22 की उम्र में बनीं IPS, 28 में दिया इस्तीफा, जानें कौन हैं बिहार की 'लेडी सिंघम' काम्या मिश्रा

kamya mishra
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अंकित सिंह । Apr 2 2025 7:02PM

अपने शानदार करियर के बावजूद, काम्या ने पारिवारिक कारणों का हवाला देते हुए अगस्त 2024 में आईपीएस से इस्तीफा देने का कठिन फैसला किया। उनका इस्तीफा शुरू में स्वीकार नहीं किया गया था, लेकिन अंततः इसे राष्ट्रपति से मंजूरी मिल गई।

बिहार की 'लेडी सिंघम' और आईपीएस अधिकारी काम्या मिश्रा का इस्तीफा राष्ट्रपति ने स्वीकार कर लिया है। एक साल पहले उन्होंने अपना इस्तीफा राष्ट्रपति को सौंप दिया था। तेजतर्रार और मजबूत कार्यशैली के लिए पहले भी सुर्खियाँ बटोर चुकीं काम्या के इस्तीफे ने कई लोगों को इस असाधारण अधिकारी के सफर के बारे में सोचने पर मजबूर कर दिया है। उन्होंने 2019 में 22 साल की छोटी उम्र में सिविल सेवा परीक्षा पास की थी। अब वह 28 की उम्र में उन्होंने इस्तीफा दे दिया है। 

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हालांकि, अपने शानदार करियर के बावजूद, काम्या ने पारिवारिक कारणों का हवाला देते हुए अगस्त 2024 में आईपीएस से इस्तीफा देने का कठिन फैसला किया। उनका इस्तीफा शुरू में स्वीकार नहीं किया गया था, लेकिन अंततः इसे राष्ट्रपति से मंजूरी मिल गई। काम्या मिश्रा के अपने करियर की बुलंदियों को छूने के बीच उनके इस्तीफे ने काफी चर्चाओं को जन्म दिया है। हालांकि उनके इस फैसले के पीछे की वजहें निजी हैं, लेकिन सूत्रों के हवाले से बताया कि उनके इस्तीफे का कारण पारिवारिक जिम्मेदारियां हैं। काम्या मिश्रा ने बिहार कैडर के 2021 बैच के आईपीएस अधिकारी अवधेश सरोज से शादी की है। 

कौन हैं काम्या मिश्रा

ओडिशा की रहने वाली काम्या मिश्रा एक बेहतरीन छात्रा थीं। 12वीं कक्षा में काम्या ने 98% अंक हासिल किए, जिसने उनके उल्लेखनीय शैक्षणिक करियर की नींव रखी। पढ़ाई के प्रति लेडी सिंघम की लगन ने उन्हें अपने पहले प्रयास में ही प्रतिष्ठित यूपीएससी परीक्षा पास करने में मदद की, जिससे उन्हें महज 22 साल की उम्र में आईपीएस में प्रतिष्ठित स्थान मिला। काम्या की शैक्षणिक उत्कृष्टता ने उन्हें हमेशा दूसरों से अलग रखा है। उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रसिद्ध लेडी श्री राम कॉलेज से स्नातक की पढ़ाई पूरी की। मिश्रा की कड़ी मेहनत और प्रतिभा ने उन्हें 2019 में यूपीएससी परीक्षा में 172वीं रैंक दिलाई, जिसने अंततः उन्हें भारतीय पुलिस सेवा में स्थान दिलाया।

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उन्हें शुरू में हिमाचल प्रदेश कैडर सौंपा गया था, और बाद में उन्हें बिहार कैडर में स्थानांतरित कर दिया गया। यहीं से उनकी पेशेवर यात्रा शुरू हुई, और राज्य ने उन्हें एक गतिशील और सक्षम अधिकारी की प्रतिष्ठा दी। अब वह अपने तेज निर्णय लेने और प्रभावी नेतृत्व कौशल के लिए प्रसिद्ध थीं। उनके उत्थान को युवाओं, खासकर महिलाओं के लिए आशा की किरण के रूप में देखा गया, जो सार्वजनिक सेवा में बदलाव लाने की आकांक्षा रखते हैं। 

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