पश्चिम बंगाल : नारद मामले में सीबीआई अदालत में पेश हुए ममता के खास चार आरोपी नेता
नारद मामले में आरोपों का सामना कर रहे चार वरिष्ठ नेता शुक्रवार को कोलकाता में सीबीआई की विशेष अदालत के समक्ष उपस्थित हुए। न्यायाधीश अनुपम मुखर्जी ने 17 अप्रैल को चारों नेताओं को अंतरिम जमानत देते हुए उन्हें चार जून को अदालत में प्रत्यक्ष तौर पर उपस्थित होने का आदेश दिया था।
कोलकाता। नारद मामले में आरोपों का सामना कर रहे चार वरिष्ठ नेता शुक्रवार को कोलकाता में सीबीआई की विशेष अदालत के समक्ष उपस्थित हुए। न्यायाधीश अनुपम मुखर्जी ने 17 अप्रैल को चारों नेताओं को अंतरिम जमानत देते हुए उन्हें चार जून को अदालत में प्रत्यक्ष तौर पर उपस्थित होने का आदेश दिया था। राज्य के मंत्री सुब्रत मुखर्जी और फरहाद हकीम, तृणमूल विधायक मदन मित्रा एवं शहर के पूर्व महापौर शोभन चटर्जी न्यायाधीश के समक्ष उपस्थित हुए और कुछ देर बाद बैंकशैल अदालत परिसर से चले गये।
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न्यायाधीश मुखर्जी ने कहा कि मामले में सुनवाई के लिए अगली तारीख दिन में बाद में तय की जायेगी। कलकत्ता उच्च न्यायालय की पांच न्यायाधीशों की पीठ ने 28 मई को चारों नेताओं को अंतरिम जमानत दे दी थी। उच्च न्यायालय के आदेश पर नारद स्टिंग मामले की जांच कर रही सीबीआई (केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो) ने इन नेताओं को 17 मई को गिरफ्तार किया था। सीबीआई की विशेष अदालत ने उसी दिन उन्हें जमानत दे दी थी लेकिन उच्च न्यायालय ने इस आदेश पर रोक लगा दी और उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया था। निजाम पैलेस स्थित सीबीआई के कार्यालय के बाहर 2,000-3,000 लोगों की भीड़ के प्रदर्शन के चलते जांच एजेंसी द्वारा चारों आरोपी नेताओं को प्रत्यक्ष तौर पर अदालत में पेश करने में असमर्थता जताये जाने पर 17 मई को वे डिजिटल तरीके से सीबीआई की विशेष अदालत के समक्ष पेश हुए थे।
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उसी दिन विशेष अदालत में चारों आरोपियों के खिलाफ विशेष अदालत में नारद स्टिंग मामले में आरोप पत्र भी दाखिल किया गया था। विशेष अदालत ने उन्हें अंतरिम जमानत देते हुए मामलें में अगली सुनवाई के लिए चार जून की तारीख तय की और उस दिन आरोपियों को पेश होने का आदेश दिया। उच्च न्यायालय की एक खंडपीठ ने सीबीआई की विशेष अदालत द्वारा चारों नेताओं को अंतरिम जमानत देने के आदेश पर रोक के अपने पूर्व के आदेश में संशोधन करते हुए उन्हें 21 मई को नजरबंद करने का आदेश दिया। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश राजेश बिंदल की अध्यक्षता वाली खंडपीठ के न्यायाधीशों द्वारा चारों आरोपियों को अंतरिम जमानत देने पर मतभेद के बाद मामले को पांच न्यायाधीशों की एक वृहद पीठ के पास भेज दिया गया था।
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