भारत से अलग होने की फिराक में है तमिलनाडु? मोदी करेंगे अब्राहम लिंकन वाला इलाज

Tamil Nadu
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अभिनय आकाश । Apr 16 2025 2:38PM

भारत की जब भी बात होती है तो संविधान के अनुच्छेद 1 को पढ़ा जाना जरूरी होता है। जिसमें कहा गया है कि india that is bharat shall be a union of states यानी की भारत राज्यों का एक संघ होगा। यहां पर यूनियन ऑफ स्टेट के कारण ही भारत में आज 28 राज्य और 8 यूनियन टेरटरी मिलकर भारत का निर्माण करते हैं।

1862 का साल अब्राहिम लिंकन अमेरिका के राष्ट्रपति हुआ करते थे। ठीक उसी वक्त साउदर्न स्टेट्स मिलकर बगावत कर देते हैं। अपनी आजादी की मांग करते हैं। अपने आप को आजाद घोषित कर दिया गया। अब्राहिम लिंकन को लोकतंत्र का बहुत बड़ा नेता माना जाता था। उन्होंने सेना भेजी और फिर सख्ती के साथ सारे स्टेट्स के अक्ल ठिकाने ला दिए। कट टू 2019 अमेरिका से 12 हजार किलोमीटर दूर भारत। जब जम्मू कश्मीर के पास धारा 370, 35 ए के तहत विशेष अधिकार हुआ करते थे, तब किस तरह से जम्मू कश्मीर की सत्ता चलती थी ये सभी ने देखा। धारा 370, 35 ए हटा और आज कश्मीर एक बार फिर से विकास की मुख्यधारा पर चल रहा है। लेकिन एक ऐसा राज्य है जहां 2026 में विधानसभा चुनाव होने हैं और वहां के मुख्यमंत्री ने एक प्रस्ताव पारित किया है, उसे और ज्यादा शक्तियां चाहिए। आज हम भारत में एक अनोखे प्रकार के विवाद की चर्चा करेंगे। भारत की जब भी बात होती है तो संविधान के अनुच्छेद 1 को पढ़ा जाना जरूरी होता है। जिसमें कहा गया है कि india that is bharat shall be a union of states यानी की भारत राज्यों का एक संघ होगा। यहां पर यूनियन ऑफ स्टेट के कारण ही भारत में आज 28 राज्य और 8 यूनियन टेरटरी मिलकर भारत का निर्माण करते हैं। यहां पर जो स्टेट वाली बात है वहां ये समझना जरूरी है कि भारत विभाज्य राज्यों का अविभाज्य संघ है। मतलब हमारा एक ऐसा यूनियन है जिसे तोड़ा नहीं जा सकता। लेकिन राज्यों को तोड़ा जा सकता है, जिससे भारत ने आंध्र से तेलंगाना और उत्तर प्रदेश से उत्तराखंड का निर्माण किया। ठीक इसी प्रकार से भारत के अंदर संघ को नहीं तोड़ा जा सकता। यानी भारत राज्यों का एक संघ है और ये टूट नहीं सकता। ऐसे में जब हमें ये india that is bharat shall be a union of states वाली लाइन का पता हो और भारत का नक्शा हमें ज्ञात हो कि हमारे यहां किस प्रकार से सारे राज्य हैं। दिशाओं के हिसाब से ऊपर की तरफ उत्तर, नीचे की तरफ दक्षिण, बाई ओर ईस्ट और दायी ओर वेस्ट में बंटे हुए हैं। ऐसे में भारत की पूरब की तरफ बैठा पश्चिम बंगाल और पश्चिम की तरफ बैठा हुआ तमिलनाडु हाल ही के समय में बहुत सुर्खियों में है। 

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किसी कानून को लागू करने से इनकार कर सकते हैं राज्य?

बात अगर पश्चिम बंगाल की हो तो हाल ही में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने ये कहते हुए सभी को सकते में डाल दिया कि मैं केंद्र के संसद द्वारा पारित वक्फ कानून के तहत को राज्य में लागू नहीं किया जाएगा। उनका तर्क है कि यह कानून केंद्र सरकार ने बनाया है, न कि राज्य की ओर से बनाया गया है। एक राज्य के मुखिया होने के नाते केंद्र के साथ और संसद के साथ कही गई बातों पर इस तरह का बर्ताव क्या कानून की कसौटी पर खरी उतरती है। वैसे वक्फ कानून पर बात पूरब से निकलकर चली ही थी और ये दक्षिण की तरफ पहुंच गई। तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने राज्य की स्वायत्तता को मजबूत करने के लिए एक उच्चस्तरीय समिति बनाने का ऐलान किया है। यहां पर गौर करने वाली बात ये है कि ऑटोनोमस स्टेट राज्य केंद्र के साथ न होकर अपनी स्वतंत्रत पहचान लेकर आगे बढ़े। 

