खत्म हुआ 126 दिनों का इंतजार, इतिहास रचने की तैयारी में ISRO, सूर्य में छुपे राज को दुनिया के सामने कैसे लाएगा आदित्य एल-1

Aditya L1
Prabhasakshi
अभिनय आकाश । Jan 6 2024 12:04PM

आज शाम चार बजे आदित्य एल 1 एक बार फिर भारत को गर्व का एहसास कराएगा। भारत का पहला सौर मिशन आदित्य-एल1 अंतरिक्ष यान आज दोपहर अपनी अंतिम कक्षा में प्रवेश करेगा, जो उसका वांछित गंतव्य है, जहां से वह अगले पांच वर्षों तक सूर्य का अवलोकन करेगा।

चांद फतह के बाद आज भारत का परचम सूरज पर फहरने वाला है। इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गनाइजेशन यानी इसरो का सूर्य मिशन आदित्य एल 1 अपने फाइनल प्वाइंट में एंट्री लेने वाला है। 2 सितंबर को आदित्य एल 1 की शुरू हुई यात्रा 126 दिनों बाद 30 लाख किलोमीटर का सफर तय कर एलओ ऑर्बिट में पहुंचने वाला है। जिसके बाद भारत के पहले सोलर ऑर्बिट्री की धरती से दूरी 15 लाख किलोमीटर होगी। आज शाम चार बजे आदित्य एल 1 एक बार फिर भारत को गर्व का एहसास कराएगा। भारत का पहला सौर मिशन आदित्य-एल1 अंतरिक्ष यान आज दोपहर अपनी अंतिम कक्षा में प्रवेश करेगा, जो उसका वांछित गंतव्य है, जहां से वह अगले पांच वर्षों तक सूर्य का अवलोकन करेगा। अंतरिक्ष यान को L1 (लैग्रेंज 1) बिंदु के चारों ओर एक कक्षा में जाना है, जो पृथ्वी-सूर्य प्रणाली के पांच स्थानों में से एक है जहां दोनों के गुरुत्वाकर्षण प्रभाव एक दूसरे को लगभग रद्द कर देते हैं। यह किसी अंतरिक्ष यान को खड़ा करने और सूर्य का अवलोकन करने के लिए अपेक्षाकृत स्थिर बिंदु है। हालाँकि, L1 के चारों ओर कक्षा में प्रवेश करना किसी अन्य ग्रह पिंड के चारों ओर कक्षा प्राप्त करने के समान नहीं है। इसे इस मिशन में सबसे महत्वपूर्ण चुनौती माना जा रहा है। इसरो के एक वैज्ञानिक ने कहा, अंतरिक्ष यान अपने शेष मिशन जीवन को पृथ्वी और सूर्य को जोड़ने वाली रेखा के लगभग लंबवत विमान में अनियमित आकार की कक्षा में L1 की परिक्रमा करते हुए बिताएगा।\

इसे भी पढ़ें: चांद-सूर्य के बाद साल के पहले ही दिन इसरो ने XPoSat के जरिए अपने इरादे किए साफ, 2024 के लिए भारत का अंतरिक्ष मिशन काफी दिलचस्प रहने वाला है

एल1 क्या है

आदित्य एल1 अंतरिक्ष यान को सूर्य और पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण प्रणाली के लाज्रेंज प्वाइंट 1 (एल1) के चारों ओर एक हेलो कक्षा में रखा जाएगा। ये जगह धरती से करीब 15 लाख किलोमीटर दूर है। फिजिक्स में लार्जेज प्वाइंट्स ऐसे प्वाइंट्स होते हैं जहां दो पिंडो वाली गुरुत्वाकर्षण प्रणाली में एक छोटी वस्तु को जब वहां रखा जाता है तो वो स्थिर रहती है। सोलर-अर्थ सिस्‍टम में पांच लार्ज्रेंज पॉइंट्स हैं। लार्ज्रेंज बिंदु L1 वह है जहां आदित्य एल1 जा रहा है।

423 करोड़ रुपए का बजट

आदित्य L-1 मिशन का बजट करीब 423 करोड़ रुपए है। इसे पीएसएलवी-सी 57 से लांच किया जाना है। इसका मकसद क्रोमोस्फीयर, कोरोना, प्लाज्मा फिजिक्स, सोल फ्लेयर्स का अध्ययन करना है। इसके अलावा कोरोनल लूप और कोरोनल तापमान, घनत्व और वेग के बारे में जानकारी हासिल होगी। इसके साथ ही कोरोना में मैग्नेटिक फील्ड, टोपोलॉजी, संरचना और उसकी उत्पत्ति के बारे में जानकारी हासिल की जाएगी। 

