकारी के मुताबिक, 'महिला ने पहले अपने दोनों बेटों को जहर दिया और उसके बाद स्वयं भी जहर खा लिया।' उन्होंने बताया कि अप्राकृतिक मृत्यु का मामला दर्ज कर जांच की जा रही है। पुलिस के मुताबिक, पेशे से दिहाड़ी मजदूर महिला के पति मनु देबबर्मा ने दावा किया कि जब यह घटना हुई तो वह घर पर मौजूद नहीं था।

इसके अलावा, त्रिपुरा में राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय (एनएसडी) का परिसर स्थापित करने के लिए राज्य सरकार ने 2.36 एकड़ जमीन आवंटित की है। अधिकारियों ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी। अधिकारियों ने बताया कि यह परिसर वेस्ट त्रिपुरा जिले के रानीरबाजार में स्थापित किया जाएगा और इसके संबंध में एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए गए हैं। एनएसडी अगरतला केंद्र के कार्यक्रम समन्वयक सुबीर रॉय ने बताया, ‘‘एनएसडी के अनुरोध के बाद राज्य सरकार ने 2.36 एकड़ जमीन आवंटित की है। दोनों पक्षों के बीच मंगलवार को एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए।’’ उन्होंने कहा, ‘‘अब, हम त्रिपुरा में एनएसडी केंद्र स्थापित करने का काम शुरू करने से पहले भूमि का दाखिलखारिज करेंगे। वर्तमान में, एनएसडी केंद्र नजरुल कलाक्षेत्र से संचालित किया जा रहा है।’’ उन्होंने बताया कि फिलहाल, अगरतला केंद्र में ‘थिएटर इन एजुकेशन’ के तहत एक साल का पाठ्यक्रम पढ़ाया जा रहा है, जिसे बढ़ा कर दो साल किया जाएगा। रॉय ने बताया कि फिलहाल 20 छात्र पाठ्यक्रम की पढ़ाई कर रहे हैं।

इसके अलावा, त्रिपुरा के मुख्यमंत्री माणिक साहा ने त्वरित प्रशासनिक कामकाज के लिए कागज रहित प्रणाली अपनाने के सरकार के प्रयासों के तहत बुधवार को एक ई-कैबिनेट की शुरुआत की। डिजिटल पहल के क्रियान्वयन के साथ त्रिपुरा ई-कैबिनेट की शुरुआत करने वाला चौथा राज्य है। इससे पहले उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश और अरुणाचल प्रदेश ने इस परियोजना की शुरुआत की थी। मुख्यमंत्री ने उद्घाटन कार्यक्रम में कहा, ‘‘अब से, मंत्रिपरिषद एक डिजिटल संस्करण, ई-कैबिनेट एप्लिकेशन का उपयोग करके कैबिनेट की बैठकें करेगी। यह कागज रहित होगा और प्रशासन को तेज गति और पारदर्शी तरीके से चलाने में कई फायदे देगा।’’

इसके अलावा, त्रिपुरा राज्य बिजली निगम लिमिटेड (टीएसईसीएल) ने बिजली शुल्क में औसतन पांच से सात प्रतिशत की वृद्धि की है। एक अधिकारी ने बताया कि नई दरें एक अक्टूबर से प्रभावी होंगी। कभी लाभ कमाने वाली सरकारी इकाई रही टीएससीईएल को वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान कुल 280 करोड़ रुपये का घाटा हुआ है और चालू वित्त वर्ष के पहले तीन महीनों में इसे 80 करोड़ रुपये का घाटा हुआ है। टीएसईसीएल ने बिजली दरों में इससे पहले 2014 में बदलाव किया था। फिलहाल, पूर्वोत्तर राज्य में लगभग 10 लाख बिजली उपभोक्ता हैं। टीएसईसीएल के प्रबंध निदेशक देबाशीष सरकार ने कहा, “सभी कारकों पर विचार करने और त्रिपुरा बिजली नियामक आयोग (टीईआरसी) के साथ परामर्श के बाद बिजली निगम को बचाने के लिए बिजली दरों में औसतन 5-7 प्रतिशत की बढ़ोतरी की गई है।” उन्होंने कहा कि बढ़ोतरी के पीछे मुख्य कारण गैस की कीमत में वृद्धि है। पिछले कुछ वर्षों में इसमें लगभग 196 प्रतिशत वृद्धि हो चुकी है। सरकार ने कहा, “पहले, टीएसईसीएल गैस आधारित बिजली उत्पादन इकाइयों को चलाने के लिए प्रति माह गैस की खरीद पर 15 करोड़ रुपये खर्च करती थी, लेकिन अब यह खर्च बढ़कर 35-40 करोड़ रुपये मासिक हो गया है। बिजली दरों में बढ़ोतरी के अलावा कोई रास्ता नहीं है।”

