नहर में फंसी डॉल्फिन को 24 घंटे के अभियान के बाद बचाया, घाघरा नदी में वापस छोड़ा

Dolphin trapped in canal rescued
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अधिकारियों ने बताया कि घाघरा नदी में पाई जाने वाली गांगेय डॉल्फिन बृहस्पतिवार को शारदा बैराज से लगभग चार किलोमीटर दक्षिण में चकईपुरवा और चौका साइफन के बीच शारदा नहर में फंस गयी थीं। गंगा की डॉल्फिन को वन्य जीवन संशोधन अधिनियम 2022 में जलीय जानवर के रूप में वर्गीकृत किया गया है और संरक्षित वन्यजीव प्रजातियों के अंतर्गत स्थान दिया गया है।

लखीमपुर खीरी। लखीमपुर खीरी में करीब 24 घंटे के अभियान के बाद बचावकर्मियों ने एक नहर में फंसी करीब 12 डॉल्फिन को बचा लिया और उन्हें घाघरा नदी में वापस छोड़ दिया गया। अधिकारियों ने बताया कि घाघरा नदी में पाई जाने वाली गांगेय डॉल्फिन बृहस्पतिवार को शारदा बैराज से लगभग चार किलोमीटर दक्षिण में चकईपुरवा और चौका साइफन के बीच शारदा नहर में फंस गयी थीं। गंगा की डॉल्फिन को वन्य जीवन (संरक्षण) संशोधन अधिनियम 2022 में जलीय जानवर के रूप में वर्गीकृत किया गया है और संरक्षित वन्यजीव प्रजातियों के अंतर्गत स्थान दिया गया है। 

प्रभागीय वन अधिकारी (डीएफओ), दक्षिण खीरी वन अधिकारी संजय बिस्वाल, ‘वर्ल्ड वाइड फंड फॉर नेचर’ (डब्ल्यूडब्ल्यूएफ) के परियोजना निदेशक दबीर हसन, भारतीय वन्यजीव संस्थान (डब्ल्यूआईआई) के विशेषज्ञ विपुल मौर्य, ‘वाइल्डलाइफ ट्रस्ट ऑफ इंडिया’ (डब्ल्यूटीआई) विशेषज्ञ श्रुति सिंह और अन्य अधिकारी तब तक घटनास्थल पर डेरा डाले रहे जब तक कि सभी डॉल्फिन को सफलतापूर्वक निकाल नहीं लिया गया। संजय बिस्वाल ने बताया, ‘‘शुक्रवार को रिपोर्ट मिली थी कि करीब 12 गंगा डॉल्फिन के एक समूह को शारदा नहर के उथले पानी में फंसा हुआ देखा गया था जो अपर्याप्त जल स्तर के कारण सुरक्षित रूप से तैरने में असमर्थ थीं।’’ 

उन्होंने कहा, ‘‘इनमें से चार से पांच डॉल्फ़िन नहर में 2.5 से 3 फुट गहरे पानी में फंसी हुई थीं और उनके साथ उनके बच्‍चों की मौजूदगी और गर्मी अधिक होने के कारण उनकी स्थिति गंभीर बताई गई थी।’’ बिस्वाल ने कहा कि शारदा बैराज पर गेट खोले गए थे, जिसके कारण शारदा का पानी बह गया और इससे निकलने वाली शारदा नहर सूखी हो गई थी। उन्होंने कहा, सिंचाई विभाग से डॉल्फिन को बचाए जाने तक नहर में पानी छोड़ने का अनुरोध किया गया था। भारत में कछुओं और डॉल्फिन को बचाने में विशेषज्ञता रखने वाले टर्टल सर्विसेज अलायंस (टीएसए) के डॉ. शैलेन्द्र सिंह ने कहा, ‘‘हमारा प्राथमिक ध्यान जल स्तर को बढ़ाकर डॉल्फिन को घाघरा में वापस तैरने की सुविधा प्रदान करना था।’’ 

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उन्होंने कहा, डॉल्फिन को पकड़कर सुरक्षित स्थान पर स्थानांतरित करने का दूसरा काम न केवल चुनौतीपूर्ण था बल्कि बहुत जोखिम भरा भी था क्योंकि उनकी संख्या अधिक थी। बिस्वाल ने कहा कि शनिवार शाम सिंचाई विभाग ने नहर में पानी छोड़ा, जिसके बाद फंसी हुई डॉल्फिन को घाघरा नदी में वापस जाने का रास्ता मिल गया। उन्होंने कहा, हमने यह सुनिश्चित किया कि नहर में सभी डॉल्फ़िन सुरक्षित रूप से तैरकर घाघरा नदी में वापस आ जाएं।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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