COVID-19 के खिलाफ जारी लड़ाई में जगी नई उम्मीद, इन नई दवाइयों से हारेगा कोरोना!

Corona
अभिनय आकाश । May 7 2020 1:06PM

कोविड-19 रोगियों को एचआईवी-रोधी दवा के संयोजन के लिए अस्पताल को रोगी से लिखित सूचित सहमति प्राप्त करने की आवश्यकता होगी। साथ ही, ऐसे रोगियों को केस-टू-केस आधार पर इस प्रोटोकॉल में शामिल किया जाएगा।

एचआईवी संक्रमण को नियंत्रित करने के लिए उपयोग किए जाने वाले लोपिनवीर और रटनवीर दोनों दवाओं के संयोजन का उपयोग कोविड-19 मरीजों के लिए करने की अनुमति मिल गई। स्वास्थ्य अनुसंधान के लिए भारत की सर्वोच्च निकाय, भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) ने विस्तृत दिशा-निर्देश जारी किए हैं जिसमें कहा गया है कि दवा के संयोजन का उपयोग अस्पताल में भर्ती मरीजों के इलाज के लिए किया जा सकता है। जिससे एक उम्मीद की नई किरण जगी है।

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ICMR ने एक दर्जन से अधिक अन्य दवाओं की पहचान की है, जिसमें रेमेड्सविर (मूल रूप से इबोला के इलाज में प्रयोग) माइकोबैक्टीरियम डब्ल्यू (मूल रूप से कुष्ठ रोग के इलाज में प्रयोग) शामिल हैं। सूत्रों के अनुसार इसके अलावा डिसुल्फिरम (शराब निर्भरता के उपचार के लिए दवा) और रेसवेराट्रॉल (अंगूर से एक प्राकृतिक यौगिक जो दिल और अन्य बीमारियों के लिए नैदानिक ​​परीक्षणों के तहत है), जिसका उपयोग कोविड -19 के इलाज के लिए किया जा सकता है। इन दवाओं में से कुछ भारत में नैदानिक ​​परीक्षणों से गुजर रही हैं। ।

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हालांकि अब तक, ICMR का लगातार कहना रहा है कि कोरोना वायरस के लिए केवल सावधानीपूर्वक सहायक देखभाल को छोड़कर कोई प्रभावी उपचार की सिफारिश नहीं की गई है। 

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यहां आपको बता दें कि लोपिनवीर / रटनवीर कॉम्बिनेशन दवा का इस्तेमाल फिलहाल, एड्स जैसी बीमारियों के लिए किया जाता है। वर्तमान में कोरोना वायरस के SARS और MERS के खिलाफ इस दवा का इस्तेमाल हो चुका है। 

कोरोना वायरस सार्स या SARS (Severe Acute Respiratory Syndrome) जिसे SARS coronavirus (SARS-CoV) कहते हैं। मार्स को Middle East respiratory syndrome coronavirus (MERS-CoV) भी कहते हैं, इसी परिवार का हिस्सा है। कभी इन दोनों ने भी दुनिया को डराया था।

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कोविड-19 रोगियों को एचआईवी-रोधी दवा के संयोजन के लिए अस्पताल को रोगी से लिखित सूचित सहमति प्राप्त करने की आवश्यकता होगी। साथ ही, ऐसे रोगियों को केस-टू-केस आधार पर इस प्रोटोकॉल में शामिल किया जाएगा। अस्पतालों को क्लिनिकल, प्रयोगशाला, साथ ही सुरक्षा परिणामों के बारे में विश्वसनीय डेटा उत्पन्न करने के लिए रोगियों की बारीकी से निगरानी करनी होगी। 

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कुछ मामलों में उपचार के परिणाम आने के बाद ही भविष्य में कोविड-19 मामलों के नैदानिक ​​प्रबंधन के बारे में मार्गदर्शन प्रदान करने में सहायक साबित होंगे। आईसीएमआर का कहना है कि परिषद के महानिदेशक बलराम भार्गव एचआईवी-रोधी दवाओं का उपयोग कर उपचार प्रोटोकॉल विकसित करने में सक्रिय रूप से शामिल थे। हाल ही में, ICMR ने मलेरिया-रोधी दवा हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वाइन (HCQ) का उपयोग स्वास्थ्य कर्मियों के बीच रोगनिरोधी उपयोग के लिए किया। सूत्रों के अनुसार एम्स दिल्ली, एम्स भोपाल, एलएनजेपी अस्पताल और सर गंगा राम अस्पताल, आईसीएमआर द्वारा स्वास्थ्य कर्मियों के बीच संक्रमण को रोकने के लिए इसकी प्रभावकारिता का आकलन करने के लिए निर्देशित किया गया है।

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