पीएम मोदी बोले- जलवायु परिवर्तन बड़ी चुनौती, आपदा को सहने वाला आधारभूत ढांचा समय की मांग
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि, दुनिया जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से जूझ रही है।ऐसे में भारत ने दुनिया का ध्यान आपदा प्रबंधन के मुद्दे पर दिलाया है।आपने देखा कि हाल ही में उत्तराखंड में क्या हुआ। हमें आपदा सहने में सक्षम आधारभूत ढांचे को बेहतर बनाने पर ध्यान देना चाहिए जो प्राकृतिक आपदाओं के प्रभावों को बर्दाश्त कर सके।’’
खड़गपुर। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को कहा कि जलवायु परिवर्तन और इसके कारण उत्पन्न प्राकृतिक आपदाओं ने दुनिया के समक्ष बड़ी चुनौती उत्पन्न की है, ऐसे में आईआईटी को आपदा के प्रभावों का सामना करनेमें सक्षम आधारभूत ढांचा विकसित करने में मदद करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि ऐसे समय मे जब दुनिया जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से जूझ रही है, भारत ने अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन (आईएसए) का सुरक्षित एवं वहनीय पर्यावरण अनुकूल विचार दुनिया के सामने रखा और इसे मूर्त रूप दिया।
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आईआईटी खड़गपुर के 66वें दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए मोदी ने आपदा सहने में सक्षम आधारभूत ढांचे पर वैश्विक गठबंधन (सीडीआरआई) का जिक्र किया जिसकी घोषणा वर्ष 2019 में संयुक्त राष्ट्र जलवायु कार्यवाही शिखर सम्मेलन में किया गया था। प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘ दुनिया जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से जूझ रही है। ऐसे में भारत ने दुनिया का ध्यान आपदा प्रबंधन के मुद्दे पर दिलाया है। आपने देखा कि हाल ही में उत्तराखंड में क्या हुआ। हमें आपदा सहने में सक्षम आधारभूत ढांचे को बेहतर बनाने पर ध्यान देना चाहिए जो प्राकृतिक आपदाओं के प्रभावों को बर्दाश्त कर सके। ’’ उन्होंने कोविड-19 से मुकाबले के लिये आईआईटी द्वारा विकसित प्रौद्योगिकी और उसकी भूमिका की सराहना की। उन्होंने कहा कि संस्थानों को अब स्वास्थ्य देखभाल से जुड़ी समस्याओं का भविष्योन्मुखी समाधान तलाशने के लिये तेजी से काम करना चाहिए।
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प्रधानमंत्री मोदी ने आईआईटी खड़गपुर के दीक्षांत समारोह में छात्रों से कहा, ‘‘ आप भारत के 130 करोड़ लोगों की आकांक्षाओं का प्रतिनिधित्व करते हैं। ’’ उन्होंने कहा कि आपने जो सोचा है, आप जिस नवाचार पर काम कर रहे हैं, संभव है उसमें आपको पूरी सफलता ना मिले, लेकिन आपकी उस असफलता को भी सफलता ही माना जाएगा, क्योंकि आप उससे भी कुछ सीखेंगे। मोदी ने कहा, ‘‘ 21वीं सदी के भारत की स्थिति भी बदल गई है, ज़रूरतें भी बदल गई हैं और आकांक्षाएं भी बदल गई हैं। अब आईआईटी को भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान ही नहीं बल्कि स्थानीय प्रौद्योगिकी संस्थानों के रूप में अगले स्तर पर ले जाने की जरूरत है।’’ उन्होंने कहा कि भारत को ऐसी प्रौद्योगिकी चाहिए जो पर्यावरण को कम से कम नुकसान पहुंचाए, टिकाऊ हो और लोग ज्यादा आसानी से उसका इस्तेमाल कर पाएं। उन्होंने कहा कि सरकार ने नक्शे और भूस्थानिक आंकड़ों को नियंत्रण से मुक्त कर दिया है।
इस कदम से प्रौद्योगिकी स्टार्टअप पारिस्थितिकी को बहुत मजबूती मिलेगी। मोदी ने कहा, ‘‘ इस कदम से आत्मनिर्भर भारत का अभियान भी और तेज होगा। इस कदम से देश के युवा स्टार्टअप और नवोन्मेषकर्ताओं को नई आजादी मिलेगी।’’ उन्होंने छात्रों से कहा कि जीवन के जिस मार्ग पर अब आप आगे बढ़ रहे हैं, उसमें निश्चित तौर पर आपके सामने कई सवाल भी आएंगे। ये रास्ता सही है, गलत है, नुकसान तो नहीं हो जाएगा, समय बर्बाद तो नहीं हो जाएगा? प्रधानमंत्री ने कहा कि ऐसे बहुत से सवाल आएंगे। इन सवालों का उत्तर ‘तीन आत्म (सेल्फ थ्री) में हैं। ये हैं- आत्मनिर्भरता, आत्मविश्वास और नि:स्वार्थ भाव। आप अपने सामर्थ्य को पहचानकर आगे बढ़ें, पूरे आत्मविश्वास से आगे बढ़ें, निस्वार्थ भाव से आगे बढ़ें। उन्होंने कहा कि आप सभी विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवोन्मेष के जिस मार्ग पर चले हैं, वहां जल्दबाज़ी के लिए कोई स्थान नहीं है।
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