लोकसभा चुनाव में बेहतर नतीजे लाने की बसपा कार्यकर्ताओं पर बड़ी जिम्मेदारी है: मायावती

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मायावती ने दोहराया कि बसपा ही एकमात्र ऐसी पार्टी है जो संवैधानिक आदर्शों और मूल्यों के आधार पर चलने वाली पूरी तरह से धर्मनिरपेक्ष पार्टी है। उन्होंने दावा किया कि उत्तर प्रदेश में उनकी पार्टी की सरकार के दौरान लोगों ने इसे एक बार नहीं बल्कि चार बार देखा और अनुभव किया। मायावती ने कहा, ‘‘अन्य राजनीतिक दलों को भी बसपा की तरह संविधान और धर्म का सम्मान करना चाहिए और इसका दुरुपयोग नहीं करना चाहिए, जैसा कि हमारे देश में अक्सर देखा जाता है और अब खुलेआम हो रहा है।’’ बसपा प्रमुख ने कहा कि केंद्र और राज्य सरकार द्वारा किए गए जनहित और जनकल्याण के बड़े-बड़े दावे जमीनी हकीकत से कोसों दूर हैं।

बहुजन समाज पार्टी (बसपा) प्रमुख मायावती ने आगामी लोकसभा चुनाव अपने बलबूते लड़ने संबंधी पार्टी के रूख को दोहराते हुए शनिवार को कहा कि ऐसी स्थिति में पार्टी कार्यकर्ताओं पर बेहतर परिणाम लाने की बड़ी जिम्मेदारी होगी। बसपा प्रमुख ने इस संबंध में अपनी पार्टी की उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड इकाई के वरिष्ठ नेताओं और जिला अध्यक्षों के साथ बैठक की। पार्टी की ओर से जारी एक बयान में कहा गया है कि बसपा के रुख को दोहराते हुए, मायावती ने कहा कि ऐसी स्थिति में पार्टी के लोगों पर बेहतर परिणाम लाने की बड़ी जिम्मेदारी है और इसलिए कार्यकर्ताओं को मीडिया द्वारा फैलाई गई सभी प्रकार की अफवाहों से निपटना होगा। उन्होंने बसपा कार्यकर्ताओं से संगठित होकर काम करने और विपक्षी दलों के साम, दाम, दंड, भेद आदि हथकंडों से दूर रहने को कहा।

उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री ने बसपा का जनाधार बढ़ाने और पार्टी को मजबूत करने के लिए छोटी-छोटी बैठकें आयोजित करने के संबंध में आवश्यक दिशा-निर्देशों को पूरी लगन और निष्ठा से पूरा करने पर जोर दिया। मायावती ने कहा कि चुनावी फायदे के लिए धर्म का राजनीतिकरण उचित नहीं है क्योंकि इससे देश और जनहित प्रभावित हो रहा है। उन्होंने दावा किया कि देश के 81 करोड़ से अधिक लोग दुखी हैं और महंगाई, गरीबी और बेरोजगारी से त्रस्त हैं और वे जीवित रहने के लिए सरकारी खाद्यान्न पर निर्भर हैं। उन्होंने कहा कि यह उनकी आजीविका का स्थायी समाधान नहीं है। मायावती ने कहा कि ऐसी स्थिति में लगभग सभी सरकारों की जनहित और जनकल्याण के प्रति सोच और कार्यशैली पर उंगली उठना स्वाभाविक है क्योंकि इनकी नीतियों और कार्यक्रमों से कुछ मुट्ठीभर लोगों का तो जरूर भला हो रहा है, लेकिन देश के लाखों गरीबों और मजदूरों को इसका लाभ नहीं मिल रहा है।

मायावती ने दोहराया कि बसपा ही एकमात्र ऐसी पार्टी है जो संवैधानिक आदर्शों और मूल्यों के आधार पर चलने वाली पूरी तरह से धर्मनिरपेक्ष पार्टी है। उन्होंने दावा किया कि उत्तर प्रदेश में उनकी पार्टी की सरकार के दौरान लोगों ने इसे एक बार नहीं बल्कि चार बार देखा और अनुभव किया। मायावती ने कहा, ‘‘अन्य राजनीतिक दलों को भी बसपा की तरह संविधान और धर्म का सम्मान करना चाहिए और इसका दुरुपयोग नहीं करना चाहिए, जैसा कि हमारे देश में अक्सर देखा जाता है और अब खुलेआम हो रहा है।’’ बसपा प्रमुख ने कहा कि केंद्र और राज्य सरकार द्वारा किए गए जनहित और जनकल्याण के बड़े-बड़े दावे जमीनी हकीकत से कोसों दूर हैं।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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