सेमीकंडक्टर बनाएंगे, अच्छे दिन आएंगे! चीन का धंधा हो जाएगा चौपट, कैसे औद्योगिक क्रांति 4.0 की गवाह बन रही दुनिया?

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Prabhasakshi
अभिनय आकाश । Jul 29 2023 3:08PM

सेमीकॉन इंडिया सम्मेलन के बाद अब इस बात की प्रबल संभावना है कि भारत का चिप मिशन तेजी से रफ्तार पकड़ने वाला है। ऐसे में आइए जानते हैं कि औद्योगिक क्रांति 4.0 की कहानी, सेमीकॉन इंडिया से किन कंपनियों को कितना निवेश मिल सकता है। इससे चीन का धंधा कैसे चौपट हो सकता है।

गांधीनगर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सेमीकॉन इंडिया सम्मेलन को संबोधित किया। भारत के इस मिशन से भारत के सेमीकंडक्टर मिशन में क्रांति आएगी। कई भारतीय और विदेशी कंपनियों के साथ-साथ स्टार्ट-अप भी भारत की इस क्रांति का हिस्सा बनने जा रहे हैं। सेमीकंडक्टर मिशन को लॉन्च करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि 21वीं सदी के भारत में हर किसी के लिए अवसरों की भरमार है और भारत कभी किसी को निराश नहीं करता। इस मिशन से भारत के सेमीकंडक्टर सेक्टर में इंवेस्टरमेंट को बढ़ाया जाएगा। हाल ही में जब ताइवान की कंपनी फॉक्सकान ने वेदांता के साथ डील तोड़ी तो एक लगा कि भारत के चिप मिशन पर पानी फिर गया। लेकिन सेमीकॉन इंडिया सम्मेलन के बाद अब इस बात की प्रबल संभावना है कि भारत का चिप मिशन तेजी से रफ्तार पकड़ने वाला है। ऐसे में आइए जानते हैं कि औद्योगिक क्रांति 4.0 की कहानी, सेमीकॉन इंडिया से किन कंपनियों को कितना निवेश मिल सकता है। इससे चीन का धंधा कैसे चौपट हो सकता है। 

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पूरी दुनिया को नचाने वाली इस चिप में क्या है?

सेमीकंडक्टर चिप को इलेक्ट्रॉनिक प्रॉडक्ट्स का दिल माना जाता है। स्मार्टफोन्स से लेकर कार, डेटा सेंटर्स, कम्प्यूटर्स, लैपटॉप, टैबलेट, स्मार्ट डेवाइसेज, वीकल्स, हाउसहोल्ड अप्लायंसेज, लाइफ सेविंग फार्मास्यूटिकल डिवाइसेज, एग्रीटेक, एटीएम और कई तरह के उत्पादों में इसका व्यापक इस्तेमाल होता है। चिप आर्टिफिशल इंटेलीजेंस, क्वांटम कम्प्यूटिंग, एडवांस्ड वायरलेस नेटवर्क्स, ब्लॉकचेन एप्लिकेशंस, 5जी, आईओटी, ड्रोन, रोबोटिक्स, गेमिंग और वियरेबल जैसी एमजिंग टेक्नोलॉजीज का अहम हिस्सा हैं। यानी सेमीकंडक्टर चिप मॉडर्न कम्प्यूटेशन के बिल्डिंग ब्लॉक्स हैं। लेकिन चिप बनाने की प्रक्रिया बहुत जटिल है और यह कारोबार कई देशों तक फैला है। 

क्यों कहा जा रहा नए जमाने का ऑयल? 

सेमीकंडक्टर चिप को नए जमाने का ऑयल कहा जा रहा है। यही वजह है कि इस पर कब्जे को लेकर अमेरिका और चीन में ठनी हुई है। कोरोना काल में इसकी सप्लाई बाधित होने के कारण। दुनियाभर की कंपनियों को अरबों डॉलर की चपत लगी थी।

