'आशीर्वाद यात्रा' के बाद होगा मंत्रिमंडल विस्तार! BJP देखना चाहती है- चिराग 'गूंजे धरती आसमान' वाला करिश्मा दिखा सकते हैं या नहीं?
पिता रामविलास पासवान की जयंती के अवसर पर हाजीपुर से अपनी आशीर्वाद यात्रा शुरू करने जा रहे हैं। यह यात्रा उनका शक्ति परीक्षण भी होगा। लेकिन केंद्र में होने वाली मंत्रीमंडल विस्तार पर चिराग पासवान की आशीर्वाद यात्रा की वजह से फिलहाल ब्रेक लग गया है।
"धरती गूंजे आसमान-रामविलास पासवान" नब्बे के दशक से हाजीपुर व वैशाली के किसी क्षेत्र में रामविलास पासवान कदम रखते तो यह नारा जरूर सुनाई देता रहा। 1989 में हाजीपुर के किसी कार्यकर्ता के मुंह से निकला नारा, पासवान के साथ ही पूरे बिहार में काफी पॉपुलर रहा। उसी हाजीपुर जहां से कभी चुनाव जीतकर रामविलास पासवान ने अपना नाम गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज करवाया उसी भूमि से उनके पुत्र चिराग अपने पिता रामविलास पासवान की जयंती के अवसर पर हाजीपुर से अपनी आशीर्वाद यात्रा शुरू करने जा रहे हैं। यह यात्रा उनका शक्ति परीक्षण भी होगा। लेकिन केंद्र में होने वाली मंत्रीमंडल विस्तार पर चिराग पासवान की आशीर्वाद यात्रा की वजह से फिलहाल ब्रेक लग गया है। फिलहाल मोदी सरकार के मंत्रीमंडल का विस्तार 5 जुलाई के बाद तक नहीं होगा। दरअसल, पीएम मोदी का हनुमान बताने वाले चिराग पासवान की आशीर्वाद यात्रा पांच जुलाई से शुरू होगी। पहले कहा जा रहा था कि 20 जून तक मोदी कैबिनेट का विस्तार हो जाएगा, लेकिन नहीं हो सका। अब बताया जा रहा है कि जुलाई में होगा।
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रामविलास पासवान की जयंती पर चिराग की आशीर्वाद यात्रा
चिराग पासवान 5 जुलाई से आशीर्वाद यात्रा निकालेंगे, जिसकी शुरुआत हाजीपुर से होगी। लोक जनशक्ति पार्टी (चिराग गुट) की प्रदेश कमेटी की बैठक में पांच जुलाई को रामविलास पासवान की जयंती समारोह और चिराग पासवान की आशीर्वाद यात्रा को ऐतिहासिक रूप से सफल बनाने का फैसला लिया गया। प्राप्त जानकारी के अनुसार पटना एयरपोर्ट से हाजीपुर तक जगह-जगह पांच सौ तोरणद्वार बनाए जाएंगे, जबकि चिराग के काफिले में भी पांच सौ गाडिय़ां शामिल होंगी।
यात्रा पर बीजेपी की नजर
सूत्रों के अनुसार बीजेपी चिराग के इस यात्रा के बाद अपना पत्ता खोलेगी कि वो पशुपति पारस के साथ है या चिराग के साथ। अपनी इसी रणनीति के तहत बीजेपी ने 5 जुलाई तक अपना मंत्रीमंडल विस्तार भी टाल दिया है। चाचा पशुपति से अनबन के बाद चिराग बिहार आ रहे हैं और अपने पिता की कर्म भूमि और चाचा पशुपति के संसदीय क्षेत्र हाजीपुर से अपनी आशीर्वाद यात्रा शुरू करेंगे। आशीर्वाद यात्रा को लेकर चिराग और उनके समर्थक अपनी पूरी ताकत लगा रहे हैं क्योंकि वो ये जानते हैं कि उनके इस यात्रा से ही उनके राजनीतिक भविष्य भी तय होंगे। उधर भाजपा समेत सभी राजनीति दलों की इस यात्रा पर नजर है। सभी ये देखना चाह रहे हैं कि चिराग में अपने पिता रामविलास पासवान वाली बात है या नहीं। सूत्रों के अनुसार बीजेपी भी चिराग की इस यात्रा के बाद ही अपना स्टैंड साफ करेगी। संभवत: चुनाव आयोग भी इसी के आसपास अपना फैसला सुना सकती है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार बीजेपी अपने संगठन के साथ ही पार्टी सर्वे एजेंसियों के जरिए भी पासवान जाति के वोटरों के मन की बात जानने में लगी है। चिराग को लेकर कुछ भी बोलने से पहले बीजेपी वोटरों के मिजाज को समझना चाहती है।
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बिहार में पासवान जाति की भूमिका
बिहार में जातियों की जनसंख्या को लेकर कोई नया आंकड़ा मौजूद नहीं है। 2001 की जनगणना के अनुसार, राज्य में पासवान जाति के 3 से 5 फीसदी वोट हैं। इसे LJP का आधार वोट बैंक माना जाता है। LJP के संस्थापक दिवंगत रामविलास पासवान अपने इसी वोट बैंक के जरिए बिहार से लेकर केंद्र की राजनीति में प्रभावी रहे।
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