Manmohan Singh के निधन पर उत्तर प्रदेश में सात दिनों का राजकीय शोक, मनमोहन सिंह के लिए यूपी था विशेष

Manmohan Singh
ANI
अजय कुमार । Dec 27 2024 2:53PM

बात जब भी पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की होती है तो उनका यूपी की राजनीति से जुड़ा एक प्रसंग भी याद किया जाता है। बात वर्ष 2008 की है जब तत्कालीन समाजवादी पार्टी के प्रमुख और पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम ने मनमोहन सिंह के लिये अचानक अपना रुख बदला था जिससे मनमोहन सरकार बच गई थी।

लखनऊ। पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के निधन पर उत्तर प्रदेश में भी सात दिनों के लिए राजकीय शोक की घोषणा की गई है। जो कि 26 दिसंबर से प्रारंभ होकर एक जनवरी तक चलेगा। इस संबंध में आदेश जारी कर दिए गए हैं। इस दौरान राष्ट्रीय ध्वज आधा झुका रहेगा और राज्य सरकार की ओर से किसी मनोरंजक कार्यक्रम का आयोजन नहीं किया जाएगा। प्रधानमंत्री के तौर मनमोहन सिंह का यूपी से लगाव भी छिपा हुआ नहीं हैं। पीएम रहते मनमोहन सिंह ने कई बार यूपी की यात्राएं की। डॉ. मनमोहन सिंह ने प्रधानमंत्री के रूप में सितंबर 2013 में यूपी के मुजफ्फरनगर की यात्रा की। जहां पर भीषण दंगे हुए थे।साल 2008 में वह जुलाई महीने में दो बार यूपी की यात्रा की। तीन सितंबर 2005 को प्रधानमंत्री के तौर पर उन्होंने राजधानी लखनऊ की यात्रा की। इसके अलावा अलग अलग मौको पर उन्होंने नोएडा, पीलीभीत, ग्रेटर नोएडा, गाजियाबाद समेत कई राज्य के कई शहरों के विभिन्न आयोजनों में शिरकत की।

बात जब भी पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की होती है तो उनका यूपी की राजनीति से जुड़ा एक प्रसंग भी याद किया जाता है। बात वर्ष 2008 की है जब तत्कालीन समाजवादी पार्टी के प्रमुख और पूर्व मुख्यमंत्री  मुलायम ने मनमोहन सिंह के लिये अचानक अपना रुख बदला था जिससे मनमोहन सरकार बच गई थी। दरअसल, मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार भारत अमेरिका न्यूक्लियर डील के सवाल पर डगमगाने लगी थी। तब लोकसभा सांसदों के संख्या के हिसाब से उत्तर प्रदेश की सबसे बड़ी समाजवादी पार्टी ने मनमोहन सिंह के पहले कार्यकाल वाली सरकार को बचाने में अहम भूमिका निभाई थी। साल 2008 में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के नेतृत्व में यूपीए सरकार को वामपंथी दलों का जरूरी समर्थन हासिल था। पर वामपंथी अमेरिका के साथ इस समझौते के सख्त खिलाफ थे। इसके बावजूद मनमोहन सिंह भारत अमेरिका के बीच न्यूक्लियर समझौते पर आगे बढ़ चुके थे और वह पीछे हटने को तैयार नहीं थे। वामपंथी दलों ने इस समझौते के विरोध में समर्थन वापस ले लिया। तब इस सरकार के शुभ चिंतकों की निगाह यूपी व उसके सबसे बड़े दल सपा पर टिक गई। मुलायम तब वामपंथी दलों के साथ थे। लेकिन उस वक्त सपा के महासचिव अमर सिंह का मुलायम सिंह पर खास असर दिखता था।

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बताया जाता है इसी के चलते मुलायम सिंह ने अपना रुख पलटते हुए मनमोहन सरकार को बचाने को बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और उनके सांसदों ने सरकार के समर्थन कर दिया। मुलायम ने अपने इस फैसले को राष्ट्र हित में लिया गया निर्णय बताया था। अब न मुलायम सिंह है न अमर सिंह व और न अब मनमोहन सिंह। पर सियासी तौर पर यूपी ने हर वक्त में राष्ट्रीय राजनीति में अपनी भूमिका को सामने रखा है। अभी हाल में अखिलेश यादव ने मनमोहन सिंह व मुलायम सिंह यादव की तस्वीर शेयर करते हुए केन बेतवा लिंक परियोजना की चर्चा की थी।

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