हिंदुओं के सामूहिक धर्मांतरण मामले में शुआट्स यूनिवर्सिटी के VC को मिलेगी राहत? सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के लिए तय की 14 मई की तारीख
उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से अदालत में पेश वरिष्ठ वकील गरिमा प्रसाद को भी निर्देश दिया। पहली एफआईआर में दायर आरोपपत्र की एक प्रति सुनवाई की अगली तारीख पर या उससे पहले शुआट्स वीसी का प्रतिनिधित्व करने वाले दवे को प्रदान करने का निर्देश दिया।
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को उत्तर प्रदेश में सैम हिगिनबॉटम यूनिवर्सिटी ऑफ एग्रीकल्चर, टेक्नोलॉजी एंड साइंसेज (SHUATS) के कुलपति राजेंद्र बिहारी लाल और अन्य के खिलाफ दर्ज पांच एफआईआर को रद्द करने या एक साथ जोड़ने की मांग वाली याचिकाओं पर अंतिम सुनवाई तय की। न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने सिद्धार्थ दवे और मुक्ता गुप्ता सहित वरिष्ठ वकीलों की दलीलों पर गौर करते हुए कहा कि सभी नौ याचिकाओं पर 14 मई को फाइनल हियरिंग होगी।
उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से अदालत में पेश वरिष्ठ वकील गरिमा प्रसाद को भी निर्देश दिया। पहली एफआईआर में दायर आरोपपत्र की एक प्रति सुनवाई की अगली तारीख पर या उससे पहले शुआट्स वीसी का प्रतिनिधित्व करने वाले दवे को प्रदान करने का निर्देश दिया। अदालत ने उत्तर प्रदेश सरकार और आरोपियों के वकील से लिखित दलीलें दाखिल करने को भी कहा। लाल और अन्य ने अपने खिलाफ दर्ज प्राथमिकियों को रद्द करने या एक साथ जोड़ने की मांग की है। लाल के खिलाफ मामले भारतीय दंड संहिता की धारा 307 (हत्या का प्रयास), 504 (शांति भंग करने के उद्देश्य से जानबूझकर अपमान) और 386 (जबरन वसूली) के तहत अपराध से संबंधित हैं। उन पर उत्तर प्रदेश गैरकानूनी धर्म परिवर्तन निषेध अधिनियम, 2021 के कुछ प्रावधानों के तहत भी मामला दर्ज किया गया है।
शीर्ष अदालत समय-समय पर फ़तेहपुर में दर्ज एफआईआर के संबंध में आरोपियों को गिरफ्तारी से बचाने के आदेश पारित करती रही है। उत्तर प्रदेश पुलिस ने पहले अदालत को बताया था कि लाल और अन्य आरोपी सामूहिक धर्म परिवर्तन कार्यक्रम के "मुख्य अपराधी हैं, जिसमें लगभग 20 देशों से धन शामिल था। पुलिस ने आरोप लगाया है कि अन्य आरोपियों में से लाल वास्तव में एक "कुख्यात अपराधी" है, जो पिछले दो दशकों में उत्तर प्रदेश भर में दर्ज धोखाधड़ी और हत्या सहित विभिन्न प्रकृति के 38 मामलों में शामिल है।
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