Shaurya Path: India-Bhutan Relation, Khalistani Activities और SCO Summit से जुड़े मुद्दों पर Brigadier (R) DS Tripathi से बातचीत

Brigadier DS Tripathi
Prabhasakshi

भूटान के साथ भारत की साझेदारी मजबूत और गहरी बनी हुई है। हालांकि भूटान और भारत के बीच अटूट संबंधों को आक्रामक चीन से हमेशा चुनौती मिल रही है। भूटान के प्रधानमंत्री लोटे शेरिंग ने कहा है कि डोकलाम विवाद के समाधान में चीन की भी भूमिका है।

नमस्कार प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क के खास कार्यक्रम शौर्य पथ में आप सभी का स्वागत है। आज हम बात करेंगे भारत-भूटान संबंधों की, भारत के पास मौजूदा तोपों के आधुनिकीकरण कार्य पर आयी सीएजी रिपोर्ट की, खालिस्तानी तत्वों के हंगामे की और एससीओ सम्मेलन की। इन सभी मुद्दों पर बातचीत के लिए हमारे साथ मौजूद रहे हमेशा की तरह ब्रिगेडियर (सेवानिवृत्त) श्री डीएस त्रिपाठी जी। पेश हैं बातचीत के मुख्य अंश- 

प्रश्न-1. भूटान के प्रधानमंत्री लोटे शेरिंग ने क्यों कहा है कि डोकलाम विवाद के समाधान में चीन की भी भूमिका है? क्या हमारा यह करीबी देश हमसे दूर हो रहा है?

उत्तर- भूटान के साथ भारत की साझेदारी मजबूत और गहरी बनी हुई है। हालांकि भूटान और भारत के बीच अटूट संबंधों को आक्रामक चीन से हमेशा चुनौती मिल रही है। भूटान के प्रधानमंत्री लोटे शेरिंग ने कहा है कि डोकलाम विवाद के समाधान में चीन की भी भूमिका है। उनके इस बयान को भारत विरोध या भारत से संबंध बिगड़ने के रूप में देखा जाना गलत है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यकाल में भूटान के साथ भारत के संबंध बहुत प्रगाढ़ हुए हैं। देखा जाये तो भूटान और भारत के बीच 1949 से अति घनिष्ठ संबंध रहे हैं। सितंबर 1958 में तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने भारतीय प्रधानमंत्री के रूप में भूटान की पहली राजकीय यात्रा की थी। उस समय 69 वर्ष की आयु में नेहरू 10 दिनों तक 15,000 फीट की ऊंचाई को छूने वाले दुर्गम रास्तों पर पैदल चलकर लगभग 105 किलोमीटर की दूरी तय करते हुए भूटान पहुंचे थे। भूटान और भारत के बीच बेहतरीन द्विपक्षीय संबंध रहे हैं जिससे दोनों देशों को लाभ पहुंचा है। भारत सरकार का प्रयास है कि भूटान के साथ लंबे समय से चली आ रही साझेदारी मजबूत और गहरी बनी रहे।

प्रश्न-2. जब भी सरकार से रक्षा संबंधी प्रश्न पूछे जाते हैं तो वह कहती है कि हमारी तैयारी पूरी है। लेकिन हालिया सीएजी रिपोर्ट में कहा गया है कि मौजूदा तोपों को अत्याधुनिक तोपों से बदलने का काम दो दशकों से धीमी गति से आगे बढ़ रहा है। इसे कैसे देखते हैं आप?

