Prabhasakshi NewsRoom: Delhi LG और CM के बीच अब नया विवाद, मुख्य सचिव के खिलाफ केजरीवाल की सिफारिश सक्सेना ने ठुकराई

VK Saxena Arvind Kejriwal
ANI

उपराज्यपाल सक्सेना ने अपनी टिप्पणी में कहा है कि इस रिपोर्ट से ‘‘जारी जांच में मदद मिलने के बजाय उसमें बाधा पैदा हो सकती है।’’ उन्होंने फाइल में की गई टिप्पणी में कहा, ‘‘मुझे माननीय (सतर्कता) मंत्री द्वारा प्रस्तुत और माननीय मुख्यमंत्री द्वारा समर्थित ‘शिकायतों’ पर ‘प्रारंभिक रिपोर्ट’ मिली हैं।

दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल के बीच अब एक नया विवाद खड़ा हो गया है। दरअसल मुख्य सचिव के खिलाफ दिल्ली सरकार ने उपराज्यपाल को जो रिपोर्ट भेजी थी उस पर विचार करने से इंकार कर दिया गया है जिसको लेकर उपराज्यपाल कार्यालय और दिल्ली में सत्तारुढ़ आम आदमी पार्टी के बीच जुबानी जंग तेज हो गयी है। हम आपको बता दें कि दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने सतर्कता मंत्री आतिशी की उस रिपोर्ट पर विचार करने से इंकार कर दिया है, जिसमें बामनोली भूमि अधिग्रहण मामले में मुख्य सचिव नरेश कुमार की ‘‘प्रथम दृष्टया संलिप्तता’’ का आरोप लगाया गया है। राज निवास के सूत्रों का कहना है कि रिपोर्ट पर विचार करने से यह कहते हुए इंकार कर दिया गया कि यह ‘‘पूरी तरह से मंत्री के पूर्वाग्रह पर आधारित’’ प्रतीत होती है। 

उपराज्यपाल सक्सेना ने सरकार द्वारा उन्हें सौंपी गई रिपोर्ट पर अपनी टिप्पणी में कहा है कि इस रिपोर्ट से ‘‘जारी जांच में मदद मिलने के बजाय उसमें बाधा पैदा हो सकती है।’’ उन्होंने फाइल में की गई टिप्पणी में कहा, ‘‘मुझे माननीय (सतर्कता) मंत्री द्वारा प्रस्तुत और माननीय मुख्यमंत्री द्वारा समर्थित ‘शिकायतों’ पर ‘प्रारंभिक रिपोर्ट’ मिली हैं। यह आश्चर्यजनक और दुर्भाग्यपूर्ण है कि सतर्कता से संबंधित संवेदनशील मामलों से जुड़ी यह रिपोर्ट गोपनीय लिफाफे में मेरे सचिवालय को भेजी गई है, लेकिन यह पहले से ही सार्वजनिक हो चुकी है और इसकी डिजिटल/इलेक्ट्रॉनिक प्रतियां खुले तौर पर उपलब्ध हैं तथा इसके विवरण के बारे में मीडिया में व्यापक रूप से खबरें प्रसारित की गई हैं।’’

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इसमें कहा गया है कि रिपोर्ट का चुनिंदा हिस्सा मीडिया में कथित तौर पर लीक हो गया है, जिसे देखते हुए ‘‘प्रथम दृष्टया’’ ऐसा प्रतीत होता है कि इस कथित जांच का मकसद सच्चाई का पता लगाना नहीं, बल्कि ‘मीडिया ट्रायल’ शुरू करना और इस पूरे मुद्दे का राजनीतिकरण करना है जबकि यह मामला उच्चतम न्यायालय के समक्ष लंबित है। उन्होंने कहा, ‘‘कोई भी यह सोचने पर मजबूर हो सकता है कि क्या यह सार्वजनिक पूर्वाग्रह पैदा करने जैसा नहीं है, जिसका उद्देश्य माननीय अदालतों को प्रभावित करना है।’’ सक्सेना ने कहा कि इस मामले की जांच सीबीआई पहले से ही कर रही है। उन्होंने कहा, ‘‘चूंकि मुख्य सचिव और मंडलायुक्त की सिफारिशों के आधार पर मेरे द्वारा अनुमोदित मामले की पहले से ही सीबीआई द्वारा जांच की जा रही है, मेरा मानना है कि मेरे समक्ष जो सिफारिश की गई है वह पूर्वाग्रह से ग्रसित है और विचार करने योग्य नहीं है तथा इसलिए इस पर विचार करने को लेकर सहमति नहीं जताई जा सकती।’’

वहीं, दिल्ली सरकार ने कहा है कि उपराज्यपाल को ‘‘मामले में सीबीआई की निष्पक्ष जांच की अनुमति देनी चाहिए और मामले को लेकर पूर्वाग्रह अपनाने तथा कुछ व्यक्तियों के प्रति लगाव के कारण उन्हें बचाने से बचना चाहिए।’’ आम आदमी पार्टी (आप) की सरकार ने घटनाक्रम पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि यह ‘‘उपराज्यपाल द्वारा अपने पसंदीदा अधिकारियों यानी मुख्य सचिव और संभागीय आयुक्त को बचाने का एक निर्लज्ज प्रयास है।’’ 

दूसरी ओर, उपराज्यपाल सचिवालय के अधिकारियों ने दिल्ली सरकार के आरोपों पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, ‘‘उपराज्यपाल सचिवालय की बताई जा रही टिप्पणी प्रथम दृष्टया तर्कसंगत प्रतीत होती है। यह घृणित और दुर्भाग्यपूर्ण है कि सरकार और ‘आप’ उपराज्यपाल को राजनीतिक रूप से निशाना बनाकर उन पर कीचड़ उछाल रही है तथा उनका अपमान कर रही है।’’ हम आपको यह भी बता दें कि मुख्य सचिव कुमार ने आरोपों को खारिज किया है। उन्होंने आरोप लगाया है कि ‘‘निहित स्वार्थ’’ वाले वे लोग उन पर ‘‘कीचड़ उछाल’’ रहे हैं, जिनके खिलाफ भ्रष्टाचार को लेकर सतर्कता कार्रवाई की गई है। उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के कार्यालय ने सतर्कता मंत्री की 670 पन्नों की रिपोर्ट बुधवार को उपराज्यपाल को सौंपी थी। रिपोर्ट में भूमि अधिग्रहण के विषय में कुमार पर ‘‘प्रथम दृष्टया मिलीभगत’’ का आरोप लगाया गया है और दावा किया गया है कि मामले में ‘‘अनुचित लाभ’’ 897 करोड़ रुपये से ज्यादा का है।

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