Ghulam Nabi Azad का बड़ा बयान, स्थिति में सुधार होने तक कश्मीरी पंडितों को जम्मू स्थानांतरित किया जाए

ghulam nabi azad
ANI
अंकित सिंह । Dec 26 2022 3:30PM

अपने बयान में गुलाम नबी आजाद ने कहा कि हमारे समय में कश्मीरी पंडितों को कोई छेड़ता नहीं था। उन्होंने कहा कि अभी के लिए जान ज़्यादा जरूरी है लेकिन तब तक के लिए कश्मीरी पंडितों को जम्मू भेजना चाहिए। अभी नौकरी ज़्यादा जरूरी है या जान?

जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और डेमोक्रेटिक आजाद पार्टी के अध्यक्ष गुलाम नबी आजाद के एक बयान को लेकर केंद्र शासित प्रदेश में राजनीतिक जबरदस्त तरीके से हो रही है। दरअसल, गुलाम नबी आजाद ने स्थिति सामान्य होने तक कश्मीरी पंडितों को जम्मू भेजे जाने की बात की है। हालांकि, गुलाम नबी आजाद के इस बयान को लेकर अलग-अलग राजनीतिक दलों के लोगों ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी है। अपने बयान में गुलाम नबी आजाद ने कहा कि हमारे समय में कश्मीरी पंडितों को कोई छेड़ता नहीं था। उन्होंने कहा कि अभी के लिए जान ज़्यादा जरूरी है लेकिन तब तक के लिए कश्मीरी पंडितों को जम्मू भेजना चाहिए। अभी नौकरी ज़्यादा जरूरी है या जान? 

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उसके साथ ही उन्होंने कहा कि अगर हमारी सरकार आएगी तो हम यही करेंगे। हाल में ही जम्मू कश्मीर में कश्मीरी पंडितों को आतंकवादियों की ओर से निशाना बनाया गया। इसके अलावा कश्मीरी पंडितों को आतंकवादियों की ओर से धमकी भी दी गई थी। इसी के संदर्भ में गुलाम नबी आजाद ने यह बड़ा बयान दिया है। अपनी अलग पार्टी बनाकर राज्य की राजनीति में खुद को स्थापित करने की कोशिश में गुलाम नबी आजाद ने संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि दुर्भाग्य से कुछ घटनाएं हो गई हैं। जीवन प्राथमिकता में है और इसलिये मेरी राय है कि कश्मीरी पंडित कर्मचारियों को जम्मू में सुरक्षित स्थानों पर स्थानांतरित किया जाये। स्थिति में सुधार होने के बाद उनलोगों को वापस लौटना चाहिये।

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कांग्रेस के पूर्व नेता ने कहा कि कहा कि जीवन रोजगार से कहीं अधिक महत्वपूर्ण है और केंद्रशासित प्रदेश में उनकी पार्टी के सत्ता में आने पर ऐसा कदम उठाने का वादा किया। उन्होंने कहा कि मुझे नहीं पता कि सरकार का रुख क्या है, लेकिन अगर हमारी पार्टी सत्ता में आती है तो हम ऐसा (अस्थायी तौर पर कर्मचारियों को जम्मू स्थानांतरित) करेंगे। जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव कराने में देरी के बारे में पूछे जाने पर पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि हम पिछले छह साल से इंतजार कर रहे हैं। मैंने संसद में भी कई बार इस मुद्दे को उठाया। वे हमें पंचायत चुनाव या डीडीसी चुनाव दिखाते हैं, लेकिन असली चुनाव विधानसभा का होता है, जो नहीं हो रहा है।

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