पाकिस्तानी फ्लैग उतार BLA ने फहरा दिया था अपना झंडा, क्या है बलूचियों के विद्रोह की कहानी और चीन को चिंता में डालने वाली मजीद ब्रिगेड
पाकिस्तान में हुए विस्फोट को बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी (बीएलए) की एक महिला फिदायीन ने अंजाम दिया है। बीएलए पाकिस्तान का एक उग्रवादी संगठन है, जिसका मकसद पाकिस्तान से बलूचिस्तान को आजाद कराना है। उनका कहना है कि पाकिस्तान सेना बलूचिस्तान में स्थानीय लोगों के साथ अमानवीय व्यवहार करती है।
मुझे जंगे - आज़ादी का मज़ा मालूम है, बलोचों पर ज़ुल्म की इंतेहा मालूम है,
मुझे ज़िंदगी भर पाकिस्तान में जीने की दुआ मत दो,
मुझे पाकिस्तान में इन साठ साल जीने की सज़ा मालूम है।
पाकिस्तान के क्राँतिकारी और व्यवस्था विरोधी कवि हबीब जालिब ने ये लाइनें लिखी थी। भारत और पाकिस्तान दोनों मुल्कों को एक साथ 1947 में आजादी मिली थी। लेकिन अपनी आजादी के 75वें साल में भी पाकिस्तान पूरी तरह से अशांत है। जिसके पीछे की वजह है वो खुद ही अपने देश में आतंकवाद को फलने-फूले देता है व कितनी दफा उसे खाद-पानी भी मुहैया कराता रहता है। ताकी उसका उपयोग वो भारत के खिलाफ कर सके। लेकिन वो कहावत तो आपने खूब सुनी होगी। डो औरों के लिए गड्ढा खोदते हैं वो एक दिन खुद ही गड्ढे में गिर जाते हैं। लेकिन एक और कहावत है अक्ल पर पत्थर पड़ा होना। पाकिस्तान के केस में दोनों ही कहावतें सटीक बैठती है। वो लगातार गड्ढे में गिरता रहता है लेकिन फिर भी उससे सीख नहीं लेता है। इन दिनों पाकिस्तान के एक प्रांत को लेकर खूब चर्चा हो रही है। साउथ वेस्ट एशिया का पाकिस्तानी प्रांत बलूचिस्तान जो पिछले सात दशकों से अपनी आजादी और अधिकारों के लिए लड़ रहा है और कई बार पाकिस्तान के अंदर हमलों को भी अंजाम देता रहा है। ऐसा ही कुछ बीती 26 अप्रैल को कराची ने जो कुछ भी देखा वो पाकिस्तान ने सपने में भी नहीं सोचा था वो हुआ। एक महिला बलूच सुसाइड बॉम्बर के हमले से तीन चीनी नागरिकों और उसके ड्राइवर की मौत हो गयी। वैसे तो पाकिस्तान के अत्याचारों से बलूच सालों से लड़ते आ रहे हैं। बलूचिस्तान पर पाकिस्तान और चीन के नाजायज कब्ज़े का बलूची महिला ने बारूदी जवाब दिया। ऐसे में आज के इस विश्लेषण में आपको इन शॉर्ट बताएंगे कि आखिर क्या है पाकिस्तान और बलूचिस्तान का मसला। इन शॉर्ट इसलिए क्योंकि इसके इतिहास से लेकर वर्तमान तक की कहानी को लेकर हमने एक विस्तृत एमआरआई स्कैन पहले ही किया हुआ है, जिसका लिंक आपको इस स्टोरी के डिस्क्रिप्शन में मिल जाएगा। आज हम इतिहास की मोटा-माटी बात बताते हुए आपको बलूच लिबरेशन आर्मी, इसके सुसाइड दस्ते मजीद ब्रिग्रेड के बारे में बताएंगे और इसके साथ ही चीनी नागरिक क्यों बलूचियों के निशाने पर है, इसके पीछे की स्टोरी से भी अवगत कराएंगे।
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क्या है पूरा मामला
