ISRO Chief बन गया ये IITian, अब संभालेंगे एस सोमनाथ की जगह जिम्मेदारी

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रितिका कमठान । Jan 8 2025 10:07AM

वर्तमान में डॉ. नारायणन लिक्विड प्रोपल्शन सिस्टम्स सेंटर के निदेशक की भूमिका में है। वो इसरो के प्रतिष्ठित वैज्ञानिक है। बीते चार दशकों से वो इसरो में कई महत्वपूर्ण पदों पर काम करते रहे है। रॉकेट और अंतरिक्ष यान प्रणोदन में उनका स्पेशलाइजेशन है।

इसरो को नया चीफ मिल गया है। इसरो की जिम्मेदारी अब डॉ. वी. नारायणन निभाएंगे। वो एस सोमनाथ की जगह 14 जनवरी से इसरो का कार्यभार संभालेंगे। इसकी सूचना मंगलवार को आधिकारिक सूचना शेयर कर दी गई है। 

 

वर्तमान में डॉ. नारायणन लिक्विड प्रोपल्शन सिस्टम्स सेंटर के निदेशक की भूमिका में है। वो इसरो के प्रतिष्ठित वैज्ञानिक है। बीते चार दशकों से वो इसरो में कई महत्वपूर्ण पदों पर काम करते रहे है। रॉकेट और अंतरिक्ष यान प्रणोदन में उनका स्पेशलाइजेशन है।

जानकारी के मुताबिक डॉ नारायणन इसरो में एक महत्वपूर्ण नाम है जो कई अहम जिम्मेदारियां निभा चुके है। प्रोजेक्ट डायरेक्टर के तौर पर वो GSLV Mk III के C25 क्रायोजेनिक प्रोजेक्ट की जिम्मेदारी संभाल चुके है। उनके नेतृत्व में C25 स्टेज का विकास किया गया है जो मूलरूप से GSLV Mk III का हिस्सा है।LPSC ने विभिन्न ISRO मिशनों के लिए 183 लिक्विड प्रोपल्शन सिस्टम और कंट्रोल पावर प्लांट देने में उन्होंने अहम किरदार निभाया है। वो पीएसएलवी के दूसरे और तीसरे चरण में काम कर चुके है। उनका योगदान इसरो को दुनियाभर में ख्याति पहुंचाने वालों में भी रहा है। आदित्य अंतरिक्ष यान और GSLV Mk-III मिशन, चंद्रयान-2 और चंद्रयान-3 में भी उन्होंने योगदान दिया है।

आगे हैं कई जिम्मेदारियां

वर्ष 2025 के लिए इसरो के व्यस्त कैलेंडर को देखते हुए, डॉ. नारायणन को अच्छी तरह पता है कि उनके पास अपनी उपलब्धियों पर आराम करने के लिए बहुत कम या बिलकुल भी समय नहीं है। उन्होंने कहा, "जनवरी के अंत में हमारे पास GSLV Mk-II/IRNSS-1K मिशन है। हमने गगनयान कार्यक्रम की पहली मानवरहित उड़ान, G-1 मिशन, साथ ही LVM3 लॉन्च वाहन का उपयोग करके एक वाणिज्यिक लॉन्च की भी योजना बनाई है।" उन्होंने कहा, "इसके अलावा, गगनयान कार्यक्रम से संबंधित कई प्रयोग हैं। तो आप देख सकते हैं कि हमारे पास बहुत काम है।" 

इसरो की कार्यसूची में शामिल उच्च-स्तरीय कार्यक्रमों में चंद्रयान-4 मून मिशन, भारत का अपना अंतरिक्ष स्टेशन, भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन, मंगल ग्रह के लिए दूसरा मिशन और पहला वीनस ऑर्बिटर मिशन (वीओएम) शामिल हैं। हालांकि यह सब डॉ. नारायणन के कार्यकाल में संभव नहीं है, लेकिन अंतरिक्ष एजेंसी ने तैयारियां शुरू कर दी हैं। 

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