नियमित तौर पर सीबीआई जांच के निर्देश न दें उच्च न्यायालय : न्यायालय

उच्च न्यायालय ने याचिका स्वीकार कर ली, जिसके बाद आरोपी ने उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया। दो अप्रैल के अपने फैसले में उच्चतम न्यायालय ने कहा कि उच्च न्यायालय के समक्ष दायर याचिका में अस्पष्ट और बेबुनियाद आरोप लगाए गए थे।
उच्चतम न्यायालय ने एक मामले की जांच सीबीआई को स्थानांतरित करने से संबंधित पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय का एक आदेश खारिज कर दिया है और कहा है कि कि ऐसे निर्देश नियमित रूप से पारित नहीं किए जाने चाहिए।
न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया और न्यायमूर्ति के. विनोद चंद्रन की पीठ ने कहा कि उच्च न्यायालयों को केवल उन मामलों में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) से जांच कराने का निर्देश देना चाहिए, जहां प्रथम दृष्टया ऐसा प्रतीत होता हो कि सीबीआई से जांच कराने की आवश्यकता है।
पीठ ने कहा, उच्च न्यायालयों को केवल उन मामलों में सीबीआई जांच का निर्देश देना चाहिए, जहां प्रथम दृष्टया सीबीआई जांच की आवश्यकता प्रतीत होती हो। सीबीआई जांच का निर्देश नियमित तरीके से या कुछ अस्पष्ट आरोपों के आधार पर नहीं दिया जाना चाहिए।
न्यायालय ने कहा, बिना किसी निश्चित निष्कर्ष के अगर और मगर जैसे तर्क सीबीआई जैसी एजेंसी को जांच का निर्देश देने के लिए पर्याप्त नहीं हैं। उच्च न्यायालय के मई 2024 के आदेश को चुनौती देने वाली अपील पर उच्चतम न्यायालय ने यह फैसला दिया है।
पीठ ने कहा कि अक्टूबर 2022 में पंचकूला में एक प्राथमिकी दर्ज की गई थी जिसमें आरोप लगाया गया था कि आरोपी ने खुद को खुफिया ब्यूरो का महानिरीक्षक (आईजी) बताते हुए शिकायतकर्ता को धमकाया और उसे अपने खाते में 1.49 करोड़ रुपये स्थानांतरित करने के लिए कहा।
प्राथमिकी में आरोप लगाया गया है कि आरोपी नेदवाओं का कारोबार करने वाले शिकायतकर्ता को अपने सहयोगियों के साथ काम करने के लिए मजबूर किया और उससे जबरन पैसे वसूले।
शिकायतकर्ता ने उच्च न्यायालय से मामले की जांच का जिम्मा राज्य पुलिस से लेकर सीबीआई को सौंपने का अनुरोध किया। उच्च न्यायालय ने याचिका स्वीकार कर ली, जिसके बाद आरोपी ने उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया। दो अप्रैल के अपने फैसले में उच्चतम न्यायालय ने कहा कि उच्च न्यायालय के समक्ष दायर याचिका में अस्पष्ट और बेबुनियाद आरोप लगाए गए थे।
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