पहले कहानी की शुरुआत वर्तमान परिदृश्य से करते हैं। 26 अप्रैल को पाकिस्तान के कराची यूनिवर्सिटी कैंपस में एक नकाबपोश महिला ने बम धमाके में एक वैन को उड़ा दिया। इस धमाके में सुसाइड बॉम्बर के अलावा चार लोगों की मौत हो गई। कराची यूनिवर्सिटी के पास हुए धमाके में मारे गए तीन चीन के नागरिक हैं। इस सुसाइड अटैक का सीसीटीवी वीडियो सामने आया है। जिसमें महिला सुसाइड बॉम्बर को साफ देखा जा सकता है। वीडियो यूनिवर्सिटी कैंपस का बताया जा रहा है। जहां महिला मानव बम सड़क के किनारे एक मोड़ पर घात लगाकर बस का इंतजार करती है और सीसीटीवी कैमरे की तरफ भी देखती है। तभी चीन के नागरिकों की वैन पास आ जाती है। ये महिला बस की तरफ बढ़ती है और इसके हाथों में रिमोट कंट्रोल होता है। सफेद रंग की वैन जब महिला के करीब पहुंचती है वो रिमोट का बटन दबा देती है और फिर धमाका होता है। महिला खुद भी मारी जाती है और उसके साथ चार अन्य लोगों की भी मौत हो जाती है।
दो बच्चों की मां क्यों बन गई मानव बम
शेरी बलूच नाम की ये सुसाइड बॉम्बर पहले एक टीचर थी। इसका ताल्लुक एक अच्छे परिवार से बताया जा रहा है। इसलिए ये सवाल उठ रहे हैं कि इतनी पढ़ी-लिखी महिला आखिर कैसे एक सुसाइड बॉम्बर बन गयी? शेरी बलोच ने ज्यूलॉजी में मास्टर्स की डिग्री ली थी। वो अल्लामा इकबाल यूनिवर्सिटी से एमबीए की पढ़ाई कर रही थी। शेरी बलोच के पति का नाम है हबीतान बशीर बलोच है और वह पेशे से डेंटिस्ट हैं। शेरी के पिता एक सरकारी कर्मचारी थे। पाकिस्तानी मीडिया में कई तरह के रिपोर्ट हैं जिसमें बताया गया है कि 2018 में पाकिस्तानी सेना के अभियान के दौरान उसके चचेरे भाई की हत्या कर दी गई थी। उसकी जमीन को चीन के प्रोजेक्ट के लिए दे दिया गया था। शायद इसी वजह से शेरी के मन में चीन के प्रति गुस्सा था और चीन के लोगों को ले जा रही मिनी बस को निशाना बनाया।
शेरी के पति का ट्वीट- शेरी जान, तुम्हारी निस्वार्थ काम ने मुझे निशब्द कर दिया। महरोच और मीर हसन को यह सोचकर बहुत गर्व होगा कि उनकी मां कितनी महान थी। तुम हमारे जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा बने रहोगे।
Shari Jan,your selfless act has left me speechless but I am also beaming with pride today.
— Habitan Bashir Baloch (@HabitanB) April 26, 2022
Mahroch and Meer Hassan will grow into very proud humans thinking what a great woman their mother https://t.co/xOmoIiBPEf will continue to remain an important part of our lives. pic.twitter.com/Gdh2vYXw7J
बलूच लिबरेशन का मकसद क्या है?
पाकिस्तान में हुए विस्फोट को बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी (बीएलए) की एक महिला फिदायीन ने अंजाम दिया है। बीएलए पाकिस्तान का एक उग्रवादी संगठन है, जिसका मकसद पाकिस्तान से बलूचिस्तान को आजाद कराना है। उनका कहना है कि पाकिस्तान सेना बलूचिस्तान में स्थानीय लोगों के साथ अमानवीय व्यवहार करती है। पाकिस्तान ने बीएलए को आतंकी संगठन घोषित कर रखा है। पाकिस्तान, भारत और अफगानिस्तान पर इस संगठन को सपोर्ट करने का आरोप लगाता रहा है। हालांकि भारत और अफगानिस्तान इस आरोप का विरोध करते रहे हैं। हालांकि बलूच लोग पाक के खिलाफ पूरी दुनिया में प्रदर्शन करते हैं।
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क्या है चीन के खिलाफ बानी मजिद ब्रिग्रेड?
