Prabhasakshi Exclusive: Modi की Podcast Diplomacy का जलवा देखिये, US और China के भारत के बारे में सुर बदले बदले नजर आ रहे

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ANI

ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि मोदी ने पॉडकास्ट में कहा था कि पूर्वी लद्दाख में दोनों देशों की सेनाओं के बीच 2020 में हुई झड़पों से उत्पन्न तनाव को कम करने के लिए राष्ट्रपति शी के साथ उनकी हालिया बातचीत के बाद भारत-चीन सीमा पर सामान्य स्थिति लौट आई है।

प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क के खास कार्यक्रम शौर्य पथ में इस सप्ताह हमने ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) से जानना चाहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के एक पॉडकास्ट से अमेरिका और चीन के साथ भारत के संबंध एकदम से मधुर नजर आ रहे हैं। यह कैसी डिप्लोमेसी थी? इसके जवाब में उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने भारत की विदेश नीति में जो आवश्यक बदलाव किये हैं यह उसी का ही परिणाम है कि पूरी दुनिया उनकी मुरीद नजर आती है। उन्होंने कहा कि यहां तक कि विपक्षी पार्टी के एक बड़े नेता ने भी माना है कि तीन साल पहले उन्होंने यूक्रेन युद्ध पर मोदी सरकार की नीति की जो आलोचना की थी वह गलत है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री के पॉडकास्ट के बाद अमेरिका और चीन के बयान देखकर कहा जा सकता है कि भारत के प्रधानमंत्री की बात पूरी दुनिया सुनती भी है और उसे सराहती भी है। उन्होंने कहा कि दूसरी ओर डोनाल्ड ट्रंप जबसे अमेरिका के दोबारा राष्ट्रपति बने हैं तबसे एकमात्र मोदी को छोड़कर उनके संबंध हर विदेशी नेता से तनावपूर्ण ही दिख रहे हैं। उन्होंने कहा कि भारत और अमेरिका के बीच टैरिफ को लेकर जो गर्मागर्मी दिख भी रही थी वह प्रधानमंत्री के पॉडकास्ट के बाद थोड़ी ठंडी पड़ गयी है। उन्होंने कहा कि यह कोई सामान्य बात नहीं है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया मंच 'ट्रुथ सोशल' पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अमेरिका के लोकप्रिय पॉडकास्टर एवं कंप्यूटर वैज्ञानिक लेक्स फ्रीडमैन के साथ बातचीत का वीडियो लिंक साझा किया है।

ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि अमेरिकी पॉडकास्टर लेक्स फ्रीडमैन के साथ एक पॉडकास्ट में चर्चा करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा था कि अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और उनके बीच परस्पर विश्वास का रिश्ता है और वे बेहतर तरीके से एक-दूसरे के संपर्क में रहते हैं, क्योंकि वे हर चीज से ऊपर अपने राष्ट्रीय हितों को रखने में विश्वास करते हैं। उन्होंने कहा कि मोदी ने कहा था कि ट्रंप के साथ उनका आपसी विश्वास का रिश्ता तब भी अडिग रहा जब रिपब्लिकन पार्टी के नेता राष्ट्रपति नहीं थे। उन्होंने कहा कि पॉडकास्ट में मोदी ने ट्रंप की प्रशंसा करते हुए उन्हें एक साहसी व्यक्ति बताया था, जिसने अपने फैसले खुद किए और जो अमेरिका के प्रति अटूट रूप से समर्पित रहे हैं।

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ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि वहीं चीन ने भी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की भारत-चीन संबंधों पर ‘‘सकारात्मक’’ टिप्पणी की सराहना की है जिसमें उन्होंने विवाद के बजाय संवाद पर जोर दिया था। उन्होंने कहा कि चीन के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता माओ निंग ने कहा है कि चीन ने चीन-भारत संबंधों पर प्रधानमंत्री मोदी की हालिया सकारात्मक टिप्पणी पर ध्यान दिया है और इसकी सराहना करता है। उन्होंने कहा कि मोदी की इस टिप्पणी पर कि भारत और चीन के बीच संबंध कोई नयी बात नहीं है, क्योंकि दोनों देशों की संस्कृतियां और सभ्यताएं प्राचीन हैं और वे सदियों से एक-दूसरे से सीखते आए हैं, माओ ने कहा था कि मैं इस बात पर जोर देना चाहती हूं कि दो हजार से अधिक वर्षों के इतिहास में चीन-भारत संबंधों की मुख्य धारा मैत्रीपूर्ण आदान-प्रदान और आपसी सीख रही है। 

ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि मोदी ने अपने पॉडकास्ट में कहा था कि पूर्वी लद्दाख में दोनों देशों की सेनाओं के बीच 2020 में हुई झड़पों से उत्पन्न तनाव को कम करने के लिए राष्ट्रपति शी के साथ उनकी हालिया बातचीत के बाद भारत-चीन सीमा पर सामान्य स्थिति लौट आई है। उन्होंने कहा कि विश्व के दो सर्वाधिक जनसंख्या वाले देशों के बीच संबंधों के प्रति आशावादी रुख अपनाते हुए मोदी ने कहा था कि पड़ोसियों के बीच मतभेद स्वाभाविक हैं तथा उन्होंने उनके बीच प्राचीन सांस्कृतिक संबंधों पर जोर दिया था, जब दोनों सभ्यताएं एक-दूसरे से सीखती थीं तथा उनके बीच बहुत कम संघर्ष होता था। उन्होंने कहा कि मोदी ने कहा था कि उनके प्रयासों का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि उनके मतभेद विवाद में न बदल जाएं और विवाद के बजाय संवाद पर जोर देते हैं। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने अपने पॉडकास्ट में यह भी बताया था कि दोनों देशों ने एक समय वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 50 प्रतिशत से अधिक का योगदान दिया था। उन्होंने कहा कि देखा जाये तो इसमें कोई दो राय नहीं कि भारत और चीन के बीच पारस्परिक सहयोग ना सिर्फ दोनों के लिए लाभकारी है बल्कि वैश्विक शांति और समृद्धि के लिए आवश्यक भी है।

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