बंगाल चुनाव हिंसा: सीबीआई को 21 मामलों में नहीं मिले यौन उत्पीड़न और रेप के सबूत, एसआईटी को किए मामले वापस

CBI

राष्ट्रीय मानवाधिकार की टीम ने भी राज्य का दौरा किया,और एक रिपोर्ट तैयार की। मानवाधिकार आयोग ने यह रिपोर्ट कोलकाता हाई कोर्ट में दाखिल की और मामले की जांच किसी बाहरी एजेंसी से कराने के लिए कहा था।उच्च न्यायालय ने रिपोर्ट की जांच के बाद राज्य के खिलाफ रोष जताया।

बंगाल विधानसभा चुनाव के बाद हिंसा की खबरें खूब आई थीं। मुख्य विपक्षी दल भाजपा ने हिंसा का आरोप सत्तारूढ़ टीएमसी पर लगाया था। बाद में कोलकाता उच्च न्यायालय के आदेश पर मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी गई। अब सीबीआई को 21 मामलों में यौन उत्पीड़न और रेप के कोई सबूत नहीं मिले हैं। उसने मामले को एसआईटी को लौटा दिया है।

बंगाल में पिछले साल हुए विधानसभा चुनावों में टीएमसी पूर्ण बहुमत के साथ एक बार फिर सत्ता में लौटीं। ममता बनर्जी एक बार फिर बंगाल की सत्ता पर काबिज हुई। बंगाल की सियासत में हिंसा के इतिहास को देखते हुए सभी को शक था कि, विधानसभा चुनावों के बाद बंगाल में हिंसा हो सकती है। और चुनावों के बाद हुआ भी ऐसा ही भगवा कैंप ने आरोप लगाया कि, उसके कार्यकर्ताओं की हत्या की गई, और महिलाओं के साथ दुष्कर्म भी किया गया। बंगाल में विधानसभा चुनावों के बाद हुई हिंसा की आंच कोलकाता हाई कोर्ट तक पहुंची। हाईकोर्ट में मामले की जांच को लेकर कई याचिकाएं दाखिल की गई।

राष्ट्रीय मानवाधिकार की टीम ने भी राज्य का दौरा किया,और एक रिपोर्ट तैयार की। मानवाधिकार आयोग ने यह रिपोर्ट कोलकाता हाई कोर्ट में दाखिल की और मामले की जांच किसी बाहरी एजेंसी से कराने के लिए कहा था।उच्च न्यायालय ने रिपोर्ट की जांच के बाद राज्य के खिलाफ रोष जताया। पश्चिम बंगाल सरकार की ओर से पैरवी कर रहे अभिषेक मनु सिंघवी ने मानवाधिकार आयोग के कुछ सदस्यों पर और इसकी रिपोर्ट पर सवाल उठाए थे।

बता दें कि,कलकत्ता उच्च न्यायालय की, कार्यवाहक चीफ जस्टिस राजेश बिंदल,न्यायमूर्ति हरीश टंडन, न्यायमूर्ति इंद्रप्रसन्ना मुखर्जी, न्यायमूर्ति सौमेन सेन और न्यायमूर्ति सुब्रत तालुकदार की एक बड़ी पीठ ने पिछले साल अगस्त में फैसला सुनाया था। कोलकाता हाईकोर्ट ने अपने आदेश में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की मांग पर मुहर लगाते हुए हत्या, सामूहिक दुष्कर्म और बलात्कार जैसी घटनाओं की जांच सीबीआई को सौंपी थी। वहीं दूसरी तरफ लूटपाट, तोड़फोड़, मारपीट, आगजनी जैसे मामलों की जांच के लिए एसआईटी गठित करने का निर्देश दिया था। अब सीबीआई को 21 मामलों में दुष्कर्म और यौन उत्पीड़न के कोई सबूत नहीं मिले हैं। उसने मामले एसआईटी को वापस लौटा दिए हैं।

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