पाकिस्तानी मीडिया के अनुसार शेरी पाकिस्तान की मस्जिद ब्रिगेड में दो साल पहले शामिल हुई थी। उसने खुद ही खतरनाक मजीद ब्रिगेड का हिस्सा बनने और खुद आत्मघाती दस्ते में शामिल होने की पेशकश की थी। उसे बीएलए ने दो बार फैसले पर सोचने के लिए कहा था। लेकिन शएरी अपने फैसले पर कायम रही। मजीद ब्रिगेड बलूच लिबरेशन आर्मी के एक स्पेशल विंग है। इस विंग को खास तौर पर आत्मघाती हमलों के लिए भी तैयार किया गया है। इसमें शामिल होने वालों को कठिन ट्रेनिंग लेनी पड़ती है। मजीद ब्रिगेड का उद्देश्य खुद को समाप्त कर दुश्मन को खास संदेश देना है। इसमें आम तौर पर युवाओं की भर्ती होती है। इसकी स्थापना साल 2011 में हुई थी। इसका नाम बलूचिस्तान के दो सगे भाइयों लांगो और मजीद के नाम पर रखा गया। दोनों भाई पाकिस्तान के खिलाफ लड़ते हुए मारे गए थे। उन्हें सम्मान देने के लिए ब्रिगेड का नाम मजीद ब्रिगेड रखा गया।
बलूच बच्चों को हेलीकॉप्टर से फेंक देती है पाक सेना!
2011 क्रिकेट अटैक में 10 से ज्यादा लोग मारे गए थे। बलूचियों का आरोप है कि पाकिस्तानी सेना विरोधियों के खिलाफ बड़ी निर्दयता से पेश आती है। उनका दमन किया जा रहा है। पाकिस्तानी सेना का काफी क्रूर चेहरा देखने को मिलता है। मीडिया रिपोर्ट में बलूची लोगों के दावे के आधार पर कहा गया है कि उनके लड़कों को पकड़ा जाता है, पुलिस कस्टडी में टॉर्चर किया जाता है, लॉकअप में मारा जाता है। कई ऐसे भी मामले सामने आए हैं जिनमें बलूची लोगों का कहना है कि उन्हें हेलीकॉप्टर में बैठाकर नीचे फेंक दिया जाता है। ताकी ये एक एक्सीडेंट लगे और पोस्टमार्टम में चोट का पता न चले।
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ग्वादर बंदरगाह और चीन
अक्सर ग्वादर बंदरगाह चर्चा में होता है। ये बंदरगाह बलूचिस्तान में ही है, जिसे चीन विकसित कर रहा है। यहां बलूच लोगों के लिए रोजगार के काफी अवसर हो सकते थे। लेकिव ऐसा नहीं हुआ। इस पूरे प्रोजेक्ट के लिए कुशल श्रमिक बुलाए गए और पूरा क्षेत्र चीन के नियंत्रण में आ गया। इस स्थिति के प्रति भी यहां के लोगों में जबरदस्त आक्रोश है। जिसके परिणाम स्वरूप समय-समय पर चीनियों पर यहां हमले होते रहते हैं। पाकिस्तान की जनता देश में चीन की मौजूदगी और उसके बेल्ट एंड रोड परियोजना से काफी परेशान हैं। दरअसल, पाकिस्तान के ग्वादर में चीन की परियोजनाओं की वजह से जगह-जगह पर अनावश्यक चौकियां बनाई गई है। ग्वादर को कांटेदार बाड़ से घेर दिया गया है। ग्वादर में बलूची लोगों को प्रवेश करने के लिए ठीक उसी तरह से परमिट लेने की जरूरच पड़ रही है जिस तरह से एक देश से दूसरे देश में जाने के लिए वीजा की आवश्यकता होती है। यह प्रदर्शन ग्वादर में चीन की बढ़ती मौजूदगी के विरूद्ध असंतोष का हिस्सा है। ग्वादर बंदरगाह 60 अरब डॉलर की चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा परियोजना (सीपीईसी) का अहम हिस्सा है। गौरतलब है कि ग्वादर बंदरगाह का उद्धाटन सबसे पहले 2002 में हुआ था। जब इसे चीन और पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर (सीपीईसी) परियोजना का हिस्सा बनाया गया। तब फिर से इसका उद्घाटन हुआ। ग्वादर के लोगों से वादा किया गया था कि इस परियोजना से उनकी और पाकिस्तान की जनता की जिंदगी बदल जाएगी। लेकिन वर्तमान दौर में आलम ये है कि यहां पानी और बिजली की भारी किल्लत हो गई है और अवैध मछली पकड़ने से आजीविका पर खतरा आ गया है। जिसकी वजह से यहां के लोगों का जीना मुश्किल हो गया है। 