बिना मुस्लिमों के नहीं हो सकती अमरनाथ-वैष्णो देवी यात्रा, कांवड़ यात्रा वाले फरमान पर उमर अब्दुल्ला का आया ये बयान

omar abdullah
ANI
अभिनय आकाश । Jul 23 2024 6:42PM

नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष ने कहा कि अमरनाथ यात्री मुसलमानों के कंधों पर यात्रा करते हैं। जो लोग माता वैष्णो देवी के तीर्थयात्रियों को घोड़ों या पिठुओं (कुली) पर ले जाते हैं...वे किस धर्म के हैं?

उत्तर प्रदेश सरकार के विवादास्पद कांवर यात्रा आदेश पर सुप्रीम कोर्ट की अंतरिम रोक का स्वागत करते हुए, जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने मंगलवार को जानना चाहा कि क्या अमरनाथ और वैष्णो देवी तीर्थयात्रा भी मुसलमानों के बिना संभव होगी। अब्दुल्ला ने संवाददाताओं से कहा कि अगर (कांवड़ यात्रा) आदेश का मकसद मुसलमानों को दूर रखना है, तो भगवान के लिए, मुझे बताएं, जब (अमरनाथ) यात्रा यहां (जम्मू-कश्मीर) होती है...तो यह मुसलमानों के बिना संभव नहीं है। अपनी बात को विस्तार से बताते हुए उन्होंने माता वैष्णो देवी मंदिर में आने वाले श्रद्धालुओं का उदाहरण भी दिया। 

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नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष ने कहा कि अमरनाथ यात्री मुसलमानों के कंधों पर यात्रा करते हैं। जो लोग माता वैष्णो देवी के तीर्थयात्रियों को घोड़ों या पिठुओं (कुली) पर ले जाते हैं...वे किस धर्म के हैं? वहां, भाजपा धर्म नहीं देखती है। अब्दुल्ला की टिप्पणी सुप्रीम कोर्ट द्वारा 26 जुलाई तक भाजपा के नेतृत्व वाली उत्तर प्रदेश सरकार के व्यापक आलोचना वाले आदेश और उत्तराखंड और मध्य प्रदेश में जारी किए गए इसी तरह के निर्देशों पर रोक लगाने के एक दिन बाद आई है। पार्टी उत्तराखंड और मध्य प्रदेश दोनों पर शासन करती है। इसके निर्देश की भाजपा सहयोगियों ने भी आलोचना की, उत्तर प्रदेश ने वार्षिक कंवर तीर्थयात्रा के मार्गों पर भोजनालयों और खाद्य स्टालों को उनके मालिकों के नाम प्रदर्शित करने का आदेश दिया; विपक्ष ने आरोप लगाया कि भगवा पार्टी मुस्लिम समुदाय का 'आर्थिक बहिष्कार' करने की कोशिश कर रही है।

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सावन के पहले सोमवार को ही सुप्रीम कोर्ट ने ऐसा फैसला सुनाया जिसने लाखों कांवड़ियों को हैरान कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने योगी सरकार के एक बड़े फैसले पर रोक लगा दी। सुप्रीम कोर्ट ने 22 जुलाई को उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड सरकारों द्वारा पारित निर्देशों पर अंतरिम रोक लगा दी, जिसमें कहा गया था कि कांवड़ यात्रा मार्ग पर भोजनालयों को मालिकों के नाम प्रदर्शित करने होंगे। योगी का ये फैसला इसलिए आया था क्योंकि कई दुकान, ढाबे और होटल मिले जिनके नाम तो हिंदू थे लेकिन मालिक मुसलमान। ऐसे में सीएम योगी ने आदेश दिया कि सही नाम के साथ ही दुकान चलानी होगी। इस सख्ती के बाद कई दुकानों ने अपने असली नाम लगाए। योगी के इस फैसले से मुस्लिम नाराज हो गए, बुद्धिजीवि बौखला गए। योगी के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई। सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार के उस आदेश को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई की जिसमें कांवरिया मार्ग पर भोजनालयों को मालिकों के नाम प्रदर्शित करने के निर्देश दिए गए हैं।  सुप्रीम कोर्ट ने इस पर अंतरिम आदेश जारी करते हुए कहा कि दुकानदारों सिर्फ खाने का प्रकार बताने की जरूरत है। 

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