फारूक, उमर समेत इन प्रमुख नेताओं को अब तक किया गया रिहा

Omar Abdullah

सुरक्षा कारणों से जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्रियों फारूक अब्दुल्ला, उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती को भी नजरबंद कर दिया गया था। हालांकि, फारूक अब्दुल्ला और उमर अब्दुल्ला को रिहा कर दिया गया था।

श्रीनगर। एक देश एक संविधान का सपना 5 अगस्त 2019 को पूरा हो गया। जम्मू कश्मीर आर्टिकल 370 से आजाद हो गया। मगर प्रदेश को आर्टिकल 370 से आजाद कराने के लिए केंद्र सरकार को काफी मशक्कत करनी पड़ी। प्रदेश के नेताओं को नजरबंद करना पड़ा। उन पर जन सुरक्षा कानून यानी की पीएसए लगाना पड़ा। हालांकि, हालात जैसे-जैसे सामान्य होते गए नेताओं को ठीक वैसे-वैसे रिहा कर दिया गया। लेकिन अभी भी घाटी के बहुत से प्रमुख नेता अपने घरो में कैद हैं।

सुरक्षा कारणों से जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्रियों फारूक अब्दुल्ला, उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती को भी नजरबंद कर दिया गया था। हालांकि, फारूक अब्दुल्ला और उमर अब्दुल्ला को रिहा कर दिया गया था जबकि महबूबा मुफ्ती अभी भी नजरबंद हैं। 

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13 मार्च को फारूक अब्दुल्ला को मिली थी रिहाई

नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष एवं जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला को मार्च में रिहा कर दिया गया था। रिहाई के साथ ही उन्होंने अपने बेटे उमर अब्दुल्ला से मिलने की इच्छा जताई थी। जिसके बाद जम्मू कश्मीर प्रशासन ने उन्हें श्रीनगर के उप जेल में उमर अब्दुल्ला से मिलने की अनुमति दी थी। इस दौरान दोनों ने करीब एक घंटे तक बातचीत की थी।

232 दिनों बाद रिहा हुए थे उमर अब्दुल्ला

नजरबंदी के दौरान उमर अब्दुल्ला की एक तस्वीर सोशल मीडिया में काफी ज्यादा वायरल हुई। जिसमें उनकी बड़ी-बड़ी दाढ़ी दिखाई दे रही थी। इस दौरान उनकी रिहाई की मांग उठने लगी थी। हालांकि, सरकार ने 232 दिनों की नजरबंदी के बाद उमर अब्दुल्ला को रिहा कर दिया था। रिहा होने के बाद उमर अब्दुल्ला ने ट्वीट में लिखा था कि 5 अगस्त, 2019 को आर्टिकल 370 को निरस्त किए जाने के समय से यह दुनिया काफी अलग है। इसके अतिरिक्त उन्होंने पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती समेत राज्य के अन्य नेताओं की रिहाई की मांग की थी। 

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जेल जाना कोई नया नहीं

5 अगस्त से पहले प्रदेश के हजारों लोगों को नजरबंद कर दिया गया या फिर उनकी गिरफ्तारियां हुईं। हालांकि, नजरबंदी का कोई भी औपचारिक डाटा साझा नहीं किया गया है। जब प्रदेश के हालात सामान्य होने लगे तो एक-एक करके नेताओं को रिहा किया जाने लगा। अब तक मुख्यधारा के बहुत से नेताओं को रिहा कर दिया गया है। करीब एक साल बाद जम्मू कश्मीर पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष सज्जाद गनी लोन को 31 जुलाई के दिन रिहाई मिल गई। जिसके बाद लोन ने ट्विटर पर लिखा कि एक साल में पांच दिन कम रहने पर मुझे आधिकारिक तौर पर सूचित किया गया कि मैं अब स्वतंत्र व्यक्ति हूं। कितना कुछ बदल गया और मैं भी। जेल जाना कोई नया अनुभव नहीं है। उन्होंने आगे कहा कि इससे पहले वाले दौर कठोर और शारीरिक यातना वाले रहे थे लेकिन यह मनोवैज्ञानिक तौर पर परेशान करने वाला था। 

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अब तक जीए मीर, नूर मोहम्मद, अब्दुल जब्बार, बशीर अहमद मीर, जहूर अहमद मीर, यासिर रेशी, गुलाम नबी, पीडीपी नेता पीर मंसूर, सरताज मदनी, आईएएस से नेता बने शाह फैसल समेत बहुत से नेताओं को रिहा किया जा चुका है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, एक आंकड़ा बताता है कि अब तक जन सुरक्षा कानून (PSA) के तहत गिरफ्तार करीब 300 लोगों को रिहा किया जा चुका है। जबकि 144 नेता अभी भी नजरबंद हैं। मिली जानकारी के मुताबिक नेताओं को राजनीतिक बयानबाजी नहीं करने की शर्त पर रिहा किया गया है। हालांकि, अब ये देखना होगा कि आर्टिकल 370 को समाप्त हुए एक साल बीत चुका है लेकिन नजरबंद नेताओं को सरकार कब तक रिहा करती है।

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