भुजबल ने ओबीसी वर्ग के तहत मराठों को आरक्षण देने का विरोध किया, बीड में हिंसा को लेकर जांच की मांग की
जारांगे ने कहा, प्रतिनिधिमंडल एक जीवन बचाने के लिए (उनके द्वारा किए गए अनिश्चितकालीन अनशन का जिक्र करते हुए) यहां आया था। जरांगे ने भुजबल पर उनकी इस टिप्पणी के लिए भी निशाना साधा कि आरक्षण दबाव में दिया जा रहा है। जरांगे ने कहा, ‘‘आरक्षण दबाव में नहीं दिया जा सकता क्योंकि कानून सभी के लिए समान है। इसके विपरीत, आपने दबाव में उस कोटा का आनंद लिया जो हमारे लिए था। वे आरक्षण वापस नहीं देना चाहते हैं इसलिए वे चालें चल रहे हैं। कोई दबाव नहीं है, लेकिन सरकार ने सच्चाई समझ ली है।’’ उन्होंने आरोप लगाया कि भुजबल ओबीसी के बीच अपना आधार खो रहे हैं और उनकी बीड यात्रा सहानुभूति हासिल करने की एक चाल है।
महाराष्ट्र के मंत्री और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (अजित पवार गुट) के नेता छगन भुजबल ने सोमवार को कहा कि अन्य पिछड़ी जाति (ओबीसी) वर्ग के तहत मराठों को आरक्षण देने के लिए पिछले दरवाजे से किये जा रहे प्रयास का विरोध किया जाएगा। उन्होंने मराठा आरक्षण आंदोलन के दौरान बीड के विभिन्न हिस्सों में हिंसा और तोड़फोड़ की घटनाओं की जांच कराने की मांग की। इस हिंसा के दौरान कई लोगों ने कुछ विधायकों के घरों में आग लगा दी थी। उन्होंने यह भी कहा कि हिंसा और दबाव की रणनीति को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उनकी यह टिप्पणी राज्य के विभिन्न हिस्सों में मराठों के लिए आरक्षण की मांग को लेकर हो रहे विरोध प्रदर्शनों की पृष्ठभूमि में आई है। गौरतलब है कि अजित पवार गुट के नेता और राज्य के कृषि मंत्री धनंजय मुंडे ने भी बीड जिले में हुई हिंसा की जांच विशेष जांच दल (एसआईटी) से कराने की मांग की है।
भुजबल ने इस बात पर जोर दिया कि वह मराठों को सरकारी नौकरियों और शिक्षा में आरक्षण देने के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन इसे अलग से दिया जा सकता है। भुजबल ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘प्रदर्शनकारी अपने उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए बल और धमकी का इस्तेमाल कर रहे हैं। मराठवाड़ा क्षेत्र में मराठा आरक्षण की मांग को लेकर जारी विरोध प्रदर्शन के दौरान आगजनी और हिंसा की घटनाओं में वृद्धि देखी गई।’’ उन्होंने कहा कि जब मराठा नेताओं को एहसास हुआ कि उन्हें सीधे (ओबीसी कोटा के बाहर) आरक्षण नहीं मिलेगा, तो उन्होंने इसे पिछले दरवाजे से (ओबीसी वर्ग के भीतर) प्राप्त करने का प्रयास किया। उन्होंने कहा, ‘‘हम ऐसी रणनीति को स्वीकार नहीं करेंगे और अपने आरक्षण की रक्षा के लिए लड़ेंगे।’’ संविधान ने सामाजिक रूप से पिछड़े समुदायों के उत्थान के लिए आरक्षण प्रदान किया है और यह गरीबी उन्मूलन कार्यक्रम नहीं है।
मंत्री ने कहा, ‘‘संविधान के मुख्य निर्माता बी आर आंबेडकर ने सामाजिक पिछड़ेपन के आधार पर आरक्षण प्रदान किया है, ना कि आर्थिक मानदंडों के आधार पर।’’ महाराष्ट्र सरकार ने सामाजिक कार्यकर्ता मनोज जरांगे के नेतृत्व में विरोध प्रदर्शन के मद्देनजर मराठा समुदाय के सदस्यों को कुनबी प्रमाणपत्र देने की व्यवहार्यता का अध्ययन करने के लिए गठित न्यायमूर्ति संदीप शिंदे (सेवानिवृत्त) समिति का दायरा बढ़ा दिया है। मनोज जरांगे ने हाल ही में सरकार के आश्वासन पर अपना अनिश्चितकालीन अनशन वापस ले लिया था। जरांगे की मांगों में मराठों को कुनबी प्रमाणपत्र दिया जाना भी शामिल है ताकि उन्हें अन्य पिछड़ा वर्ग के तहत आरक्षण मिल सके। छत्रपति संभाजीनगर में संवाददाताओं से बातचीत में भुजबल ने मराठवाड़ा क्षेत्र में मराठा आरक्षण आंदोलन के दौरान बीड और माजलगांव में हुई हिंसा की घटनाओं की जांच की मांग की।
