लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए जन प्रतिनिधियों के क्षमता निर्माण के प्रयास जरूरी है: लोकसभा अध्यक्ष
बिरला ने यह उल्लेख किया कि किसी देश का भविष्य उसकी संसद द्वारा ही तय होता है। उन्होंने आगे कहा कि संसदें बदलती वैश्विक प्रणाली के साथ तालमेल बिठाते हुए और साथ ही इसकी अमूल्य परंपराएं अक्षुण्ण रखा जाना सुनिश्चित करते हुए देशों के बेहतर भविष्य के लिए नीतियां बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
ओटावा (कनाडा)। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने ओटावा में राष्ट्रटमंडल देशों के अध्यक्षों और पीठसीन अधिकारियों के 25वें सम्मेलन (सीएसपीओसी) में 'समावेशी संसद: संसद की बदलती भूमिका और आवश्यकताओं के अनुरूप पद्धतियों और प्रक्रियाओं के विकास में सहायक के रूप में अध्यक्ष की भूमिका' विषय पर आयोजित विशेष पूर्ण सत्र में राष्ट्रंमंडल देशों की संसदों के अध्यक्षों और पीठसीन अधिकारियों को संबोधित किया। बिरला ने आगे उल्लेख किया कि लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए जन प्रतिनिधियों के क्षमता निर्माण के प्रयास जरूरी है। इस दिशा में सभा के समक्ष लाए गए विधायी मुद्दों के बारे में सदस्यों की जागरूकता को बढ़ावा देने और इस प्रकार सार्थक चर्चा और वाद - विवाद सुनिश्चित करने के उद्देश्य से हाल ही में सभा के समक्ष आने वाले महत्वपूर्ण विधायी कार्यों के बारे में संक्षिप्त जानकारी देने की परंपरा शुरू की गई है।
Highlighted that the relations between India & Canada had gained impetus through exchanges at the highest level and that parliamentary exchanges played a crucial role in taking relations further. Also reflected upon the strong economic ties between the two countries. pic.twitter.com/zUKRFGVq4Z
— Om Birla (@ombirlakota) January 10, 2020
बिरला ने यह उल्लेख किया कि किसी देश का भविष्य उसकी संसद द्वारा ही तय होता है। उन्होंने आगे कहा कि संसदें बदलती वैश्विक प्रणाली के साथ तालमेल बिठाते हुए और साथ ही इसकी अमूल्य परंपराएं अक्षुण्ण रखा जाना सुनिश्चित करते हुए देशों के बेहतर भविष्य के लिए नीतियां बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। बिरला ने कहा कि संसदीय लोकतंत्र में अध्यक्ष और पीठासीन अधिकारी लोकतंत्र एवं सहभागी शासन के संरक्षक होते हैं तथा लोगों की समान भागीदारी तथा प्रतिनिधित् सुनिश्चिेत करना बहुत हद तक उनके निर्णयों पर निर्भर करता है। बिरला ने कहा कि भारत में विगत वर्षों में कई माननीय अध्यक्षों ने ऐसे कई नियम, विनियम और निदेश दिए हैं जिन्होंने हमारी संसदीय प्रक्रियाओं और पद्धतियों के विकास में बहुत महत्वपूर्ण योगदान दिया है। सभा का अध्यक्ष, नियमों और विनियमों की न केवल सही व्याख्या करता है और उनका समुचित कार्यान्वयन कराता है बल्कि अपनी दूरदर्शी सलाह, निपुणता, समझदारी और सबको साथ लेकर चलने के कौशल से यह सुनिश्चित भी करता है कि सभा के सभी वर्गों की बात खुले मन से सुनी जाए।
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बिरला ने यह भी बताया कि उन्हों ने वर्तमान सत्रहवीं लोक सभा के दौरान मौजूदा प्रक्रिया और कार्य संचालन नियमों में कुछ बदलाव लाने का प्रयास किया है। अब तक आयोजित दो सत्रों के दौरान अधिकाधिक सदस्यों को सभा की कार्यवाही में भाग लेने का अवसर दिया गया है और इस प्रकार अनेक युवा सदस्य और लोक सभा में केवल एक सदस्य वाले राजनीतिक दल इससे लाभान्वित हुए हैं। साथ ही, सदस्यों द्वारा सभा में अविलंबनीय लोक महत्व के 2000 से भी अधिक मामले उठाए जा चुके हैं। सम्मेलन के समापन के पश्चात्, बिरला ने कनाडा की संसद के हाउस ऑफ कॉमन्स के अध्यक्ष महामहिम श्री एंथनी रोटा के साथ बैठक की और उन्हें राष्ट्रमंडल देशों के अध्ययक्षों और पीठासीन अधिकारियों के 25वें सम्मेलन की सफलतापूर्वक मेजबानी के लिए बधाई दी। दोनों अध्यक्षों ने बढ़ते हुए भारत-कनाडा द्विपक्षीय संबंधों और परस्पकर व्यापार तथा निवेश के विस्तार की संभाव्यताओं को स्वीकार किया। उन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में बढ़ते सहयोग और कनाडा के संस्थानों में भारत के छात्रों की बढ़ती संख्या पर संतोष व्यक्त किया। दोनों देशों के बीच मैत्रीपूर्ण संबंधों को बढ़ाने में संसदीय संबंधों द्वारा निभाई जा सकने वाली भूमिका को रेखांकित करते हुए दोनों अध्यक्षों ने इस बात पर सहमति व्यक्त की कि दोनों की संसद में सांसदों के अंतर-संसदीय मैत्री समूहों को जल्द से जल्द गठित किया जाना चाहिए। श्री बिरला ने आगे कहा कि भारतीय और कैनेडियाई सांसदों के बीच बातचीत से दोनों देशों के बीच आर्थिक और राजनीतिक संबंधों को प्रगाढ़ करने में मदद मिलेगी।
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