इंजीनियर राशिद को लगा झटका, पटियाला हाउस कोर्ट ने खारिज की टेरर फंडिंग केस में जमानत याचिका

17 मार्च को अपील के जवाब में एजेंसी ने कहा कि राशिद को सांसद के रूप में अपनी स्थिति का उपयोग करके कारावास की कठोरता से बचने की अनुमति नहीं दी जा सकती। एजेंसी ने तर्क दिया कि राशिद को अंतरिम जमानत या हिरासत पैरोल नहीं दी जा सकती क्योंकि वैध हिरासत में रहते हुए संसद सत्र में भाग लेने का उनके पास कोई लागू करने योग्य अधिकार नहीं है।
दिल्ली की एक अदालत ने शुक्रवार को जम्मू-कश्मीर के बारामूला से लोकसभा सांसद इंजीनियर राशिद की आतंकवाद वित्तपोषण मामले में जमानत याचिका खारिज कर दी। अपनी रिपोर्ट में अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश चंदर जीत सिंह के हवाले से कहा कि जमानत याचिका खारिज की जाती है। 2017 के आतंकी फंडिंग मामले में गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम के तहत राष्ट्रीय जांच एजेंसी द्वारा गिरफ्तारी के बाद से राशिद 2019 से तिहाड़ जेल में है। इस सप्ताह हुई सुनवाई के दौरान राशिद ने ट्रायल कोर्ट के 10 मार्च के आदेश को चुनौती दी, जिसमें उन्हें 4 अप्रैल तक लोकसभा की कार्यवाही में भाग लेने के लिए हिरासत पैरोल या अंतरिम जमानत देने से इनकार कर दिया गया था।
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17 मार्च को अपील के जवाब में एजेंसी ने कहा कि राशिद को सांसद के रूप में अपनी स्थिति का उपयोग करके कारावास की कठोरता से बचने की अनुमति नहीं दी जा सकती। एजेंसी ने तर्क दिया कि राशिद को अंतरिम जमानत या हिरासत पैरोल नहीं दी जा सकती क्योंकि वैध हिरासत में रहते हुए संसद सत्र में भाग लेने का उनके पास कोई लागू करने योग्य अधिकार नहीं है। उनका नाम कश्मीरी व्यवसायी जहूर वताली की जांच में सामने आया था, जिसे राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने कश्मीर में सशस्त्र समूहों और अलगाववादियों को वित्त पोषण करने के आरोप में गिरफ्तार किया था।
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एजेंसी ने अलगाववादी नेता यासीन मलिक, लश्कर-ए-तैयबा के संस्थापक हाफिज सईद और हिजबुल मुजाहिदीन के प्रमुख सैयद सलाहुद्दीन समेत कई लोगों के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल किया है। मलिक के दोषी करार दिए जाने के बाद ट्रायल कोर्ट ने उन्हें 2022 में आजीवन कारावास की सजा सुनाई है।
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