इसके अलावा, त्रिपुरा में मुख्य विपक्षी दल टिपरा मोथा ने ‘ग्रेटर टिपरालैंड’ राज्य की मांग के ‘शीघ्र संवैधानिक समाधान’ के लिए दबाव बनाने के उद्देश्य से 30 सितंबर को राज्य के आदिवासी इलाकों में 12 घंटे के बंद का आह्वान किया है। ‘ग्रेटर टिपरालैंड’ की मांग पर अड़े टिपरा मोथा को इस साल राज्य विधानसभा चुनाव में 13 सीटें मिली थीं। पार्टी ने 42 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे। टिपरा मोथा प्रमुख प्रद्योत किशोर माणिक्य देबबर्मा ने संवाददाताओं से बातचीत में कहा, ‘‘समस्याओं के शीघ्र समाधान के लिए, केंद्र को संदेश भेजने और संवैधानिक अधिकारों के वास्ते यह टिपरासा लोगों के आंदोलन की शुरुआत है।’’ देबबर्मा ने कहा कि बंद का आयोजन त्रिपुरा जनजातीय क्षेत्र स्वायत्त जिला परिषद (टीटीएएडीसी) के क्षेत्रों में किया जाएगा। उन्होंने टिपरासा के लोगों से इसमें शामिल होने की अपील की। टिपरा मोथा के नियंत्रण वाले टीटीएएडीसी का आदिवासी क्षेत्रों पर शासन है, जिसमें राज्य का लगभग 70 प्रतिशत भौगोलिक क्षेत्र शामिल है और लगभग 30 प्रतिशत आबादी रहती है। उन्होंने कहा, ‘त्रिपुरा एक छोटा राज्य है... केंद्र को कई चीजें देखनी पड़ती हैं। हम अपने समुदाय को बचाने और उसके अस्तित्व के लिए केंद्र से शीघ्र समाधान चाहते हैं।’ यह पूछे जाने पर कि क्या टिपरा मोथा ‘ग्रेटर टिपरालैंड’ के बजाय केंद्र के किसी अन्य प्रस्ताव को स्वीकार करेगी, देबबर्मा ने कहा, ‘‘केंद्र को आधिकारिक तौर पर एक प्रस्ताव लाने दें, हम पार्टी नेताओं के बीच परामर्श के बाद निर्णय करेंगे।’’ उन्होंने कहा, ‘‘मुझे विश्वास है कि केंद्र स्वदेशी लोगों के हितों के खिलाफ नहीं है। अगर बोडो और दिमासा लोगों को संवैधानिक गारंटी मिल सकती है, तो टिपरासा को क्यों वंचित किया जाएगा।’’

अरुणाचल प्रदेश

अरुणाचल प्रदेश से आई खबरों की बात करें तो आपको बता दें कि राज्य के तवांग में रविवार को पूर्वोत्तर क्षेत्र की ऊंचाई पर आयोजित होने वाली पहली मैराथन में सेना, नौसेना और वायुसेना हिस्सा लेंगी। भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी), सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ), केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) और सशस्त्र सीमा बल (एसएसबी) जैसे केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल भी इस मैराथन के लिए अपनी टीम भेज रहे हैं। भारत के सबसे दुर्गम मार्ग से होकर गुजरने वाली इस मैराथन के लिए देश-विदेश से करीब 2,500 लोगों ने पंजीकरण कराया है। यह मैराथन समुद्र की सतह से 10,000 फुट की ऊंचाई पर आयोजित की जा रही है। इस मैराथन का आयोजन भारतीय सेना और अरुणाचल प्रदेश सरकार संयुक्त रूप से पेशेवर खेल इवेंट मैनेजमेंट कंपनी सायरंस स्पोर्ट एलएलपी के सहयोग से कर रही हैं। इसका उद्देश्य तवांग को अंतरराष्ट्रीय मैराथन मानचित्र पर ले जाना और एकता की भावना तथा खेल व स्वस्थ जीवनशैली को बढ़ावा देने की ओर साझा प्रतिबद्धता दिखाना है। आयोजकों ने दावा किया कि यह पूर्वोत्तर क्षेत्र की ऊंचाई पर आयोजित होने वाली पहली और देश की सबसे चुनौतीपूर्ण मैराथन होगी। उन्होंने बताया कि तवांग मैराथन में भाग लेने वाले लोगों में 550 महिलाएं हैं। तवांग स्टेडियम में इस मैराथन को केंद्रीय मंत्री किरेन रीजीजू, अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू और गजराज कोर के जीओसी लेफ्टिनेंट जनरल मनीष हरी झंडी दिखाएंगे।