उत्तर- भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) ने कहा है कि मौजूदा तोपों को अत्याधुनिक तोपों से बदलने का काम पिछले दो दशकों से ‘‘धीमी गति’’ से आगे बढ़ रहा है। केंद्र सरकार (रक्षा सेवाओं)- सेना और आयुध कारखानों पर नियंत्रक और महालेखा परीक्षक की रिपोर्ट संसद में पेश की गई है तब से यह चर्चा में है। इस रिपोर्ट में मार्च 2020 को समाप्त वर्ष के लिए रक्षा विभाग, भारतीय सेना, सैन्य इंजीनियर सेवा (एमईएस), कैंटीन स्टोर विभाग (सीएसडी) आदि जैसे अंतर-सेवा संगठनों, रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) और रक्षा मंत्रालय के तहत आयुध कारखानों से संबंधित लेनदेन के ऑडिट के परिणाम शामिल हैं। सीएजी ने इस रिपोर्ट में अन्य क्षेत्रों में आर्टिलरी गन सिस्टम के अधिग्रहण पर अपने निष्कर्षों को भी साझा किया है। सीएजी के बयान में कहा गया है कि मौजूदा तोपों को अत्याधुनिक तोपों से बदलने का काम पिछले दो दशकों से धीमी गति से चल रहा है। रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि आर्टिलरी गन की खरीद/उन्नयन के छह प्रस्तावों में से केवल तीन अनुबंधों में परिणत हुए, जो अधिग्रहण के लिए नियोजित आर्टिलरी गन की कुल संख्या का 17 प्रतिशत था। अधिग्रहण प्रक्रिया को खरीद के विभिन्न चरणों में देरी का सामना करना पड़ा। रिपोर्ट में कहा गया है कि विक्रेताओं द्वारा गुणात्मक आवश्यकताओं के लिए खराब प्रतिक्रिया/गैर-अनुपालन के कारण प्रस्ताव के लिए अनुरोध (आरएफपी) जारी किए गए, वापस ले लिए गए और फिर से जारी किए गए। बयान में कहा गया है कि देरी मंत्रालय या सेना मुख्यालय के लिए यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता को रेखांकित करती है कि हथियार प्रणालियों के पूंजीगत अधिग्रहण के लिए गुणात्मक आवश्यकताओं को यथार्थवादी आधार पर तैयार किया जाए, पूरी प्रक्रिया को कठोर प्रौद्योगिकी स्कैन पर पूर्वनिर्धारित किया जाए और जमीनी मूल्यांकन के लिए एक तंत्र भी तैयार किया जाए। सीएजी के बयान के अनुसार, अन्य निष्कर्षों में कहा गया है कि देश के 62 छावनी बोर्डों (सीबी) में से 13 के ऑडिट में बोर्ड द्वारा अपने निवासियों को प्रदान की जाने वाली नागरिक सुविधाओं में कई कमियों का पता चला है। रिपोर्ट में कहा गया है कि केवल एक छावनी बोर्ड में एक कार्यात्मक सीवेज उपचार संयंत्र था और पांच में ठोस अपशिष्ट के वैज्ञानिक निपटान के लिए ठोस अपशिष्ट प्रसंस्करण संयंत्र थे। रिपोर्ट में कहा गया है कि 11 बोर्ड अपने निवासियों को चिकित्सा सेवाएं प्रदान करने के लिए अपर्याप्त रूप से सुसज्जित थे, जबकि दो सहायता अनुदान पर बहुत अधिक निर्भर थे। रिपोर्ट में कहा गया है कि चुनिंदा केंद्रीय बैंकों में पूंजीगत परिसंपत्तियों के सृजन के लिए धन की मांग के खिलाफ आवंटन बहुत कम था। इसके साथ ही बयान में कहा गया है कि इसके अलावा, रक्षा सेवाओं और अन्य केंद्रीय/राज्य सरकार के विभागों के खिलाफ नगरपालिका करों और इन छावनी बोर्डों द्वारा उठाए गए सेवा शुल्क के कारण 2461.16 करोड़ रुपये की राशि बकाया थी।

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प्रश्न-3. वर्तमान में जिस तरह से भारतीय मिशनों पर खालिस्तानी तत्व हंगामा कर रहे हैं वह क्या दर्शा रहा है? क्या अमृतपाल सिंह मामले से पंजाब की कानून व्यवस्था और देश की सुरक्षा के लिए नया खतरा पैदा हो गया है? आखिर आईएसआई चाहती क्या है और कैसे अपने मिशनों को अंजाम देती है?

