सिंघू धरना स्थल पर किसानों की भावनाएं हिलोरे मार रहीं, कई जगह यातायात प्रभावित

Farmers sentiments shaking at Singhu picket site traffic affected in many places

दिल्ली-हरियाणा सीमा पर एक साल से अधिक समय तक चले आंदोलन के पश्चात किसानों के घर लौटने के क्रम में शनिवार को फूलों से लदी ट्रैक्टर ट्रॉलियों के काफिले विजय गीत बजाते हुए सिंघू धरना स्थल से बाहर निकल गए, लेकिन इस दौरान किसानों की भावनाएं हिलोरें मार रही थीं।

नयी दिल्ली/चंडीगढ़। दिल्ली-हरियाणा सीमा पर एक साल से अधिक समय तक चले आंदोलन के पश्चात किसानों के घर लौटने के क्रम में शनिवार को फूलों से लदी ट्रैक्टर ट्रॉलियों के काफिले विजय गीत बजाते हुए सिंघू धरना स्थल से बाहर निकल गए, लेकिन इस दौरान किसानों की भावनाएं हिलोरें मार रही थीं। सिंघू बॉर्डर छोड़ने से पहले, कुछ किसानों ने हवन किया, तो कुछ ने कीर्तन गाये, जबकि कुछ किसान विजय दिवस के रूप में इस दिन को चिह्नित करने के लिए भांगड़ा करते नजर आये। उधर, पंजाब और हरियाणा में सिंघू बॉर्डर से लौटे किसानों की घर-वापसी पर मिठाइयों और फूल-मालाओं से जोरदार स्वागत करने का सिलसिला शुरू हो गया है।

इसे भी पढ़ें: संभव है कांग्रेस मुक्त विपक्ष, कौन होगा लीडर और क्या होगी रणनीति... PK ने पूरा ब्लू प्रिंट बताया, मोदी की ताकत का एहसास भी कराया

दिल्ली-करनाल-अम्बाला और दिल्ली-हिसार राष्ट्रीय राजमार्गों पर ही नहीं, बल्कि राजकीय राजमार्गों पर अनेक स्थानों पर किसानों के परिजन अपने गांववालों के साथ किसानों का स्वागत करते नजर आये। इस अवसर पर लड्डू-बर्फी भी बांटे जा रहे हैं। ट्रैक्टर ट्रॉलियों और अन्य वाहनों के हुजूम की वजह से दिल्ली-सोनीपत-करनाल राष्ट्रीय राजमार्गों पर वाहनों की रफ्तार धीमी पड़ गई। दूर-दूर तक वाहनों का काफिला नजर आ रहा है। मुख्य रूप से पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के किसान, तीन केंद्रीय कृषि कानूनों के विरोध में और इन कानूनों को वापस लिये जाने की मांग को लेकर पिछले साल 26 नवंबर को बड़ी संख्या में यहां एकत्र हुए थे। संसद में 29 नवम्बर को इन कानूनों को निरस्त करने तथा बाद में एमएसपी पर कानूनी गारंटी के लिए एक पैनल गठित करने सहित विभिन्न मांगों के सरकार द्वारा मान लिये जाने के बाद संयुक्त किसान मोर्चा ने बृहस्पतिवार को विरोध प्रदर्शन स्थगित करने की घोषणा की थी।

इसे भी पढ़ें: हिमाचल प्रदेश से बीजेपी के लिए खतरे की घंटी! CM को सता रहा सत्ता जाने का डर, अगले एक साल में कमियों पर किया जाएगा फोकस

अब जब सिंघू बॉर्डर से किसान अपने घरों को लौटने लगे हैं तो उनकी भावनाएं उफान पर हैं और मन में खुशियां हिलोरें मार रही हैं। ये किसान पिछले एक साल साथ रहने के बाद एक-दूसरे से विदाई लेते वक्त आपस में गले मिलते और बधाई देते नजर आए। सिंघू बॉर्डर से रवाना होने को तैयार अम्बाला के गुरविंदर सिंह ने कहा, ‘‘यह हमलोगों के लिए भावनात्मक क्षण है। हमने कभी नहीं सोचा था कि हमारा बिछोह इतना कठिन होगा, क्योंकि हमारा यहां लोगों से और इस स्थान से गहरा लगाव हो गया था। यह आंदोलन हमारे यादों में हमेशा मौजूद रहेगा।’’ यद्यपि कुछ किसान सिंघू बॉर्डर पर केएफसी के निकट पेट्रॉल पम्प पर इकट्ठा होकर कीर्तन और अरदास कर रहे थे तो कुछ टेंट को उखाड़ने और उन्हें ट्रैक्टर ट्रॉलियों पर लादने में मदद कर रहे थे। उसके सौ-दो सौ मीटर की दूरी पर ही पंजाब के युवकों का एक समूह जीत की खुशी में पंजाबी गानों पर भांगड़ा नृत्य कर रहे थे।

सिंघू बॉर्डर पर पुलिस की उपस्थिति बहुत ही कम थी और जितने भी पुलिसकर्मी वहां मौजूद थे, उनके चेहरे पर सुकून के भाव स्पष्ट देखे जा सकते थे। एक पुलिस अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, ‘‘हम अपनी ड्यूटी बेहतर तरीके से कर रहे थे। प्रदर्शन के समाप्त हो जाने से निश्चित तौर पर यात्रियों और स्थानीय लोगों को बड़ी राहत मिलेगी।’’ इस बीच वाहनों के काफिले की वजह से विभिन्न राष्ट्रीय राजमार्गों पर यातायात की गति धीमी हो गयी है। सोनीपत के एक यातायात पुलिस अधिकारी ने कहा कि सोनीपत-करनाल राष्ट्रीय राजमार्ग पर वाहन धीरे-धीरे चल रहे हैं। कुछ वाहन राजमार्ग पर गलत साइड से घूस आये हैं, जिसकी वजह से भी वाहनों की आवाजाही में समस्या खड़ी हुई है। दिल्ली-रोहतक राष्ट्रीय राजमार्ग पर भी कुछ स्थानों पर जाम की स्थिति बनी हुई है।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


We're now on WhatsApp. Click to join.
All the updates here:

अन्य न्यूज़