कितने बच्चे पैदा करना देश के लिए अच्छा है? Bhagwat ने कहा- 3 बच्चे पैदा करो, Owaisi बोले- मेरे तो 6 बच्चे हैं!

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घटती आबादी पर चिंता जताते हुए मोहन भागवत ने सभी को तीन बच्चे पैदा करने की जो सलाह दी है उस पर राजनीतिक विवाद खड़ा हो गया है। भाजपा और एनडीए के नेता जहां मोहन भागवत की टिप्पणी का बचाव कर रहे हैं वहीं विपक्षी दलों ने संघ प्रमुख को आड़े हाथ लिया है।

महंगाई के इस दौर में दंपति कम बच्चे पैदा करने पर जोर दे रहे हैं। ऐसा सिर्फ भारत में नहीं हो रहा है। दुनिया के कई देश इस समस्या से जूझ रहे हैं। कुछ देशों में तो युवा आबादी से ज्यादा आबादी बूढ़ों की हो गयी है जिसके चलते वहां की सरकारें बच्चा पैदा करने के लिए तमाम तरह के प्रोत्साहन भी दे रही हैं। लेकिन दुनिया के सबसे ज्यादा आबादी वाले देश भारत में आबादी के बढ़ने की दर का घटना अब चिंता का विषय बनता जा रहा है। कुछ लोगों की चिंता यह है कि एक वर्ग तो अपनी आबादी बढ़ाने में लगा है जबकि दूसरा वर्ग बच्चों का लालन पालन सही तरीके से हो सके, यह सोचते हुए कम बच्चे पैदा कर रहा है जिससे उस समाज की आबादी घटती जा रही है। ऐसे में चिंता यह उभर रही है कि कहीं भारत का सामाजिक संतुलन ही ना बिगड़ जाये। इसीलिए जनसंख्या नियंत्रण कानून लाने की मांग भी की जा रही है जिसका एक वर्ग विरोध कर रहा है। भाजपा के पास चूंकि अब लोकसभा में अपने बलबूते स्पष्ट बहुमत नहीं है इसलिए इस बात की संभावना कम है कि वह जनसंख्या नियंत्रण कानून लाये। इसलिए अब हिंदुओं से ज्यादा बच्चे पैदा करने का आग्रह किया जा रहा है।

इस बीच, घटती आबादी पर चिंता जताते हुए आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने सभी को तीन बच्चे पैदा करने की जो सलाह दी है उस पर राजनीतिक विवाद खड़ा हो गया है। भाजपा और एनडीए के नेता जहां मोहन भागवत की टिप्पणी का बचाव कर रहे हैं वहीं विपक्षी दलों ने संघ प्रमुख को आड़े हाथ लिया है। लेकिन यहां एक बात ध्यान रखने लायक है कि मोहन भागवत ने ही ज्यादा बच्चे पैदा करने की सलाह नहीं दी है। अभी कुछ समय पहले ही आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू और तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने भी ज्यादा बच्चे पैदा करने की सलाह दी थी।

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जहां तक मोहन भागवत के बयान की बात है तो आपको बता दें कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने जनसंख्या वृद्धि में गिरावट पर चिंता जताते हुए कहा है कि भारत की कुल प्रजनन दर (टीएफआर) मौजूदा 2.1 के बजाए कम से कम तीन होनी चाहिए। दरअसल टीएफआर का तात्पर्य एक महिला द्वारा जन्म दिए जाने वाले बच्चों की औसत संख्या से है।