उत्तर- देखा जाये तो पहले कई बार ऐसे वाकये हुए जब विदेशों में किसी संगठन की भारत विरोधी गतिविधियों पर हम सिर्फ शिकायत करते रह जाते थे लेकिन आज परिदृश्य बदल चुका है। विदेशों में भारत विरोधी किसी भी गतिविधि के मामले में पहले कड़े शब्दों में शिकायत की जाती है और अगर बात नहीं सुनी जाती तो ऐसी कार्रवाई कर दी जाती है कि सामने वाला देश तत्काल भारत की ओर से की गयी शिकायतों पर एक्शन लेने लगता है। हाल के दिनों में लंदन में देखने को मिला कि कैसे खालिस्तानी तत्व हावी होने लगे और भारतीय उच्चायोग पर तिरंगा उतारने का प्रयास किया गया। लेकिन भारतीय अधिकारियों ने तिरंगा नहीं उतरने दिया और आज वहां पहले से बड़ा तिरंगा शान से लहरा रहा है। हमने देखा कि शुरू में भारतीय उच्चायोग के बाहर हंगामा करने वालों के खिलाफ कार्रवाई करने को लेकर ब्रिटिश सरकार अनमनी-सी दिखी लेकिन जब भारत में ब्रिटिश उच्चायुक्त के घर के बाहर सुरक्षा घटाई गयी तो तत्काल लंदन में भारतीय उच्चायोग की सुरक्षा भी बढ़ाई गयी और स्कॉटलैंड यार्ड पुलिस भी हंगामा करने वालों के खिलाफ एक्शन लेने के लिए हरकत में आई, ब्रिटिश संसद में यह मुद्दा उठ गया और मंत्रियों को भारतीयों की सुरक्षा का आश्वासन देना पड़ गया। ब्रिटेन की संसद के निचले सदन हाउस ऑफ कॉमन्स में भारतीय उच्चायोग में खालिस्तान समर्थक चरमपंथियों द्वारा की गई तोड़फोड़ का मुद्दा उठा तो नजारा देखने लायक था क्योंकि कई सांसद इसको लेकर चिंतित दिखे। ब्रिटिश सांसदों ने ‘खालिस्तानी चरमपंथियों’ के खिलाफ कठोर कार्रवाई करने और भारतीय राजनयिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की मांग की। इस दौरान कैबिनेट मंत्री पेनी मॉरडॉन्ट ने कहा कि हम लंदन में भारतीय उच्चायोग के बाहर हुई तोड़फोड़ और हिंसक कृत्यों की कड़ी निंदा करते हैं। ब्रिटेन में बड़ी संख्या में भारतीय समुदाय रहता है जो ऐसे लोगों की हरकतों के चलते खुद को असुरक्षित भी महसूस कर रहा है। लेकिन असुरक्षा की यह भावना देशप्रेम के आगे कोई महत्व नहीं रखती इसलिए लगातार प्रवासी भारतीय समुदाय के कई समूह ‘इंडिया हाउस’ के बाहर जमा हो रहे हैं और भारतीय मिशन के प्रति अपनी एकजुटता प्रकट कर रहे हैं। जहां तक पंजाब की कानून व्यवस्था से जुड़े मामले की बात है तो निश्चित ही अमृतपाल सिंह प्रकरण के चलते उसके लिए चुनौतियां खड़ी हुई हैं लेकिन केंद्र और राज्य सरकार तथा सुरक्षा एजेंसियां मिलकर सब चुनौतियों पर जीत हासिल कर लेंगे। जहां तक पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई की बात है तो उसका तो उसके गठन के दिन से ही पहला उद्देश्य भारत के खिलाफ अभियान चलाना रहा है। इसके लिए पाकिस्तान सरकार से उसे अच्छी खासी फंडिंग भी मिलती है साथ ही इस एजेंसी में ऐसे अधिकारियों को रखा जाता है जो भारत के प्रति विरोध की बहुत गहरी भावना रखते हैं।

प्रश्न-4. एससीओ सम्मेलन में आतंकवाद और क्षेत्रीय सहयोग के मुद्दे पर बातें बढ़-चढ़कर हुईं। भारत ने भी दृढ़ता से पाकिस्तान और चीन को खरी खरी सुनाई। एससीओ सदस्य देशों के सुरक्षा परिषद सचिवों की हालिया बैठक को कितना सार्थक मानते हैं आप?

