आपदा से निपटने के पुख्ता इंतजामों से लैस है अटल टनल रोहतांग --वन टच बटन दबाकर व्यक्ति सीधे जुड़ जाता है कंट्रोल रूम के साथ

Atal Tunnel Rohtang

उपायुक्त लाहौल-स्पीति नीरज कुमार द्वारा टनल के भीतर के सुरक्षा फीचर के अलावा दोनों छोरों को जोड़ने वाली सड़क व वाहन चालकों को विशेषकर बर्फबारी के बाद ग्लेशियर खिसकने से होने वाले नुकसान से बचने के उपायों को लेकर बीआरओ के अधिकारियों से की गई अहम बैठक के बाद बीआरओ ने आपदा व सुरक्षा के विभिन्न पहलुओं की जानकारी दी।

केलांग  समुद्र तल से 10 हजार फुट से अधिक की ऊंचाई पर निर्मित विश्व की सबसे लंबी अटल टनल रोहतांग इन्जीनियरिंग के बेजोड़ कमाल का नमूना तो है ही साथ ही ये किसी भी आपदा से निपटने के लिए पुख्ता इंतजामों से भी लैस है। 9.02 किलोमीटर लंबी डबल लेन वाली टनल में से होकर गुजरने वालों के लिए कई सुविधाएं हैं। इनमें आपदा से बचाव का भी लाजवाब मैकेनिज्म मौजूद है।

 

उपायुक्त लाहौल-स्पीति नीरज कुमार द्वारा टनल के भीतर के सुरक्षा फीचर के अलावा दोनों छोरों को जोड़ने वाली सड़क व वाहन चालकों को विशेषकर बर्फबारी के बाद ग्लेशियर खिसकने से होने वाले नुकसान से बचने के उपायों को लेकर बीआरओ के अधिकारियों से की गई अहम बैठक के बाद बीआरओ ने आपदा  व सुरक्षा के विभिन्न पहलुओं की जानकारी दी। उपायुक्त ने भी इस बात की जरुरत पर जोर दिया कि पर्यटकों के साथ -साथ स्थानीय लोगों को भी इस व्यवस्था की जानकारी रहनी चाहिए ताकि वे किसी तरह की समस्या से घिरने पर स्वयं भी अपना बचाव कर सकने में सक्षम हो सकें।

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बीआरओ के चीफ इन्जीनियर वीके सिंह ने कहा कि अटल टनल रोहतांग और इसके मुहाने तक जाने वाली सड़क पूरी तरह से सुरक्षित है।बीआरओ कुछ अन्य योजनाओं पर भी काम कर रहा है जो आने वाले समय में इस महत्वपूर्ण टनल को नए आयाम देगा। लेफ्टिनेंट कर्नल सन्नी ने टनल के सुरक्षा फीचर की व्यवहारिक जानकारी देते हुए बताया कि टनल के भीतर हर 150 मीटर के फासले पर स्वतः खुलने वाले एमर्जेंसी इग्रेस डोर स्थापित किए गए हैं। कोई भी व्यक्ति इसका दरवाजा खोल कर कंट्रोल रूम तक अपनी बात पहुंचा सकता है। त्वरित कम्युनिकेशन की इस व्यवस्था में फोन और वन टच पैनिक बटन से सीधे कंट्रोल रूम बात होती है। बटन दबाते ही कंट्रोल रूम से तुरंत संपर्क होगा। कंट्रोल रूम अत्याधुनिक कैमरे की मदद से आपदा से राहत लेने वालों को ऑडियो व वीडियो दोनों माध्यमों से देख व सुन सकता है और इसी के आधार पर  पैट्रोलिंग टीम उनकी मदद के लिए रेस्पोंड करेगी। ये व्यवस्था चौबीसों घंटे काम करती है जो रेडियो कम्युनिकेशन पर आधारित है। यानि मोबाईल नेटवर्क फेल होने की सूरत में भी नेटवर्क काम करता रहेगा।

 

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इसी एमर्जेंसी इग्रेस डोर से एस्केप टनल का रास्ता भी खुलता है जो मुख्य टनल के ठीक नीचे बनी है। लेफ्टिनेंट कर्नल सन्नी बताते हैं कि मुख्य टनल के क्षतिग्रस्त होने की सूरत में एस्केप टनल फंसे हुए लोगों को निकालने का वैकल्पिक माध्यम बनाया गया है।जिसका एक छोर नॉर्थ जबकि दूसरा साउथ पोर्टल में खुलता है।

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एस्केप टनल में बाकायदा हरेक एमर्जेंसी इग्रेस डोर के नीचे दोनों छोरों की दूरी दर्शाने वाले बोर्ड लगाए गए हैं। व्यक्ति जान सकता है कि किस छोर की दूरी यहां से कितनी है। स्वचालित उपकरणों से वैन्टीलेशन भी बरकरार रहता है।

मुख्य टनल में आपदा के दौरान अग्नि शमन के लिए भी बेहतरीन सुविधा जोड़ी गई है। फायर फाइटिंग सिस्टम में स्वचालित प्रेशर रहने से व्यक्ति वाहन में आग लगने की परिस्थिति में स्वयं भी आग बुझा सकता है। सीसीटीवी कैमरों से निगरानी बनी रहती है। इसके अलावा जगह-जगह पर गति सीमा दर्शाने वाले डिजिटल बोर्ड वाहन चालकों को स्पीड नियंत्रित रखने की चेतावनी देते हैं।

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