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भारत के लिए क्यों जरूरी है

देश की इकॉनमी के लिए अब जरूरी है कि सेमीकंडक्टर यहीं का आयात किया जाता है। साल 2025 तक इसका आयात 7.5 लाख करोड़ रुपये तक जा सकता है। देश में सेमीकंडक्टर का बनने लगेंगे तो आयात बिल कम होगा। फिर मार्केट में नौकरियां भी आएंगी। सेमीकंडक्टर बनाने की तकनीक भी भारत में आएंगी। फिलहाल सेमीकंडक्टर के लिए भारत पूरी तरह से चीन और ताइवान पर ही निर्भर है। ताइवान की कंपनी फॉक्सकॉन और वेदांता समूह के बीच भारत में पहले सेमीकंडक्टर प्लांट का करार जिस तरह से टूटा है, उससे भारत को बड़ा झटका लगा है। इंटरनैशनल मार्केट में इससे अच्छा संदेश नहीं गया है। अब सरकार की पूरी कोशिश है कि जल्द ही इस क्षेत्र में काम शुरू कर दिया जाए। सरकार इस बात को अच्छी तरह से समझती है कि इस काम में जितनी देर होगी, उतना ही नुकसान बढ़ता चला जाएगा। फिर नुकसान की भरपाई इकॉनमी के लिए काफी महंगी साबित होगी।

सेमीकंडक्टर के भविष्य को लेकर आशावादी है फॉक्सकॉन 

फॉक्सकॉन ने कहा कि वह भारत में सेमीकंडक्टर मसौदे के भविष्य को लेकर आशावादी हैं। उन्होंने यह भी कहा कि ताइवान भारत का सबसे भरोसेमंद भागीदार है और रहेगा। फॉक्सकॉन के चेयरमैन यंग लियू ने यहां सेमीकॉन इंडिया 2023 सम्मेलन में कहा कि आइए साथ मिलकर यह काम करें। उन्होंने कहा, भारत में चिप के लिए एक परिवेश बनाना बहुत बड़ा काम है... जहां चाह है, वहां राह है। इस संबंध में भारत सरकार के दृढ़ संकल्प की सराहना करते हुए लियू ने देश की सेमीकंडक्टर यात्रा पर भरोसा जताया। 

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मोदी सरकार का आईटी कंपनी को 50% वाल ऑफर

देश में चिप मिशन जल्दी से आगे बढ़े इसलिए सरकार ने 2 साल पहले बेंगलुरु में हुए सेमीकॉन इंडिया कॉन्क्लेव में करीब 76 हजार करोड़ के इंसेंटिव देने की भी घोषणा करी थी। सरकार के इन्हीं प्रयासों के चलते वेदांता और फॉक्सकान का सेमीकंडक्टर बनाने का करार हुआ था। लेकिन हाल ही में दोनों के बीच की डील टूट गई। लेकिन सरकार हर हाल में देश में सेमीकंडक्टर का हब बनाने के लिए एक के बाद एक कदम उठा रही है। अब प्रौद्योगिकी कंपनियों को भारत में सेमीकंडक्टर विनिर्माण संयंत्र स्थापित करने के लिए 50 प्रतिशत वित्तीय सहायता मिलेगी। पीएम मोदी ने कहा कि भारत में सेमीकंडक्टर उद्योग तेजी से वृद्धि करेगा। एक साल पहले, लोग पूछते थे कि उन्हें भारत के सेमीकंडक्टर क्षेत्र में निवेश क्यों करना चाहिए, और अब वे ही पूछते हैं कि भारत में निवेश क्यों नहीं करना चाहिए। पीएम मोदी ने कहा कि आज दुनिया 'औद्योगिक क्रांति 4.0' की गवाह बन रही है। दुनिया जब भी ऐसी किसी औद्योगिक क्रांति से गुजरी है, तो उसका आधार क्षेत्र विशेष के लोगों की आकांक्षाएं रही हैं। पहली औद्योगिक क्रांति और अमेरिकी सपने के बीच भी यही संबंध देखा गया था। आज मैं चौथी औद्योगिक क्रांति और भारतीय आकांक्षाओं के बीच वही संबंध देखता हूं।

अमेरिका-चीन में तनातनी की वजह क्या है ?

चीन अमेरिका की चिप कंपनियों के लिए बड़ा मार्केट है। वहां बड़ी संख्या में ऐसे प्रॉडक्ट्स बनाए, जाते हैं जिनमें सेमीकंडक्टर यानी चिप का व्यापक इस्तेमाल होता है। दुनिया में सेमीकंडक्टर की कुल बिक्री में चीन का एक तिहाई योगदान है। कई कंपनियां तो अमेरिका में चिप बना रही हैं। लेकिन असेंबलिंग और टेस्टिंग के लिए चीन भेजा जाता है।

 

 

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