जिला पंचायत अध्यक्षः बागपत में हाईवोल्टेज ड्रामा, अज्ञात महिला वापस ले गई रालोद प्रत्याशी का नामांकन
जिलाधिकारी ने बताया कि फ़र्ज़ी तरीके से हस्ताक्षर कर हलफनामा देने वाली महिला की जांच होगी और जांच रिपोर्ट के आधार पर महिला के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
उत्तर प्रदेश में जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव को लेकर राजनीति जारी है। 22 जिलों में जिला अध्यक्षों को निर्विरोध चुन लिया गया है। 21 जिलों में भाजपा उम्मीदवार निर्विरोध चुने गए हैं। इन सबके बीच सबसे ज्यादा चर्चा बागपत को लेकर हो रही है। बागपत में जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में नाम वापस लिए जाने को लेकर हाई वोल्टेज ड्रामा सामने आ रहा है। दरअसल, बागपत से मिली रिपोर्ट के मुताबिक जिला पंचायत अध्यक्ष पद के चुनाव में राष्ट्रीय लोक दल (रालोद) की प्रत्याशी ममता के नाम पर किसी अन्य महिला के नाम वापस ले लिये जाने से हंगामा मच गया। वहीं, ममता ने इंटरनेट पर वीडियो पोस्ट कर खुद के राजस्थान में होने का दावा किया। इस पर रालोद कार्यकर्ताओं ने जिलाधिकारी कार्यालय के बाहर हंगामा शुरु कर दिया। बाद में बागपत के जिलाधिकारी राजकमल यादव ने बताया कि कोई महिला खुद को रालोद प्रत्याशी बताकर नामांकन वापसी के लिए आई थी। शिकायत मिलने पर जांच की गई और रालोद प्रत्याशी ममता से फोन पर बात हुई है। नामांकन वापस नहीं हुआ है। रालोद और भाजपा दोनों प्रत्याशी चुनाव लड़ेंगी।
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जिलाधिकारी ने बताया कि फ़र्ज़ी तरीके से हस्ताक्षर कर हलफनामा देने वाली महिला की जांच होगी और जांच रिपोर्ट के आधार पर महिला के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी। इसके बाद ही हंगामा कर रहे रालोद कार्यकर्ता शांत हुए। रालोद नेताओं का आरोप था कि प्रशासन ने लोकतंत्र की हत्या करते हुए किसी महिला को ममता देवी का नामांकन वापस करा दिया। रालोद कार्यकर्ताओं ने एक वीडियो जारी कर कहा है कि ममता राजस्थान में हैं। कोई और महिला उनके नाम पर उनका पर्चा वापस ले गई है। वहीं हंगामा की आशंका को देखते हुए बड़ी संख्या में सुरक्षाकर्मी तैनात किए गए हैं। इससे पहले, गत शनिवार को नामांकन से पहले रालोद प्रत्याशी ममता ने अपने पति जयकिशोर के साथ पत्रकारों के समक्ष आरोप लगाया था कि कुछ भाजपा नेताओं ने उन्हें धमकी दी है। बहरहाल, अब बागपत में ममता किशोर रालोद-सपा की संयुक्त उम्मीदवार हैं। उनका मुकाबला भाजपा की बबली देवी से होगा। रालोद अध्यक्ष जयंत चौधरी ने कहा कि जनता का मत पहले ही साफ़ हो चुका है। बस कुछ लालच हैं कुछ लोगों के जो रोज़ नया ड्रामा रच रहे हैं बागपत में।
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सत्ताधारी भाजपा भले ही 21 जिला पंचायतों पर कब्जा जमाने में कामयाब रही हो लेकिन समाजवादी पार्टी के संरक्षक मुलायम सिंह यादव के घर इटावा में अपने लिए उम्मीदवार तक नहीं तलाश पाई। सपा अपना गढ़ बचाने में कामयाब रही। इटावा से मुलायम सिंह के भतीजे व सपा प्रत्याशी अभिषेक यादव उर्फ अंशुल यादव निर्विरोध निर्वाचित हुए। हालांकि इटावा जिला पंचायत पद के लिए भाजपा पूरी तरह से जोड़ लगाई हुई थी। लेकिन चाचा भतीजे की अघोषित तालमेल ने भाजपा का खेल बिगाड़ दिया। इस जीत के साथ ही इटावा जिला पंचायत में मुलायम परिवार का 32 सालों का वर्चस्व कायम रहा। साल 1987 में पहली बार जिला पंचायत अध्यक्ष पद पर मुलायम परिवार ने जीत दर्ज की थी। आगामी शनिवार को बाकी 53 जिलों में जिला पंचायत अध्यक्षों के चुनाव होंगे।
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