चुनाव से ठीक पहले ‘इधर-उधर’ जाने से NDA की सेहत पर कोई फर्क नहीं पड़ने वाला: अनुप्रिया पटेल
अनुप्रिया से जब राज्य सरकार में मंत्री रहे स्वामी प्रसाद मौर्य, दारा सिंह चौहान और धर्म सिंह सैनी तथा उनकी पार्टी के दो कुर्मी विधायकों समेत पिछड़े वर्ग के कई प्रमुख नेताओं के समाजवादी पार्टी में शामिल होने को लेकर सवाल किया गया तो उन्होंने यह जवाब दिया।
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पटेल ने दावा किया, ‘‘उत्तर प्रदेश में पिछड़ों की 50 फीसद से ज्यादा आबादी है और पिछड़ा वर्ग का मतदाता जिधर जाता है, उधर ही सत्ता नसीब होती है।’’ उन्होंने भरोसा जताया कि पिछड़ों का जो साथ 2017 में राजग को मिला वह 2022 में भी मिलेगा। उल्लेखनीय है कि 2017 के विधानसभा चुनाव में अपना दल (एस) को भाजपा के साथ हुए गठबंधन के तहत 11 सीटें मिलीं थी, जिनमें नौ सीटों पर पार्टी के उम्मीदवार जीते थे। अनुप्रिया पटेल ने 2014 में भाजपा के साथ पहली बार गठबंधन किया था और मिर्जापुर लोकसभा क्षेत्र तथा कुंवर हरिवंश सिंह प्रतापगढ़ लोकसभा क्षेत्र से अपना दल चुनाव जीता था। अनुप्रिया पटेल मोदी की पहली सरकार में भी मंत्री थी और इस बार भी उन्हें मंत्री बनाया गया है। वह पहली बार 2012 के विधानसभा चुनाव में डॉक्टर अयूब की अगुवाई वाली पीस पार्टी के गठबंधन से वाराणसी की रोहनिया सीट से चुनाव जीती थीं। अनुप्रिया की मां पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की अगुवाई वाले समाजवादी गठबंधन में शामिल हैं। अनुप्रिया से जब पूछा गया कि अखिलेश यादव ने आपकी मां (कृष्णा पटेल) के दल से गठबंधन किया और उनका चुनाव मैदान में आपके विरोध में आना राजग के लिए कितना नुकसानदेह है, इस पर अनुप्रिया ने बड़ी शालीनता के साथ कहा, ’’माताजी स्वतंत्र हैं, कहीं किसी राजनीतिक दल के साथ जाने के लिए स्वतंत्र हैं। तीन चुनाव के नतीजे इस बात को साबित कर चुके हैं कि डॉक्टर सोनेलाल के विचारों के सिपाही अपना दल के समर्थक, शुभचिंतक, कार्यकर्ता, मतदाता सभी मेरे साथ खड़े हैं। 2022 में मैं यही कहूंगी कि प्रत्यक्ष को प्रमाण की आवश्यकता नहीं होगी।’’ गौरतलब है कि अपना दल की स्थापना अनुप्रिया पटेल के पिता डॉक्टर सोनेलाल पटेल ने वर्ष 1995 में की थी। डॉक्टर पटेल का 2009 में एक हादसे में निधन होने के बाद अनुप्रिया राजनीति में सक्रिय हुईं और उनकी मां कृष्णा पटेल ने पार्टी की बागडोर संभाली। बाद में मां-बेटी के बीच मतभेद होने के बाद अपना दल दो हिस्सों में बंट गया। अब कृष्णा पटेल अपना दल (कमेरावादी) का नेतृत्व कर रही हैं। अनुप्रिया ने अपने पिता के नाम को जोड़ते हुए अपना दल (सोनेलाल) नाम से पार्टी बनाई है।
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राजग इस बार 2017 की अपेक्षा कितनी सीटें जीतेगी, इसके जवाब में उन्होंने कहा, ‘‘आंकड़ों में फेरबदल हो सकता है, इस पर कोई दावा नहीं करुंगी, लेकिन सरकार हम दोबारा बनाने जा रहे हैं, ऐसा मेरा पूरा विश्वास है। उत्तर प्रदेश में राजग की शानदार तरीके से वापसी होगी।’’ कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी के ‘लड़की हूं लड़ सकती हूं’ के नारे पर उन्होंने कहा, ‘‘यह नयी जमीन तलाशने का एक प्रयोग है, क्योंकि कांग्रेस पार्टी का कोई एक प्रतिबद्ध वोट बैंक रह नहीं गया है, संगठन भी ध्वस्त है, तो संगठन को खड़ा करने का तथा उसमें नई ऊर्जा फूंकने का एक प्रयोग है, जो कांग्रेस कर रही है और जहां तक महिलाओं की भागीदारी के प्रति गंभीरता की बात है तो जहां उनकी (कांग्रेस की) सरकारें हैं, वहां ऐसे प्रयोग किये जाते तो लोगों को कुछ बात समझ में भी आती।’’ भाजपा गठबंधन से अपना दल (एस) को मिलने वाली सीटों के संदर्भ में पटेल ने कहा, ‘‘बहुत जल्द अंतिम निष्कर्ष पर पहुंचेंगे और सीटों की संख्या के बारे में तभी बता सकेंगे।’’ अनुप्रिया पटेल ने समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव के नारे ‘यूपी में इंकलाब होगा-बाइस में बदलाव होगा’ पर कहा, ‘‘अखिलेश जी की पार्टी पहले भी सरकार में रह चुकी है। उनके पिताजी आदरणीय नेताजी (मुलायम सिंह यादव) ने तीन बार और अखिलेश जी ने एक बार प्रदेश सरकार का नेतृत्व किया, लेकिन चार बार में इंकलाब नहीं ला पाए। सत्ता से बाहर होने के बाद उन्हें पिछड़ों का इंकलाब याद आ रहा है, इंकलाब तो पहले आ जाना चाहिए था, भारतीय जनता पार्टी तो बहुत साल बाहर थी, अपना दल सत्ता में नहीं था। उत्तर प्रदेश की जनता ने बहुत बार मौका दिया, ले आते क्रांति।’’ सरकार छोड़कर जाने वाले मंत्रियों मौर्य और चौहान द्वारा भाजपा सरकार में पिछड़ों, दलितों और वंचितों की उपेक्षा का आरोप लगाए जाने के मसले पर केंद्रीय मंत्री ने कहा, ‘‘देखिए, मुझे लगता है कि भाजपा के अंदर भी अपनी सरकार की कार्यशैली का एक आकलन किया गया होगा। पिछड़ा वर्ग का पहले भी ध्यान दिया गया और अब और ज्यादा ध्यान देने पर हमारा बड़ा सहयोगी दल (भाजपा) विचार करेगा।’’
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विपक्षी दलों के पिछड़े नेता यह आरोप लगाते रहे हैं कि केशव प्रसाद मौर्य की अगुवाई में विधानसभा चुनाव लड़कर 2017 में भाजपा ने सफलता हासिल की, लेकिन उन्हें मुख्यमंत्री नहीं बनाया गया। मौर्य का मुख्यमंत्री न बन पाना इस चुनाव को कहां तक प्रभावित कर रहा है, इस सवाल के जवाब में अपना दल (एस) की अध्यक्ष ने कहा, ‘‘हम भाजपा के साथ एक छोटे सहयोगी के रूप में हैं, भाजपा के पास 312 विधायक थे और हमारे पास नौ विधायक थे। भविष्य में हम कभी इस स्थिति में होंगे कि मुख्यमंत्री तय कर सकते हैं तो जरूर अपना मत देंगे, लेकिन जहां तक 2017 में मुख्यमंत्री के चयन का सवाल है तो यह पूर्णतया भाजपा का आंतरिक विषय हैं, उनकी अपनी पार्टी का आंतरिक मत है।’’ इस बार सरकार बनने पर आप क्या पिछड़ा वर्ग से मुख्यमंत्री बनाये जाने की हिमायत करेंगी, इस सवाल पर उन्होंने कहा, ‘‘आज की तारीख में मैं कोई ऐसा विवाद खड़ा करना नहीं चाहती, मैं पूर्णतया यही कहूंगी कि यह भाजपा को तय करना है और भाजपा को समाज की परिस्थितियों का, समाज की नस का पता है। भाजपा हमसे ज्यादा बेहतर समझती है कि जनता के मन में क्या है।’’ पिछड़ों के हक को लेकर तमाम सवाल उठ रहे हैं, लेकिन क्या आप राजग सरकार के पिछड़ों के हक में किये गये कार्यों से संतुष्ट हैं, इस पर पटेल ने कहा, ‘‘ऐसा नहीं है कि पिछड़ों, दलितों और वंचितों के हक से जुड़े सभी सवाल समाप्त हो गये और सभी समस्याओं का समाधान हो गया, लेकिन कुछ विषयों का समाधान हुआ, कुछ अच्छे काम हुए। योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश सरकार में अपना दल (एस) को केवल एक मंत्री पद दिया गया, लेकिन इस बार आपका दावा है कि फिर सरकार बनेगी तो कितने मंत्री पद आपके दल को मिलेंगे, इसके जवाब में उन्होंने कहा, ‘‘सरकार बनने दीजिए, समय के साथ अपना दल की हिस्सेदारी का स्वरूप भी बढ़ेगा और सारी बातें की जाएगी। अपना दल का आकार बड़ा नजर आएगा। सरकार में हस्तक्षेप भी बढ़ेगा और हमारी भूमिका भी बढ़ेगी, हमारा स्वरूप भी बढ़ेगा।
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