Trump ने भले ही आर्ट ऑफ डील लिखी हो, लेकिन आर्ट ऑफ वॉर तो चीन का 2500 साल पुराना स्टाइल है, टैरिफ जंग से भारत की कैसे होगी मौज?

चीन ने पहले तो काउंटर टैरिफ लगाकर मुकाबला किया और फिर उसने अमेरिकी कंपनियों को परेशान करना शुरू कर दिया। चीन के एयरलाइन कंपनियों ने अमेरिकी कंपनी बोइंग के विमानों की डिलीवरी लेने से मना कर दिया है।
"असली रोमांच तो खेल खेलने में है। मैं इस बात की चिंता में ज़्यादा समय नहीं बिताता कि मुझे क्या अलग करना चाहिए था, या आगे क्या होने वाला है।" ये बात डोनाल्ड ट्रंप ने अपनी किताब द आर्ट ऑफ डील में लिखी है। वैसे तो ये किताब 1987 में आई थी। ट्रंप का दावा है कि ये बाईबल के बाद सबसे पवित्र टेक्ट है। यानी जो कुछ द आर्ट ऑफ डील में लिखा है वो शाश्वत सत्य है और वो इस पर आंखें बंद करके भरोसा भी करते हैं और अपने समर्थकों को भी ऐसा करने को कहते हैं। लेकिन अब इसमें सेंध लगती दिख रही है। ट्रंप को सोचने पर मजबूर होना पड़ा है। जिस चीन को उन्होंने टैरिफ से झुकाने की कोशिश की थी वो तो पुष्पा के अल्लू अर्जुन के माफिक झुकेगा नहीं स्टाइल अपना चुके हैं।
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अमेरिका को हराने के लिए चीन ने क्या प्लान बनाया
चीन ने पहले तो काउंटर टैरिफ लगाकर मुकाबला किया और फिर उसने अमेरिकी कंपनियों को परेशान करना शुरू कर दिया। चीन के एयरलाइन कंपनियों ने अमेरिकी कंपनी बोइंग के विमानों की डिलीवरी लेने से मना कर दिया है। बोइंग सिर्फ कुछ जेट्स नहीं बनाता वो यूएस का सबसे बड़ा एक्सोपर्टर है। इसके अलावा चीन ने अमेरिका से बीफ इंपोर्ट भी कम कर दिया है। उसने विकल्प के तौर पर ऑस्ट्रेलिया का रूख किया है। चीन और भी कई अमेरिकी कंपनियों पर शिकंजा कसने की तैयारी कर रहा है और इससे अमेरिका को 1000 करोड़ का नुकसान हो सकता है। इन सब के बीच चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग का साउथ ईस्ट एशिया का दौरा चल ही रहा है। टैरिफ वॉर के बीच वो अपने ट्रेडिशनल ट्रेड पार्टनर के साथ संबंध मजबूत करना चाहते हैं। इसी क्रम में वो 15 अप्रैल को मलेशिया पहुंचे और वहां उन्होंने कहा कि अमेरिका की तुलना में चीन ज्यादा भरोसेमंद सहयोगी है।
चीन का आर्ट ऑफ वॉर
एक तरफ चीन लगातार अमेरिका को चोट पहुंचा रहा है तो दूसरी तरफ ट्रंप असमंजस की स्थिति में हैं। वो कभी टैरिफ लगता हैं कभी हटाते हैं। कभी रियासत देते हैं। ट्रंप ने भले ही आर्ट ऑफ डील लिखी हो लेकिन आर्ट ऑफ वॉर तो चीनी ने ही लिखी थी और वो भी ढाई हजार साल पहले। ये सून त्ज़ू द्वारा लिखित युद्धशास्त्र, युद्धनीति, युद्ध दर्शन और रणनीति के बारे में लिखी गई एक 13 अध्याय की एक किताब है। ये जंग के साथ साथ दूसरी फील्ड में भी प्रांसगिक मानी जाती है। बहरहाल, चीन के प्रतिकार और जवाबी कार्यवाही के बीच सबसे ज्यादा फायदा किसको होने वाला है। इस पर सभी कि नजरें हैं।
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बोइंग रोकने से भारत को बंपर फायदा
अमेरिका और चीन के बीच छिड़े ट्रेड वॉर से पड़ोसी मुल्क भारत को इससे क्या लाभ होगा इस पर एक्सपर्ट्स अपनी अपनी राय दे रहे हैं। लेकिन फिलहाल बोइंग कंपनी के विमानों की डिलीवरी रोके जाने के बाद भारत को फायदा हो सकता है। टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक ये उम्मीद लगाई जा रही है कि चीन का अमेरिका के खिलाफ जाकर फैसला करना भारत के लिए फायदे भरा हो सकता है, खासकर भारतीय एयरलाइंस को इससे अप्तयाशित लाभ मिल सकता है। बोइंग कंपनी को लेकर लगी रोक के बाद ये उम्मीद और पक्का कर रही है। चीन द्वारा लगाई गई रोक के बाद बोइंग भारत को प्राथमिकता दे सकता है। इससे एयर इंडिया एक्सप्रेस और अकासा एयरलाइंस के लिए फायदे का सौदा साबित हो सकता है। ये दोनों एयरलाइंस बोइंग 737 के मैक्स विमानों के साथ अपने बेड़े का सक्रिय रूप से विस्तार कर रहे हैं। टीओआई की रिपोर्ट के अनुसार लगभग 100 बोइंग 737 मैक्स और 11 बोइंग 787 ड्रीमलाइनर जो चीनी डिलिवरी के लिए निर्धारित थे वे अब भारत के अन्य एयरलाइंस के लिए उपलब्ध हो सकते हैं।
चीन के पास हैं कई घातक हथियार
अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप की ट्रेड वॉर के खिलाफ चीन के पास चलने के लिए एक और बहुत ताकतवर चाल है। और वो है रेयर अर्थ मेटल्स । या ये कहें कि दुर्लभखनिज। ये खनिज मोवाइल से लेकर मिसाइल तक की ताकत हैं। ट्रंप के टैरिफ हमलों के जवाव में चीन ने इन धातुओं के एक्सपोर्ट पर रोक लगा दी है। इस तरह यह लड़ाई अव सिर्फ टैक्स की नहीं, बल्कि टेक्नॉलजी, सप्लाई चेन और ग्लोवल दवदवे की हो चली है। रेयर अर्थ यानी दुर्लभ धातुएं, 17 खास खनिजों का समूह होता है, जो जमीन में पाये जाते हैं, लेकिन इन्हें खनन और शुद्ध करना मुश्किल और महंगा होता है। यह खनिज मोवाइल फोन, इलेक्ट्रिक कार, एमआईआई मशीन, लड़ाकू विमान, मिसाइल सिस्टम और हाई-टेक गैजेट्स के निर्माण में बेहद जरूरी हैं। इन्हें निकालना मुश्किल, महंगा और पर्यावरण के लिए हानिकारक होता है। अमेरिका और यूरोप की कई कंपनियों की रेयर अर्थ मैग्नेट की शिपमेंट चीन में अटक गई है। इससे इलेक्ट्रॉनिक्स, गाड़ियां और डिफेंस इंडस्ट्री को झटका लगा है। चूंकि अमेरिका के पास इन धातुओं का वैकअप स्टॉक बहुत कम है, इसलिए तुरंत विकल्प नहीं हैं।
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