Badrinath Temple पर Swami Prasad Maurya का बयान दर्शाता है कि सपा में हिंदू आस्था को ठेस पहुँचाने का प्रभार उनके ही जिम्मे है
हम आपको बता दें कि स्वामी प्रसाद मौर्य ने गुरुवार को लखनऊ में ज्ञानवापी मस्जिद मामले पर पत्रकारों द्वारा प्रतिक्रिया मांगे जाने पर कहा था कि बदरीनाथ मंदिर आठवीं सदी तक बौद्ध मठ था जिसे आदि शंकराचार्य ने हिंदू मंदिर में परिवर्तित किया था।
जब भी किसी पार्टी में किसी व्यक्ति को पदाधिकारी बनाया जाता है तो उसके जिम्मे पार्टी के हितों को आगे बढ़ाने के लिए कुछ काम सौंपा जाता है। लेकिन लगता है समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने स्वामी प्रसाद मौर्य को पार्टी महासचिव बनाकर उन्हें हिंदू आस्था को ठेस पहुँचाने का काम सौंपा है। ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं क्योंकि पहले स्वामी प्रसाद मौर्य ने श्रीरामचरितमानस का अपमान किया और अब वह भगवान बदरीनाथ के मंदिर को विवाद में घसीटने में लगे हुए हैं। दल बदल की राजनीति के उस्ताद स्वामी प्रसाद मौर्य को इतिहास और राजनीति का कितना अल्प-ज्ञान है यह उनकी बातों से परिलक्षित होता है। लेकिन जिस तरह से वह हिंदू आस्था को लगातार ठेस पहुँचाये जा रहे हैं और पार्टी की ओर से उन पर कोई कार्रवाई नहीं हो रही है, वह दर्शाता है कि स्वामी प्रसाद मौर्य के बयानों को उनके आलाकमान का समर्थन हासिल है।
क्या कहा स्वामी प्रसाद मौर्य ने?
हम आपको बता दें कि स्वामी प्रसाद मौर्य ने गुरुवार को लखनऊ में ज्ञानवापी मस्जिद मामले पर पत्रकारों द्वारा प्रतिक्रिया मांगे जाने पर कहा था कि बदरीनाथ मंदिर आठवीं सदी तक बौद्ध मठ था जिसे आदि शंकराचार्य ने हिंदू मंदिर में परिवर्तित किया था। अपने बयान पर राजनीतिक नेताओं से लेकर सोशल मीडिया उपयोक्ताओं की कड़ी प्रतिक्रिया के बाद मौर्य ने शुक्रवार को एक ट्वीट कर कहा कि अब उन्हें अपनी आस्था याद आ रही है तो क्या औरों की आस्था, आस्था नहीं है। मौर्य ने कहा, ‘‘आखिर मिर्ची लगी न, अब आस्था याद आ रही है। क्या औरों की आस्था, आस्था नहीं है?’’ सपा नेता ने कहा कि किसी की आस्था को चोट न पहुँचे, इसलिए उन्होंने कहा था कि 15 अगस्त, 1947 के दिन जिस भी धार्मिक स्थल की जो स्थिति थी, उसे यथास्थिति मानकर किसी भी विवाद से बचा जा सकता है। उन्होंने कहा, "अन्यथा, ऐतिहासिक सच स्वीकार करने के लिए तैयार रहना चाहिए। आठवीं शताब्दी तक बदरीनाथ बौद्ध मठ था, उसके बाद बदरीनाथ धाम हिन्दू तीर्थस्थल बनाया गया, यही सच है।"
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उत्तराखंड के मुख्यमंत्री की प्रतिक्रिया
दूसरी ओर, बदरीनाथ मंदिर को बौद्ध मठ बताने वाले सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य की कड़ी आलोचना करते हुए उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा है कि करोड़ों श्रद्धालुओं की आस्था के केंद्र पर इस तरह की टिप्पणी ‘‘दुर्भाग्यपूर्ण’’ है। मुख्यमंत्री धामी ने कहा है कि करोड़ों श्रद्धालुओं की आस्था के केंद्र भू-बैकुंठ श्री बदरीनाथ धाम पर मौर्य की टिप्पणी दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होंने कहा, "महागठबंधन के सदस्य के रूप में समाजवादी पार्टी (सपा) के एक नेता द्वारा दिया गया यह बयान कांग्रेस और उसके सहयोगियों की देश व धर्म विरोधी सोच को दर्शाता है। यह विचार इन दलों के अंदर सिमी और पीएफआई की विचारधारा के वर्चस्व को भी प्रकट करता है।"
सतपाल महाराज का निशाना
वहीं, उत्तराखंड के धर्मस्व एवं संस्कृति मंत्री सतपाल महाराज ने कहा कि मौर्य को सनातन धर्म की जानकारी नहीं है और वह इस तरह की बयानबाजी कर केवल खबरों में बने रहना चाहते हैं। महाराज ने कहा कि बदरीनाथ धाम में नर-नारायण ने तपस्या की थी। उन्होंने कहा, ‘‘उस वक्त महात्मा बुद्ध का जन्म भी नहीं हुआ था। इसलिए बदरीनाथ धाम को बौद्ध मठ बताना सरासर गलत है।’’ उन्होंने कहा कि मौर्य को यह भी पता होना चाहिए कि जब पहले नीति घाटी के जरिए उत्तराखंड में व्यापार होता था तो उस समय भगवान बदरीनाथ के लिए तिब्बत के मठों से भी चढ़ावा आता था। उन्होंने कहा कि बौद्ध मठों ने भी भगवान बदरी-विशाल की महिमा को माना है।
संतों की प्रतिक्रिया
इसके अलावा, अयोध्या स्थित प्रसिद्ध हनुमानगढ़ी मंदिर के महंत राजू दास ने स्वामी प्रसाद मौर्य की कड़ी आलोचना करते हुए कहा है कि उन्हें कुछ ज्ञान ही नहीं है और वह बेसिर पैर की बातें करते रहते हैं। उन्होंने कहा कि स्वामी प्रसाद मौर्य जिस तरह से लगातार सनातन धर्म का अपमान कर रहे हैं उसको देखते हुए अखिलेश यादव को सख्त कार्रवाई करनी चाहिए।
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