मुसलमानों से संपत्तियों को छीनने का कोई इरादा नहीं, इस वजह से वक्फ अधिनियम में संशोधन लाने की तैयारी में सरकार
घटनाक्रम से वाकिफ सूत्रों ने बताया कि कई गरीब मुस्लिम और खासकर मुस्लिम महिलाएं न्याय के लिए सरकार के पास पहुंची हैं। उन्होंने यह भी व्यक्त किया है कि कैसे ये संपत्तियां बहुत शक्तिशाली लोगों के नियंत्रण में हैं और आम आदमी के दुखों के बारे में किसी ने सोचा भी नहीं है।
जानकारी के मुताबिक भाजपा के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार वक्फ बोर्ड की शक्तियों को सीमित करने के लिए वक्फ अधिनियम में संशोधन लाने की तैयारी में है। इसको लेकर संसद में संशोधन विधेयक पेश किया जा सकता है। सरकारी सूत्रों ने कहा कि अल्पसंख्यक आबादी के कई वर्गों द्वारा पैदा की जा रही इस आशंका को दूर करने के लिए कि यह विधेयक अल्पसंख्यकों के अधिकारों को छीन लेगा, आगामी कानून केवल मुस्लिम समर्थक होगा।
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घटनाक्रम से वाकिफ सूत्रों ने बताया कि कई गरीब मुस्लिम और खासकर मुस्लिम महिलाएं न्याय के लिए सरकार के पास पहुंची हैं। उन्होंने यह भी व्यक्त किया है कि कैसे ये संपत्तियां बहुत शक्तिशाली लोगों के नियंत्रण में हैं और आम आदमी के दुखों के बारे में किसी ने सोचा भी नहीं है। अधिनियम पहली बार 1954 में लाया गया था, 1995 में और फिर 2013 में संशोधित किया गया था। पहले के रूप में, ट्रिब्यूनल का शब्द अंतिम और बाध्यकारी था, लेकिन अब प्रस्तावित नए संशोधन के साथ जो कोई भी आगे बढ़ना चाहता है वह किसी भी विवाद की स्थिति में उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटा सकता है।
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एक सूत्र ने नेकवर्क 18 को बताया कि सरकार का इन संपत्तियों को मुसलमानों से छीनने का कोई इरादा नहीं है, आखिरकार, इन संपत्तियों का उपयोग केवल मुस्लिम समुदाय को लाभ पहुंचाने के लिए ही किया जा सकता है। जो लाया जा रहा है वह एक व्यवस्थित प्रक्रिया है ताकि इसका लाभ गरीब से गरीब व्यक्ति तक पहुंच सके। रेलवे और रक्षा सहित सरकारी संस्थाओं के स्वामित्व वाली भूमि के बाद, वक्फ संपत्तियों की संख्या तीसरी सबसे अधिक है। हालाँकि, ऐसी संपत्तियों से आने वाला राजस्व इन संपत्तियों की कीमत के आसपास भी नहीं ठहरता है। दरअसल, प्रति वर्ष राजस्व 200 करोड़ को भी पार नहीं कर पाता।
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