नागपुर में ‘कठाले कुलसम्मेलन’ में उन्होंने परिवारों की महत्वपूर्ण भूमिका पर भी प्रकाश डाला और आगाह किया कि जनसंख्या विज्ञान के अनुसार, यदि किसी समाज की कुल प्रजनन दर 2.1 से नीचे जाती है, तो यह विलुप्त होने के कगार पर पहुंच सकता है। उन्होंने कहा, ‘‘जनसंख्या में कमी गंभीर चिंता का विषय है। जनसांख्यिकी अध्ययनों से पता चलता है कि जब किसी समाज की कुल प्रजनन दर 2.1 से नीचे जाती है, तो उसके विलुप्त होने का खतरा होता है। इस गिरावट के लिए जरूरी नहीं कि बाहरी खतरे हों; कोई समाज धीरे-धीरे अपने आप ही विलुप्त हो सकता है।’’ भागवत ने कहा, ‘‘इस मुद्दे के कारण कई भाषाएं और संस्कृतियां पहले ही विलुप्त हो चुकी हैं। इसलिए, प्रजनन दर को 2.1 से ऊपर बनाए रखना आवश्यक है।’’ उन्होंने कहा कि कुटुंब (परिवार) समाज का अभिन्न अंग है और हर परिवार की समाज के गठन में अहमियत है। आरएसएस प्रमुख ने कहा, ‘‘हमारे देश की जनसंख्या नीति, जो 1998 या 2002 के आसपास तैयार की गई थी, कहती है कि जनसंख्या वृद्धि दर 2.1 से नीचे नहीं होनी चाहिए। यह कम से कम तीन होनी चाहिए। (जनसंख्या) विज्ञान ऐसा कहता है।’’

हम आपको बता दें कि राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस) के 2021 में जारी आंकड़ों के अनुसार, भारत की टीएफआर 2.2 से घटकर 2 हो गई है, जबकि गर्भनिरोधक इस्तेमाल की दर 54 प्रतिशत से बढ़कर 67 प्रतिशत हो गई है। कुल प्रजनन दर 2.1 को प्रतिस्थापन दर माना जाता है, जो जनसंख्या वृद्धि में एक महत्वपूर्ण कारक है।

दूसरी ओर, भागवत की टिप्पणी पर ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) प्रमुख और हैदराबाद से सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पहले कहा था कि मुस्लिम महिलाएं अधिक बच्चे पैदा करती हैं।’’ ओवैसी ने मोदी की इस टिप्पणी का भी जिक्र किया कि अगर कांग्रेस सत्ता में आती है, तो वह माताओं और बेटियों के मंगलसूत्र सहित जेवरात को मुसलमानों में बांट देगी। ओवैसी ने कटाक्ष करते हुए कहा, ‘‘भागवत कहते हैं कि अधिक बच्चे पैदा करो। अब आरएसएस वालों को शादी करनी चाहिए।'' वहीं अगर कांग्रेस की बात करें तो उसने अपनी प्रतिक्रिया में भागवत की सोच को दिवालियेपन का प्रतीक बताया है।

वहीं आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु के मुख्यमंत्रियों के हालिया बयान की बात करें तो आपको बता दें कि आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने राज्य की बुजुर्ग होती आबादी को देखते हुए कहा था कि लोगों को अधिक बच्चे पैदा करने चाहिए। उन्होंने यह भी कहा था कि उनकी सरकार इसे प्रोत्साहित करने के लिए कानून लाने की योजना भी बना रही है। इसके बाद तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने एक पुराने आशीर्वाद का जिक्र करते हुए लोगों को 16 बच्चे पैदा करने की सलाह और शुभकामना दे डाली थी। हालांकि इन दोनों मुख्यमंत्री ने यह सलाह इसलिए दी थी क्योंकि जल्द ही देश में संसदीय सीटों का नये सिरे से परिसीमन होना है। इस परिसीमन के मुताबिक दस लाख लोगों की आबादी पर एक सांसद होगा। दक्षिणी राज्यों ने जनसंख्या नियंत्रण के मामले में तो बेहतरीन प्रदर्शन कर दिया लेकिन अब इसकी वजह से वहां प्रजनन दर कम हो गयी है जिससे उन्हें डर है कि यदि आबादी के लिहाज से संसदीय सीटों का निर्धारण हुआ तो देश की राष्ट्रीय राजनीति पूरी तरह उत्तर भारत केंद्रित हो जायेगी। 

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