Yes Milord: राहुल गांधी और लालू यादव को चुनाव लड़ने से नहीं रोक सकते, चुनाव प्रचार के लिए बेल पर बाहर आएंगे केजरीवाल? इस हफ्ते कोर्ट में क्या-क्या हुआ
इस सप्ताह यानी 29 अप्रैल से 04 मई 2024 तक क्या कुछ हुआ? कोर्ट के कुछ खास ऑर्डर/जजमेंट और टिप्पणियों का विकली राउंड अप आपके सामने लेकर आए हैं। कुल मिलाकर कहें तो आपको इस सप्ताह होने वाले भारत के विभिन्न न्यायालयों की मुख्य खबरों के बारे में बताएंगे।
सुप्रीम कोर्ट ने भरी अदालत में क्यों लिया राहुल गांधी और लालू यादव का नाम। राजस्थान में बाल विवाह को लेकर हाई कोर्ट ने चेताया, बंगाल सरकार की अर्जी पर सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार ने कहा सीबीआई हमारे कंट्रोल में नहीं है। चुनाव में केजरीवाल को मिलेगी राहत? सुप्रीम कोर्ट ने क्या बड़ी टिप्पणी कर दी। इस सप्ताह यानी 29 अप्रैल से 04 मई 2024 तक क्या कुछ हुआ? कोर्ट के कुछ खास ऑर्डर/जजमेंट और टिप्पणियों का विकली राउंड अप आपके सामने लेकर आए हैं। कुल मिलाकर कहें तो आपको इस सप्ताह होने वाले भारत के विभिन्न न्यायालयों की मुख्य खबरों के बारे में बताएंगे।
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चुनाव का जिक्र कर अदालत की टिप्पणी
सुप्रीम कोर्ट ने प्रवर्तन निदेशालय से कहा कि वह चुनाव के कारण अरविंद केजरीवाल की अंतरिम जमानत के सवाल पर विचार कर सकता है। शीर्ष अदालत ने ईडी के वकील से कहा कि वह मंगलवार (7 मई) को मामले की सुनवाई करते समय इस पहलू पर तैयार होकर आएं। न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और दीपांकर दत्ता की पीठ ने दोनों पक्षों को सचेत करते हुए कहा कि वे यह न मानें कि अदालत जमानत दे देगी। कोर्ट ने कहा कि हम अनुदान दे सकते हैं या हम अनुदान नहीं दे सकते। लेकिन हमें आपके लिए खुला रहना चाहिए क्योंकि किसी भी पक्ष को आश्चर्य नहीं होना चाहिए। इसके साथ ही ईडी से संभावित समाधान पेश करने को कहा। अगर दिल्ली के मुख्यमंत्री को अंतरिम जमानत दी जाती है तो केजरीवाल पर शर्तें लगाई जाएंगी। अदालत ने ईडी से यह भी विचार करने को कहा कि क्या केजरीवाल को मुख्यमंत्री के रूप में अपनी स्थिति को ध्यान में रखते हुए किसी भी फाइल पर हस्ताक्षर करना चाहिए।
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राहुल गांधी या लालू यादव नाम होने पर चुनाव से रोक नहीं सकते
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राजनेता के समान नाम होने से किसी व्यक्ति के चुनाव लड़ने के अधिकार पर कोई असर नहीं पड़ता है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि किसी व्यक्ति को सिर्फ इसलिए लड़ने से नहीं रोका जा सकता क्योंकि उसका नाम किसी राजनेता के साथ मिलता है। न्यायमूर्ति बीआर गवई, न्यायमूर्ति सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की अध्यक्षता वाली तीन-न्यायाधीशों वाली पीठ ने यह टिप्पणी तब की जब चुनावों में हमनाम उम्मीदवारों का मुद्दा उठाते हुए भारत के चुनाव आयोग (ईसीआई) को समाधान के लिए तत्काल कदम उठाने के निर्देश देने की मांग वाली याचिका सामने आई। कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी।
बाल विवाह होने पर ग्राम प्रधान होंगे जिम्मेदार
राजस्थान उच्च न्यायालय ने 1 मई को राज्य सरकार को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है कि राज्य में कोई बाल विवाह न हो, और आदेश दिया कि यदि ऐसा होता है तो ग्राम प्रधान और पंचायत सदस्यों को जवाबदेह ठहराया जाएगा। हाई कोर्ट का आदेश इस साल 10 मई को पड़ने वाले अक्षय तृतीया त्योहार से पहले आया है। परंपरागत रूप से, राजस्थान में अक्षय तृतीया पर कई बाल विवाह संपन्न होते हैं। राजस्थान उच्च न्यायालय की खंडपीठ एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें बाल विवाह को रोकने के लिए अदालत के हस्तक्षेप की मांग की गई थी। सुनवाई के दौरान अदालत ने कहा कि बाल विवाह निषेध अधिनियम 2006 लागू होने के बावजूद राज्य में बाल विवाह अभी भी जारी है। अदालत ने इस बात पर ज़ोर दिया कि हालाँकि अधिकारियों के प्रयासों से बाल विवाह के मामलों में कमी आई है, फिर भी बहुत कुछ करने की ज़रूरत है।
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पश्चिम बंगाल मामले में सुप्रीम कोर्ट में मोदी सरकार ने क्या कहा
केंद्र सरकार ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट को बताया कि केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) भारत संघ के नियंत्रण में नहीं है। बता दें कि राज्य की पूर्वानुमति के बिना एजेंसी द्वारा कई मामलों में जांच जारी रखने पर पश्चिम बंगाल द्वारा दायर मुकदमे पर प्रारंभिक आपत्ति जताई गई थी। केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने जस्टिस बीआर गवई और संदीप मेहता की पीठ से कहा कि भारत संघ ने कोई मामला दर्ज नहीं किया है, सीबीआई ने दर्ज किया है। एजेंसी केंद्र के नियंत्रण में नहीं है। पश्चिम बंगाल ने संविधान के अनुच्छेद 131 के तहत सुप्रीम कोर्ट में केंद्र के खिलाफ एक मूल मुकदमा दायर किया है। वहां की तृणमूल सरकार ने अपने मुकदमे में कहा कि राज्य द्वारा पश्चिम बंगाल में मामलों की जांच के लिए संघीय एजेंसी को सामान्य सहमति रद्द करने के बावजूद, सीबीआई ने एफआईआर दर्ज करना और जांच जारी रखी है।
न्यूजक्लिक केस में HR चक्रवर्ती की जमानत पर हाईकोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा
दिल्ली उच्च न्यायालय ने गैर-कानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) के तहत दर्ज मामले में समाचार पोर्टल न्यूजक्लिक के मानव संसाधन विभाग प्रमुख अमित चक्रवर्ती की जमानत याचिका पर शुक्रवार को अपना आदेश सुरक्षित रख लिया। चीन समर्थक दुष्प्रचार के लिए धन प्राप्त करने के आरोप में समाचार पोर्टल के खिलाफ यूएपीए के तहत मामला दर्ज किया गया था। चक्रवर्ती के वकील ने कहा कि मामले में आरोपपत्र पहले ही दायर किया जा चुका है और याचिकाकर्ता को सरकारी गवाह बनने के बाद अभियोजन पक्ष के गवाह के रूप में उद्धृत किया गया है। इसके बाद न्यायमूर्ति स्वर्णकांता शर्मा ने आदेश सुरक्षित रख लिया।
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