राहत कार्य के दौरान लाभार्थियों के चेहरे की तस्वीर खिंचने से बचे अधिकारी: सीआरपीएफ
सीआरपीएफ ने हाल में अपने सभी क्षेत्र इकाइयों को भेजे संदेश में कहा कि देशभर में नागरिकों की मदद की तस्वीर जांच के लिहाज से खींचना जरूरी है लेकिन तस्वीर में लाभार्थी के चेहरे से बचना चाहिए।
नयी दिल्ली। केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) ने अपनी सभी क्षेत्र इकाइयों को निर्देश दिया है कि कोविड-19 महमारी की वजह से चलाए जा रहे राहत कार्य के दौरान अधिकारी और जवान लाभार्थियों के साथ नजदीक से तस्वीर खिंचवाने से बचें और परेशान लाभार्थियों की निजता का सम्मान करें। बल यह निर्देश सोशल मीडिया पर लोगों को आवश्यक सामग्री देने के दौरान नजदीक से खींची गई तस्वीरों की बाढ़ आने के बाद दिया है। सीआरपीएफ ने हाल में अपने सभी क्षेत्र इकाइयों को भेजे संदेश में कहा कि देशभर में नागरिकों की मदद की तस्वीर जांच के लिहाज से खींचना जरूरी है लेकिन तस्वीर में लाभार्थी के चेहरे से बचना चाहिए। सीआरपीएफ द्वारा दिए गए निर्देश की प्रति के मुताबिक, ‘‘यह हमेशा ध्यान रखें की कैमरे के केंद्र में काम होना चाहिए न कि सामग्री देने और प्राप्त करने वाला।’’
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बल ने कहा, ‘‘इसलिए इस मदद अभियान में लगे लोगों को नजदीक से तस्वीर लेने से बचना चाहिए, तस्वीर लेते समय इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि केंद्र में कार्य या गतिविधि होनी चाहिए ताकि लाभार्थी को ऐसा महसूस न हो कि उनकी निजता में घुसपैठ की जा रही है।’’ निर्देश में कहा गया कि तस्वीर खींचने का उद्देश्य दस्तावेजी सबूत के तौर पर जांच आदि के लिए होना चाहिए। वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘‘जरूरतमंदों की मदद का महान कार्य केवल तस्वीर खिंचवाने का मौका नहीं बन जाए बल्कि संकटग्रस्त, फंसे, भूखे और गरीब की वास्तविक मदद हो इसलिए यह निर्देश जारी किया गया है।’’ उल्लेखनीय है कि तीन लाख 25 हजार जवानों के साथ सीआरपीएफ देश का सबसे बड़ा अर्धसैनिक बल है। बल ने 40 दिनों के लॉकडाउन के दौरान अपने क्षेत्र इकाइयों को जरूरतमंदों को खाना आदि की मदद पहुंचाने का निर्देश दिया है।
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