हेलो ऑर्बिट में स्थापित किया जाएगा 

इसरो प्रमुख एस सोमनाथ ने कहा कि आदित्य एल 1 अपने आखिरी पड़ाव में पहले ही पहुंच चुका है। ये बेहद ही महत्वपूर्ण है। आदित्य अपनी मंजिल पर आज शाम पहुंच जाएगा। थ्रस्टर्स की मदद से आदित्य एल 1 को हेलो ऑर्बिट में स्थापित किया जाएगा ताकी अलग-अलग कोण से सूर्य को देखा जा सके। एल 1 बिंदु पर रहने से ये पृथ्वी के लगातार संपर्क में रहेगा।  इसरो के पूर्व वैज्ञानिक और चंद्रयान 1 मिशन के परियोजना निदेशक डॉ एम अन्नादुरई ने कहा कि सबसे पहले, एल1 के चारों ओर कक्षा हासिल करना अपने आप में एक चुनौती है और फिर कक्षा को बनाए रखना भी एक और काम है। यह अन्य ग्रह पिंडों के चारों ओर की कक्षा की तरह नहीं है। कक्षा के तीन आयाम होते हैं जबकि किसी ग्रह के चारों ओर की अन्य कक्षाएँ दो आयामी होती हैं। सूर्य और पृथ्वी दोनों का गुरुत्वाकर्षण प्रभाव एक भूमिका निभाता है और इसमें लगातार खिंचाव रहता है।  

इसे भी पढ़ें: Jyotiraditya Scindia Birthday: विरासत की सियासत में ज्योतिरादित्य सिंधिया ने ऐसे बनाई अपनी जगह, आज मना रहे 53वां जन्मदिन

आदित्य पर सात वैज्ञानिक पेलोड तैनात किए गए हैं। सात पेलोड के बारे में जानें

1. विजिबल लाइन एमिसन कोरोनाग्राफ को इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ फिजिक्स ने तैयार किया है। सूरज की एचडी फोटो लेने के लिए तैयार किया गया है। पेलोड में लगा हाई रेजोल्यूशन तस्वीरें लेने में सक्षम है।

2. प्लाजमा एनालाइजर पैकेज फॉर आदित्य (पीएपीए) सूरज की गर्म हवाओं में मौजूद इलेक्ट्रांस और भारी आयन की दिशाओं का अध्यन करेगा। सूरज की हवाओं में गर्मी है और कणों के वजन से जुड़ी जानकारी मिलेगी। 

3. एसयूआईटी: सोलर अल्ट्रावॉयलेट इमेजिंग टेलीस्कोप एक अल्ट्रावायलेट टेलीस्कोप है। ये पेलोड सूरज की अल्ट्रावायलेट तस्वीरों को कैद करेगा। पेलोड सूरज के फोटो स्फेयर और क्रोमोस्पफेयर की तस्वीरें लेने का काम करेगा। 

4. एसओएलईएक्सएस: सोलर लो एनर्जी एक्स रे स्पेक्ट्रोमीटर सूर्य से निकलने वाले एक्स रे और उसमें आने वाले बदलावों का अध्ययन करेगा। ये पेलोड सूरज से निकलने वाली सौर लहरों पर नजर रखेगा और उससे जुड़े आंकड़े जुटाएगा।

5. एचईएल10एस: ये एक हार्ड एक्स रे स्पेक्ट्रोमीटर है। वैज्ञानिकों ने इसे इस तरह से डिजाइन किया है कि वो हार्ड एक्सर रे किरणों यानी सौर लहरों से निकलने वाली हाई एनर्जी एक्स रे का अध्ययन करेगा। 

6.एएसपीईएक्स: इसमें कुल दो पेलोड एकसाथ काम करेंगे। पहला आदित्य सोलर विंड पार्टिककल एक्सपेरिमेंट जो कम ऊर्जा वाला स्पेक्ट्रोमीटर है। ये सूरज की हवाओं में आने वाले प्रोटॉन्स और अल्फा पार्टिकल्स का अध्ययन करेगा। 

7. एडवांस्ट ट्राई एक्सियल हाई रेजोल्यूशन डिजिटल मैग्नोमीटर्स (एमएजी) ये पेलोड सूर्य के चारों ओर मैग्नेटिक फील्ड का अध्ययन करेगा। इसके साथ ही पृथ्वी और सूरज के बीच मौजूद कम तीव्रता वाली मैग्नेटिक फील्ड का अध्ययन करेगा।   

We're now on WhatsApp. Click to join.
All the updates here:

अन्य न्यूज़