1950 के दशक में ओमान के शासक ने ग्वादर बंदरगाह का मालिकाना हक भारत को देने की पेशकश की तो नेहरू ने बंदरगाह का स्वामित्व लेने से इनकार कर दिया। इसके बाद 1958 में ओमान ने ग्वादर बंदरगाह को पाकिस्तान को सौंपा।
पाक का झंडा उतार बीएलए ने अपना झंडा लहरा दिया था
पाकिस्तान की एक ऐतिहासिक जगह मानी जाती है काय-ए-आजम रेसीडेंसी। ये वो जगह है जहां मोहम्मद अली जिन्ना ने अपने जीवन के आखिरी दिन बिताए थे। 15 जून 2013 को इस बिल्डिंग पर रॉकेट दागे गए थे जिसके बाद इमारत ध्वस्त हो गई थी। इसकी जिम्मेदारी बीएलए ने ली थी। बलूच विद्रोहियों ने स्मारक स्थल से पाकिस्तान का झंडा हटाकर बीएलए का झंडा लगा दिया था। बाद में इस इमारत का फिर से निर्माण कराया गया। 14 अगस्त 2014 को पाकिस्तान के तत्कालीन पीएम नवाज शरीफ के लिए रेसीडेंसी को खोला गया था।
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बलूचिस्तान का मसला
मीर खान ने स्थानीय मुस्लिम लीग और राष्ट्रीय मुस्लिम लीग दोनों को भारी वित्तीय मदद दी और मुहम्मद अली जिन्ना को कलात राज्य का कानूनी सलाहकार बना लिया। जिन्ना की सलाह पर यार खान 4 अगस्त 1947 को राजी हो गया कि ‘कलात राज्य 5 अगस्त 1947 को आजाद हो जाएगा और उसकी 1938 की स्थिति बहाल हो जाएगी।’ सी दिन पाकिस्तानी संघ से एक समझौते पर दस्तखत हुए। अनुच्छेद 4 के इसी बात का फायदा उठाकर पाकिस्तान ने कलात के खान को 15 अगस्त 1947 को एक फरेबी और फंसाने वाली आजादी देकर 4 महीने के भीतर यह समझौता तोड़कर 27 मार्च 1948 को उस पर औपचारिक कब्जा कर लिया। पाकिस्तान ने बलूचिस्तान के बचे 3 प्रांतों को भी जबरन पाकिस्तान में मिला लिया था। साल 1959 में बलोच नेता नौरोज़ ख़ाँ ने इस शर्त पर हथियार डाले थे कि पाकिस्तान की सरकार अपनी वन यूनिट योजना को वापस ले लेगी। लेकिन पाकिस्तान की सरकार ने उनके हथियार डालने के बाद उनके बेटों सहित कई समर्थकों को फ़ांसी पर चढ़ा दिया। 1974 में जनरल टिक्का ख़ाँ के नेतृत्व में पाकिस्तानी सेना ने मिराज और एफ़-86 युद्धक विमानों के ज़रिए बलूचिस्तान के इलाकों पर बम गिराए। यहाँ तक कि ईरान के शाह ने अपने कोबरा हेलिकॉप्टर भेज कर बलोच विद्रोहियों के इलाकों पर बमबारी कराई। 26 अगस्त, 2006 को जनरल परवेज़ मुशर्ऱफ़ के शासन काल में बलोच आँदोलन के नेता नवाब अकबर बुग्ती को सेना ने उनकी गुफ़ा में घेर कर मार डाला। 1948 से लेकर आज तक बलूच का विद्रोह जारी है। बलूच का मानना है कि वो पूर्व में एक स्वतंत्र राष्ट्र थे और सामाजिक और सांस्कृतिक रूप से वो एक अलग पहचान रखते है। पाकिस्तान ने कलात के खान से बंदूक की नोंक पर विलय करवाया। आज बलूचिस्तान में हजारों बलूच लड़ाके पाकिस्तानी सेना के खिलाफ लड़ रहे हैं।
-अभिनय आकाश
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