निर्वाचन आयोग BJP की विस्तारित शाखा है, संजय राउत ने Election Commission पर लगाए गंभीर आरोप

Sanjay Raut
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राउत ने आरोप लगाया कि मतदान प्रक्रिया में गड़बड़ी मतदाताओं को मतदान करने से रोकने के लिए की गई क्योंकि ईवीएम को हैक नहीं किया जा सका था और पैसा वितरित नहीं किया जा सका था। उन्होंने कहा कि मतदान प्रक्रिया को धीमा करने के ऐसे प्रयास आखिरी मिनट तक किए गए, लेकिन मतदाताओं पर इनका कोई प्रभाव नहीं पड़ा।

मुंबई। शिवसेना-उद्धव बालासाहेब ठाकरे(शिवसेना-यूबीटी) नेता संजय राउत ने निर्वाचन आयोग पर ‘‘भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की विस्तारित शाखा’’ होने का आरोप लगाते हुए मंगलवार को दावा किया कि महाराष्ट्र की उन लोकसभा सीट पर मतदान प्रक्रिया धीमी थी, जहां महा विकास आघाडी (एमवीए) के उम्मीदवार अच्छे प्रदर्शन की उम्मीद कर रहे थे। राउत ने संवाददाताओं से बातचीत के दौरान दावा किया कि जिस क्षेत्रों में सत्तारूढ़ भाजपा या उसके सहयोगी दलों को अधिक वोट मिलने की संभावना थी, वहां चुनाव निर्बाध हुआ। 

निर्वाचन प्राधिकारियों के अनुसार, राज्य में आम चुनाव के पांचवें और अंतिम चरण के दौरान मुंबई के छह क्षेत्र सहित 13 लोकसभा क्षेत्रों में सोमवार को औसत 54.33 प्रतिशत मतदान दर्ज किया गया। मुख्य चुनाव अधिकारी कार्यालय के एक अधिकारी ने मंगलवार को कहा कि अंतिम आंकड़े बाद में घोषित किए जाएंगे। सोमवार को 13 सीट पर हुए मतदान के दौरान मुंबई की छह लोकसभा सीट पर औसतन 52.27 प्रतिशत मतदान हुआ जबकि 2019 के आम चुनावों में मुंबई में 55.38 प्रतिशत मतदान हुआ था। राउत ने आरोप लगाया कि जहां भी शिवसेना (यूबीटी) या एमवीए को अधिक वोट मिलने की उम्मीद थी, वहां धीमी गति से मतदान हुआ। 

उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘निर्वाचन आयोग भाजपा की एक विस्तारित शाखा है।’’ राज्यसभा सदस्य ने कहा कि ठाणे और कल्याण में मतदान प्रक्रिया में गड़बड़ी हुई जहां शिवसेना (यूबीटी) को अधिक वोट मिलने की उम्मीद थी। उन्होंने दावा किया कि मुंब्रा (ठाणे जिले में) के कुछ बूथ पर एक घंटे में केवल 11 वोट डाले जा सके और ऐसा सत्तारूढ़ शिवसेना-भाजपा के हारने के डर के कारण हुआ। 

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राउत ने आरोप लगाया कि मतदान प्रक्रिया में गड़बड़ी मतदाताओं को मतदान करने से रोकने के लिए की गई क्योंकि ईवीएम को हैक नहीं किया जा सका था और पैसा वितरित नहीं किया जा सका था। उन्होंने कहा कि मतदान प्रक्रिया को धीमा करने के ऐसे प्रयास आखिरी मिनट तक किए गए, लेकिन मतदाताओं पर इनका कोई प्रभाव नहीं पड़ा। उन्होंने कहा, ‘‘यह खुद को बचाने का भाजपा का आखिरी प्रयास था।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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