अयोध्या के सरयू नदी में विसर्जित की गई पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह की अस्थियां
सत्य प्रकाश । Sep 9 2021 5:54PM
पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह के पुत्र राजवीर सिंह ने कहा कि बाबू जी ने जिस राममंदिर निर्माण का सपना देखा था, आज वह साकार हो रहा है। यहीं उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि है। उन्होंने कहा बाबू जी दर्शन के लिये यहां आना चाहते थे लेकिन ऐसा हो नहीं सका।
अयोध्या। राममंदिर आंदोलन के नायक व पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह की अस्थियों को सरयू घाट पर विसर्जित कर उन्हें नमन किया गया। इस दौरान अयोध्या के साधु-संतों, भाजपा नेताओं सहित स्थानीय लोगों उनकी आत्मा की शांति के लिये प्रार्थना की। स्व. कल्याण सिंह के पुत्र राजवीर सिंह ने कहा कि बाबू जी ने जिस राममंदिर निर्माण का सपना देखा था, आज वह साकार हो रहा है। यहीं उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि है। उन्होंने कहा बाबू जी दर्शन के लिये यहां आना चाहते थे लेकिन ऐसा हो नहीं सका। लेकिन आज उनकी अस्थियों को पवित्र सरयू में विसर्जित कर उनके लिये प्रार्थना की गई कि ईश्वर उनकी आत्मा को अपने श्री चरणों ने स्थान दें।
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दोपहर बाद जैसे ही स्व.कल्याण सिंह अस्थि कलश यात्रा अयोध्या पहुंची, वैसे ही जय श्री राम व बाबू जी अमर रहे के नारों से पूरी अयोध्या गूंज उठी। स्व. कल्याण सिंह को श्रद्धांजलि देने के लिए राम की पैड़ी पर श्रद्धांजलि सभा का भी आयोजन किया गया था जिसमें अयोध्या जनपद के सभी जनप्रतिनिधि व साधु संतों के अलावा स्थानीय लोगों ने अस्थि कलश पर पुष्पांजलि अर्पित कर उन्हें नमन किया। स्व. कल्याण सिंह के पौत्र संदीप सिंह ने कहा कि बाबू जी का जो भी अधूरा सपना है, उसे परिवार के लोग और कार्यकर्ता मिलकर पूरा करेंगे।
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वहीं अयोध्या के साधु-संतों ने उन्हें नमन कर श्रद्धांजलि अर्पित की। साधु संतों ने कहा कि अयोध्या के सरयू तट पर उनकी अस्थियों को विसर्जित उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि दी गई। तपस्वी छावनी के संत परमहंस दास ने कहा बाबू जी एक सच्चे रामभक्त थे, जिन्होंने रामकाज के लिये अपने पद का त्याग कर दिया लेकिन अपने दृढ़ संकल्प से हटे नहीं, ऐसे रामभक्त का जाना हम सभी लोगों के लिये क्षति है। वहीं हनुमानगढ़ी के मुख्यपूजारी राजूदास ने कहा कि बाबू जी के सपना अब पूरा हो रहा है, जिसकी खुशी तो बहुत है, लेकिन दुख इस बात का है जब राममंदिर बनकर तैयार होगा तो बाबू जी हम सब के बीच नहीं होंगे। उन्होंने कहा बाबू जी ने राममंदिर आंदोलन के लिये जो त्याग किया है, उसे कभी भुलाया नहीं जा सकता।
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