चुनाव प्रचार के दौरान उम्मीदवारों के आपराधिक इतिहास के प्रचार को लेकर EC ने सख्त किए नियम
अब चुनाव आयोग ने इसके लिए समयसीमा तय करते हुए साफ किया है कि आपराधिक रिकॉर्ड का सबसे पहले प्रचार उम्मीदवारी वापस लेने की अंतिम तारीख के शुरुआती चार दिन के भीतर होना चाहिए। इसमें कहा गया कि दूसरा प्रचार नाम वापसी की अंतिम तारीख से पांचवें और आठवें दिन के भीतर होना चाहिए।
नयी दिल्ली। चुनाव आयोग ने बिहार विधानसभा चुनाव से पहले शुक्रवार को उम्मीदवारों की आपराधिक पृष्ठभूमि का प्रचार करने के नियमों को कड़ा बनाते हुए इसके लिए एक समयसीमा निर्धारित की है कि कब इस तरह के विज्ञापन चुनाव प्रचार के दौरान प्रकाशित और प्रसारित किए जाने चाहिए। चुनाव आयोग ने अक्टूबर 2018 में चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों और उन्हें खड़ा करने वाले दलों के लिए यह अनिवार्य करने का निर्देश दिया था कि चुनाव प्रचार के दौरान कम से कम तीन बार टीवी और अखबारों में अपनी आपराधिक पृष्ठभूमि के विज्ञापन प्रकाशित कराएं। अब चुनाव आयोग ने इसके लिए समयसीमा तय करते हुए साफ किया है कि आपराधिक रिकॉर्ड का सबसे पहले प्रचार उम्मीदवारी वापस लेने की अंतिम तारीख के शुरुआती चार दिन के भीतर होना चाहिए। इसमें कहा गया कि दूसरा प्रचार नाम वापसी की अंतिम तारीख से पांचवें और आठवें दिन के भीतर होना चाहिए।
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आयोग के मुताबिक तीसरा और अंतिम प्रचार नौवें दिन से लेकर मतदान से दो दिन पहले यानी चुनाव प्रचार के अंतिम दिन तक होना चाहिए। आयोग के एक बयान में कहा गया, ‘‘यह समयसीमा मतदाताओं को और अधिक सूचित करते हुए उनकी पसंद को चुनने में मदद करेगी।’’ आगामी बिहार विधानसभा चुनाव और आने वाले दिनों में 64 विधानसभा तथा एक लोकसभा सीट पर होने वाले उपचुनावों में किस्मत आजमा रहे प्रत्याशियों को अपने आपराधिक इतिहास के बारे में विज्ञापन करते समय नयी समयसीमा का पालन करना होगा। चुनाव आयोग के एक अधिकारी ने कहा कि समयसीमा से सुनिश्चित होगा कि विज्ञापनों पर लोगों की नजर जाए। इस साल फरवरी में उच्चतम न्यायालय के निर्देशों के बाद चुनाव आयोग ने मार्च में राजनीतिक दलों को हलफनामा दायर कर ये बताने के लिये कहा था कि वे आपराधिक इतिहास वाले लोगों को उम्मीदवार क्यों बनाते हैं।
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