उत्तर- एससीओ बैठक काफी हद तक सार्थक रही। बैठक में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने कहा कि शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के सदस्यों को संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करना चाहिए और निकटवर्ती क्षेत्रों में एकतरफा सैन्य प्रभुत्व का प्रयास नहीं करना चाहिए। डोभाल ने एससीओ सदस्य देशों की सुरक्षा परिषद के सचिवों की एक बैठक को संबोधित करते हुए यह भी कहा कि भारत निवेश और क्षेत्र में सम्पर्क के निर्माण में सहयोग करने के लिए तैयार है, लेकिन यह स्पष्ट किया कि यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि इस तरह की पहल परामर्शी, पारदर्शी और सहभागितापूर्ण हों। डोभाल ने कहा कि इस क्षेत्र में भारत का दृष्टिकोण वैश्विक अर्थव्यवस्था में एकीकरण और पारगमन क्षमताओं में सुधार के लिए व्यापक और संतुलित आर्थिक विकास सुनिश्चित करने के लिए एससीओ चार्टर के अनुरूप है। डोभाल ने कहा कि भारत अंतरराष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारे के ढांचे के भीतर ईरान के चाबहार बंदरगाह को शामिल करने के लिए भी प्रतिबद्ध है। देखा जाये तो एससीओ में चीन, भारत, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, रूस, पाकिस्तान, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान शामिल हैं। वर्तमान में, भारत एससीओ की अध्यक्षता कर रहा है। एससीओ मुख्य रूप से क्षेत्रीय सुरक्षा मुद्दों और क्षेत्रीय आतंकवाद, जातीय अलगाववाद और धार्मिक अतिवाद के खिलाफ लड़ाई पर केंद्रित है। बैठक में पाकिस्तान और चीन के प्रतिनिधियों ने वीडियो लिंक के जरिए हिस्सा लिया। जहां तक चीन की बात है तो उसने एससीओ के सदस्य देशों से बातचीत के जरिए अपने मतभेदों को दूर करने, आतंकवादी ताकतों से सख्ती से निपटने और सभी देशों की आर्थिक बेहतरी तथा सामाजिक स्थिरता के लिए संयुक्त रूप से एक मजबूत सुरक्षित माहौल बनाने का आह्वान किया है। वीडियो लिंक के माध्यम से बैठक में भाग लेने वाले चीनी स्टेट काउंसिलर और लोक सुरक्षा मंत्री वांग शियाओहोंग ने कहा कि एक संतुलित, प्रभावी और टिकाऊ नए क्षेत्रीय सुरक्षा ढांचे को बढ़ावा देने के लिए संयुक्त प्रयासों की आवश्यकता है। उन्होंने सदस्य देशों से आतंकवाद, अलगाववाद और उग्रवाद की ताकतों को पूरी तरह से रोकने और निपटने के लिए कहा तथा दूरसंचार और इंटरनेट धोखाधड़ी, ऑनलाइन जुआ तथा मादक पदार्थों की तस्करी जैसे अंतरराष्ट्रीय अपराध से निपटने के लिए सहयोग को मजबूत करने का आह्वान किया। वांग ने कहा कि एससीओ देशों को कानून प्रवर्तन और सुरक्षा के क्षेत्र में व्यावहारिक सहयोग को गहरा करना चाहिए तथा संयुक्त रूप से सभी देशों के आर्थिक सुधार और सामाजिक स्थिरता के लिए एक मजबूत सुरक्षित माहौल तैयार करना चाहिए।

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