इसके अलावा, अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने आश्वासन दिया कि चीन के हांगझोउ में एशियाई खेलों में भाग नहीं ले सकीं राज्य की तीन वुशु खिलाड़ियों को भारतीय वुशु टीम के सहभागियों के रूप में लिया जाएगा तथा उन्हें राज्य की खेलकूद नीति के तहत 20 लाख रुपये प्रोत्साहन राशि दी जाएगी। इन तीन वुशु खिलाड़ियों को हांगझोउ एशियाई खेलों के लिए चीन की यात्रा का वीजा नहीं मिला था जिससे वे इस खेलकूद आयोजन में भाग नहीं ले सकीं। मुख्यमंत्री कार्यालय के बयान के अनुसार तीन वुशु खिलाड़ियों-- ओनिलू टेगा, नेमान वांग्सू और मेपुंग लामगू ने खांडू से उनके कार्यालय में मुलाकात की। उनके साथ खेल एवं युवा मामले के मंत्री मामा नाटुंग, उनके कोच मैबाम प्रेमचंद्र सिंह, खेल सचिव आबू तायेंगे तथा अरूणाचल ओलंपिक एसोसिएशन और अरूणाचल वुशु एसोसिएशन के अधिकारी भी थे। खांडू ने कहा कि ये तीनों एथलीट एशियाई खेल के लिए क्वालीफाई करने वाली अरुणाचल की पहली खिलाड़ी थीं लेकिन वे इस प्रतिष्ठित आयोजन में शामिल नहीं हो पायीं, जिसके लिए उनकी कोई गलती नहीं है। उन्होंने कहा कि एशियाई खेल में भाग लेने वाले एथलीट से जुड़ी राज्य की खेल नीति के अनुसार तीनों को 20-20 लाख रुपये नकद प्रोत्साहन राशि मिलेगी। उन्होंने यह भी कहा कि कोच मैबाम प्रेमचंद्र सिंह को इन एथलीटों को मिलने वाली प्रोत्साहन राशि का 10 प्रतिशत हिस्सा मिलेगा। युवा वुशु खिलाड़ियों से बातचीत में खांडू ने उन्हें और कठिन प्रशिक्षण करने तथा जापान के टोक्यो में होने वाले अगले 2026 एशियाई खेल पर ध्यान देने के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने कहा, ''सच्चे खिलाड़ी के तौर पर आपसे आशा है कि आप निराश न हों तथा अगले टूर्नामेंट के लिए और कठिन तैयारी करें। भले ही आप इस बार अपनी प्रतिभा नहीं दिखा पाये हों लेकिन हमारे लिए आप नायिका हैं और पदक विजेता हैं।’’ उन्होंने उन्हें अपने भविष्य की चिंता नहीं करने को भी कहा क्योंकि राज्य की खेल नीति श्रेष्ठ खिलाड़ियों को सरकारी नौकरी देती है।