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि राज्यभर में कुनबी जाति का प्रमाणपत्र (आवश्यक दस्तावेज रखने वाले मराठों को) का आवंटन अवैध है, जो ओबीसी आरक्षण को खत्म कर देगा। भुजबल ने बीड जिले में राकांपा विधायकों प्रकाश सोलंके और संदीप क्षीरसागर के घरों का दौरा किया, जिन्हें हिंसा में निशाना बनाया गया था। उन्होंने कहा, ‘‘बीड में एक होटल में दो पुलिसकर्मियों के सामने एक घंटे तक तोड़फोड़ की गई, जो तोड़फोड़ करने वालों को रोकने में असहाय थे। वरिष्ठ नेता जयदत्त क्षीरसागर के आवास को आग लगा दी गई, जबकि उन्होंने मराठा आरक्षण के मुद्दे पर कुछ नहीं कहा था।’’ भुजबल ने दावा किया कि पुलिस कर्मियों ने बीड हिंसा के दौरान कार्रवाई नहीं करने का फैसला किया होगा क्योंकि जालना जिले के अंतरवाली सरती गांव में लाठीचार्ज के संबंध में दर्ज अपराध वापस ले लिए गए थे। उन्होंने उच्च न्यायालय के एक पूर्व न्यायाधीश की भी आलोचना की, जिन्होंने मराठा आरक्षण की मांग करने वाले सामाजिक कार्यकर्ता जारांगे के साथ बातचीत की और उन्हें पिछले हफ्ते एक सरकारी प्रतिनिधिमंडल के साथ उन्हें अपना अनशन वापस लेने के लिए मना लिया।
भुजबल ने पूछा, ‘‘अगर आयोग के सदस्य आंदोलन स्थल का दौरा करना शुरू कर देंगे तो ओबीसी किस तरह के न्याय की उम्मीद कर सकते हैं?’’ उन्होंने कहा कि बीड शहर और माजलगांव गांव में हिंसा अचानक नहीं हुई। भुजबल ने कहा, ‘‘अलग-अलग भीड़ शामिल थीं। इसमें 700-800 लोग शामिल थे। यह समझने के लिए जांच का आदेश दिया जाना चाहिए कि हथियार होने के बावजूद पुलिस इतनी असहाय क्यों हो गई और आंदोलनकारियों को रोकने की कोशिश क्यों नहीं की।’’ मराठों को आरक्षण देने पर बोलते हुए भुजबल ने आश्चर्य व्यक्त किया कि कुनबी पृष्ठभूमि वाले मामलों की संख्या लगातार बढ़ रही है। उन्होंने कहा कि अब हर जिले में दुकानें खोली जा रही हैं और (कुनबी जाति) प्रमाणपत्र दिए जा रहे हैं, लेकिन यह अवैध है और इस उपाय से न तो ओबीसी और न ही मराठों को फायदा होगा।
उन्होंने कहा कि अगर पूरे राज्य में ऐसे प्रमाण पत्र दिए जाते हैं, तो न्यायमूर्ति शिंदे समिति का क्या फायदा? भुजबल ने कहा कि आरक्षण के मुद्दे पर वोट बैंक की राजनीति की जा रही है। नासिक जिले से विधायक भुजबल ने कहा कि मराठों से उन्हें वोट नहीं देने के लिए कहा जा रहा है। उन्होंने पूछा कि क्या वे (ऐसी अपील करने वाले नेता) ओबीसी वोट नहीं चाहते हैं? उन्होंने कहा कि ओबीसी भी इसी तरह सोच सकते हैं। भुजबल ने कहा, ‘‘जरांगे कहते हैं कि बीड में हिंसा और आगजनी में शामिल लोग मराठा कार्यकर्ता नहीं थे। अगर यह सच है, तो वह आपराधिक मामलों को रद्द करने की मांग क्यों कर रहे हैं?’’ मराठा आरक्षण की मांग करने वाले मनोज जारांगे ने सोमवार को आरोप लगाया कि महाराष्ट्र के मंत्री छगन भुजबल का बीड दौरा राजनीति से प्रेरित था और भुजबल अपनी सुविधा के अनुसार ओबीसी वर्ग को याद करते हैं।
एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए, छत्रपति संभाजीनगर शहर के एक अस्पताल में स्वास्थ्य लाभ कर रहे जारांगे ने कहा कि मराठा और ओबीसी दोस्त हैं और उन्हें भड़काने के प्रयास निरर्थक साबित होंगे। जारांगे ने सितंबर में जालना जिले के अंतरवाली सारथी गांव में अपने समर्थकों पर पुलिस लाठीचार्ज की जांच की भी मांग की। गौरतलब है कि जारांगे तब उस गांव में मराठा आरक्षण की मांग को लेकर अनशन कर रहे थे। जरांगे ने कहा कि अगर भुजबल को लगता है कि बीड की घटनाएं पूर्व नियोजित थीं और वह जांच चाहते हैं, तो अंतरवाली लाठीचार्ज और गोलीबारी की घटना की भी जांच का आदेश दिया जाना चाहिए। जरांगे ने सोमवार को कहा कि उन्होंने बीड में हिंसा की निंदा की थी। उन्होंने कहा कि उच्च न्यायालय के एक पूर्व न्यायाधीश द्वारा सरकारी प्रतिनिधिमंडल के साथ उनसे मुलाकात करने को लेकर भुजबल की ओर से की गई आलोचना की निंदा की जानी चाहिए।
जारांगे ने कहा, प्रतिनिधिमंडल एक जीवन बचाने के लिए (उनके द्वारा किए गए अनिश्चितकालीन अनशन का जिक्र करते हुए) यहां आया था। जरांगे ने भुजबल पर उनकी इस टिप्पणी के लिए भी निशाना साधा कि आरक्षण दबाव में दिया जा रहा है। जरांगे ने कहा, ‘‘आरक्षण दबाव में नहीं दिया जा सकता क्योंकि कानून सभी के लिए समान है। इसके विपरीत, आपने दबाव में उस कोटा का आनंद लिया जो हमारे लिए था। वे आरक्षण वापस नहीं देना चाहते हैं इसलिए वे चालें चल रहे हैं। कोई दबाव नहीं है, लेकिन सरकार ने सच्चाई समझ ली है।’’ उन्होंने आरोप लगाया कि भुजबल ओबीसी के बीच अपना आधार खो रहे हैं और उनकी बीड यात्रा सहानुभूति हासिल करने की एक चाल है।
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