भारत की संवैधानिक स्थिति

भारत का संविधान एक ऐसा ढांचा अपनाता है, जिसमें विधायी शक्तियां तीन सूचियों में विभाजित हैं:

1.यूनियन लिस्ट– केवल संसद को कानून बनाने का अधिकार।

2.स्टेट लिस्ट– केवल राज्य विधानसभाओं को अधिकार।

3.कंकरेंट लिस्ट– केंद्र और राज्य दोनों को कानून बनाने का अधिकार। लेकिन (अनुच्छेद 254 के अनुसार) टकराव की स्थिति में संसद के कानून को महत्त्व मिलता है। 

देश से अलग करनी की रणनीति तो नहीं ?

बड़ा सवाल ये है कि क्या कोई राज्य अपनी स्वतंत्र पहचान के साथ आगे निकल सकता है। देखने वाली बात ये है कि कोई राज्य ऐसा संभव है जिसकी अपनी अलग पहचान हो, बिल्कुल वैसे ही जैसे कभी जम्मू कश्मीर 370 के माध्यम से अपने आप को अलग मानता था। क्या राज्य तमिलनाडु केंद्र या फिर अन्य राज्यों के साथ खुश नहीं है या फिर देश से अलग होने की कोई नीति लगाई जा रही है। मुख्यमंत्री का कहना है कि केंद्र द्वारा राज्यों के अधिकारों को धीरे-धीरे छीना जा रहा है। यह सिर्फ तमिलनाडु नहीं, पूरे भारत के राज्यों के अधिकारों की रक्षा के लिए है। उन्होंने कहा, तमिलनाडु की आवाज राज्यों की स्वायत्तता पर चर्चा की पहली आवाज होगी। उच्च स्तरीय समिति राज्य की स्वायत्तता सुनिश्चित करने के लिए केंद्र और राज्य सरकारों के वीच संबंधों की विस्तार से जांच करेगी। 

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स्टालिन के कदम के पीछे का मकसद क्या है? 

समिति केंद्र और राज्यों के संबंधों की समीक्षा करेगी। 

राज्यों के अधिकार कैसे कम हो रहे हैं, यह देखेगी। 

जो विषय पहले राज्यों के अधिकार में थे, लेकिन अब केंद्र के पास चले गए हैं, उन्हें वापस राज्यों को कैसे दिया जा सकता है, इस पर सुझाव देगी। 

जनवरी 2026 तक अंतरिम्, 2 साल में अंतिम रिपोर्ट सौंपेगी।

लगातार केंद्र से टकराव 

तमिलनाडु सरकार चाहे वो भाषा का मुद्दा हो, नीट से जु़ड़ा मामला या फिर राज्यपाल से संबंधित विषय हो। डीएमके द्वारा शासित ये राज्य आज केंद्र की सरकार के साथ इस तरह विवाद में फंसा है कि वो कुछ अलग कर गुजरने की कोशिश में किसी भी हद तक जाने को तैयार नजर आ रहा है। लेकिन भारत को इस तरह से कोई राज्य छोड़कर जा सकता है। क्या कोई राज्य अपनी स्वतंत्र सत्ता चला सकता है? 

राज्य क्यों उठाते हैं स्वायत्ता की मांग

तमिलनाडु ने 1969 में एक राज्य मन्नार कमीशन बनाया गया था। इसका मकसद यही था कि स्वायत्ता ज्यादा से ज्यादा राज्यों को दी जाए। 1977 में वेस्ट बंगाल मेमोरेंडम बंगाल सरकार ने जारी किया था। यानी स्वायत्ता की मांग समय समय पर उठती रही है। लेकिन संविधान में सातवीं अनुसूचि है और उसके अंदर शक्तियों का बंटवारा है। जिसे हम केंद्र सूची और राज्य सूची कहते हैं। आपको याद होगा कि बंगाल सरकार ने एक बार कहा थआ कि केंद्र सूची के 100 से ज्यादा विषयों में से तीन-चार को छोड़ दे तो बाकी राज्य सूची में ट्रांसफर किया जाए। ये वैसा ही है जैसे जम्मू कश्मीर में 370 थी। हमारे मामलों में हम तय करेंगे कि आरटीआई यहां लागू होगा या नहीं, भारत सरकार के आईएएस यहां आंगे या नहीं। मतलब यहां का कानून अलग और पूरे देश का कानून अलग होगा। 

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