इसके अलावा, अरुणाचल प्रदेश और नगालैंड के कुछ हिस्सों में सशस्त्र बल (विशेष शक्तियां) अधिनियम (अफस्पा) की अवधि मंगलवार को आगामी एक अक्टूबर से अगले छह महीने तक के लिए बढ़ा दी गई। अफस्पा अशांत क्षेत्रों में तैनात सशस्त्र बलों के कर्मियों को "कानून व्यवस्था को बनाए रखने" के लिए आवश्यक समझे जाने पर तलाशी लेने, गिरफ्तार करने और गोली चलाने की व्यापक शक्तियां प्रदान करता है। अरुणाचल प्रदेश और नगालैंड के कुछ जिलों और थाना क्षेत्रों में अफस्पा कई वर्षों से लागू है एवं समय-समय पर इसकी अवधि बढ़ाई जाती है। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने एक अधिसूचना में कहा कि केंद्र सरकार ने सशस्त्र बल (विशेष शक्तियां) अधिनियम, 1958 (1958 का 28) की धारा-3 द्वारा प्रदत्त शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए 24 मार्च, 2023 को जारी एक अधिसूचना के माध्यम से अरुणाचल प्रदेश के तिरप, चांगलांग और लोंगडिंग जिलों तथा असम राज्य की सीमा से लगे अरुणाचल प्रदेश के नामसाई जिले के नामसाई, महादेवपुर और चौखम पुलिस थाना क्षेत्रों को 'अशांत क्षेत्र' के रूप में घोषित किया था। मंत्रालय के मुताबिक, अरुणाचल प्रदेश में कानून-व्यवस्था की स्थिति की फिर से समीक्षा की गई है। उसने कहा, "इसलिए अब अरुणाचल प्रदेश के तिरप, चांगलांग और लोंगडिंग जिलों तथा असम की सीमा से लगे अरुणाचल प्रदेश के नामसाई जिले के नामसाई, महादेवपुर और चौखम पुलिस थाना क्षेत्रों को सशस्त्र बल (विशेष शक्तियां) अधिनियम, 1958 की एक अक्टूबर 2023 से अगले छह महीने के लिए, या आदेश जब तक वापस नहीं लिया जाता, तब तक 'अशांत क्षेत्र' घोषित किया जाता है।" एक अलग अधिसूचना में गृह मंत्रालय ने कहा कि केंद्र सरकार ने 24 मार्च 2023 को एक अधिसूचना के माध्यम से नगालैंड के आठ जिलों और पांच अन्य जिलों के 21 थाना क्षेत्रों को एक अप्रैल 2023 से छह महीने की अवधि के लिए "अशांत क्षेत्र" घोषित किया था। मंत्रालय के अनुसार, नगालैंड में कानून-व्यवस्था की स्थिति की फिर से समीक्षा की गई। उसने कहा, "इसलिए अब नगालैंड के दीमापुर, निउलैंड, चुमौकेदिमा, मोन, किफिर, नोकलाक, फेक और पेरेन जिलों के अलावा उन इलाकों को सशस्त्र बल (विशेष शक्तियां) अधिनियम, 1958 की धारा-3 के तहत छह महीने की अवधि के लिए, या आदेश जब तक वापस नहीं लिया जाता, तब तक 'अशांत क्षेत्र' घोषित किया जाता है, जो i) कोहिमा जिले के खुजामा, कोहिमा उत्तर, कोहिमा दक्षिण, जुब्ज़ा और केज़ोचा पुलिस थाने; ii) मोकोकचुंग जिले के मंगकोलेम्बा, मोकोकचुंग-I, लोंगथो, तुली, लोंगकेम और अनाकी 'सी' पुलिस थाने; iii) लोंगलेंग जिले के यांगलोक पुलिस थाने; iv) वोखा जिले के भंडारी, चंपांग और रालन पुलिस थाने; और v) जुन्हेबोटो जिले के घाटशी, पुघोबोटो, सताखा, सुरुहुतो, जुन्हेबोटो और अघुनाटो पुलिस थाने के अधिकार क्षेत्र में आते हैं।"

नगालैंड

नगालैंड से आई खबर की बात करें तो आपको बता दें कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने बेंजामिन येप्थोमी को पार्टी की नगालैंड इकाई का तत्काल प्रभाव से अध्यक्ष नियुक्त किया। पार्टी के एक पदाधिकारी ने यह जानकारी दी। भाजपा की नगालैंड इकाई के अध्यक्ष रूप में 45 वर्षीय येप्थोमी ने तेमजेन इम्ना अलोंग की जगह ली है। भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव और मुख्यालय प्रभारी अरुण सिंह द्वारा जारी एक नियुक्ति आदेश में कहा गया है, “भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा ने बेंजामिन येप्थोमी को भाजपा की नगालैंड इकाई का अध्यक्ष नियुक्त किया है।” येप्थोमी ने पार्टी संगठन में विभिन्न पदों पर कार्य किया है। लगातार दो बार राज्य भाजयुमो का अध्यक्ष रहने के बाद उन्हें नवंबर 2021 में नगालैंड भाजपा प्रदेश का उपाध्यक्ष बनाया गया था। येप्थोमी ने प्रदेश भाजपा अध्यक्ष बनाए जाने पर सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, भाजपा अध्यक्ष नड्डा, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और राष्ट्रीय महासचिव (संगठन) बीएल संतोष का आभार व्यक्त किया।

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