भारत की ही तरह डाइट पैटर्न को अगर अपना ले दुनिया तो जलवायु परिवर्तन में नहीं होगी वृद्धि, इंटरनेशनल रिपोर्ट में अमेरिका-ऑस्ट्रेलिया के खाना को क्यों बताया सबसे बेकार

 climate change
Prabhasakshi
अभिनय आकाश । Oct 11 2024 2:43PM

उत्तरी कैरोलिना के हिस्ट्री म्यूजियम ने अपने यहां 18वीं सदी के रसोईघर को संजोया। पुरानी कहावत है किसने कही नहीं पता कि किसी भी इंसान के दिल का रास्ता उसके पेट से होकर जाता है। यानी अगर अच्छा खाना मिल जाए तो फिर क्या कहना, मानो दिन ही बन जाता है। लेकिन क्या आपको पता है कि भारत के खान-पान को ग्लोबल रूप से सराहना मिली है।

आज के विश्लेषण की शुरुआत हैदराबाद के तेलंगाना की एक घटना से करेंगे। पुलिस कंट्रोल रूप में फोन की घंटी घनघना उठती है। फोन उठाने पर दूसरी तरफ से एक युवक शिकायती लहजे में कहता है कि उसकी मांग पर हरदम तपाक से लजीज खाना पका कर परोस देने वाली उसकी पत्नी आज बार-बार कहने पर भी उसे मटन करी बनाकर नहीं दे रही है। बार-बार फोन पर युवक की एक ही कहानी दोहराने के बाद झल्लाकर पुलिस उसके घर पहुंची और देखा कि वो नशे में ये कॉल कर रहा था। पुलिस उसे उठाकर थाने ले आई। जब सुबह युवक को होश आया तो माफी मांगने के बाद उसे छोड़ दिया गया। मतलब झायकेदार खाने की ऐसी तलब की नहीं मिलने पर पुलिस बुलाने की नौबत आ गई। खाना पकाने के पुराने चलन को समझने के लिए दुनियाभर में कोशिशें हुईं। इसी कड़ी में उत्तरी कैरोलिना के हिस्ट्री म्यूजियम ने अपने यहां 18वीं सदी के रसोईघर को संजोया। पुरानी कहावत है किसने कही नहीं पता कि किसी भी इंसान के दिल का रास्ता उसके पेट से होकर जाता है। यानी अगर अच्छा खाना मिल जाए तो फिर क्या कहना, मानो दिन ही बन जाता है। लेकिन क्या आपको पता है कि भारत के खान-पान को ग्लोबल रूप से सराहना मिली है। 

इसे भी पढ़ें: ASEAN सम्मेलन में पीएम मोदी का आज दूसरा दिन, तूफान मिल्टन और यागी को लेकर ब्लिंकन से मुलाकात में जताया दुख

क्या कहती है लिविंग प्लैनेट रिपोर्ट 

अगर आप शाकाहारियों की संख्या की बात करें तो आपको दुनिया में सबसे ज्यादा संख्या भारत में ही मिलेगी। अनुमानित आंकड़ों के आधार पर बताया जाता है कि भारत की आबादी का 25-30 प्रतिशत लोग शाकाहारी हैं। भारत में जो मांसाहार खाना खाते हैं, ऐसा नहीं है कि वो केवल और केवल मांस-मछली ही खाते हैं। यहां बड़े मात्रा में सब्जियां और प्लांट बेस्ड फूड उपयोग में लाया जाता है। फूड प्रोडक्शन और दीर्घकालिकता के लिहाज से देखें तो भारत इन मानकों पर एकदम खरा उतरता है। इसलिए आप देखोगे की वर्ल्ड वाइल्ड लाइफ फंड (डब्ल्यूडबल्यूएफ) की रिपोर्ट में भारत की  खाद्य उपभोग पैटर्न को बेहतरीन बताया गया है। लिविंग प्लैनेट रिपोर्ट की ओर से एक रिसर्च में के आधार पर ये रिपोर्ट सामने आई है, जिसमें कहा गया है कि भारत का खाद्य उपभोग पैटर्न दुनिया के सभी जी 20 देशों में सबसे ज्यादा स्थाई और पर्यावरण के अनुकूल है। 

भारत का खाद्य उपभोग पैटर्न 

डब्ल्यूडब्ल्यूएफ रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर दुनिया में हर कोई 2050 तक भारत की ही तरह ही खाद्य उपभोग पैटर्न को अपनाता है, तो हम भोजन से संबंधित ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन के लिए 1.5 डिग्री सेल्सियस जलवायु लक्ष्य को 263 प्रतिशत से अधिक कर देंगे। यह पृथ्वी और पृथ्वी के जलवायु के लिए सबसे कम नुकसानदायक होगा। वहीं भारत का बाजरा-केंद्रित आहार एक अपवाद के रूप में सामने आता है, देश को स्थिरता के लिए एक मॉडल के रूप में तैनात किया गया है। रिपोर्ट में चेतावनी देते हुए बताया गया है कि तो इन देशों में लगभग ढाई अरब लोग ओवरवेट हैं। वहीं, 890 मिलियन लोग मोटापे के शिकार हैं। यदि सभी देश भारत के उपभोग मॉडल का पालन करें, तो रिपोर्ट इस बात पर प्रकाश डालती है कि खाद्य उत्पादन को बनाए रखने के लिए 2050 तक एक से भी कम पृथ्वी (0.84) की आवश्यकता होगी। 

किस देश का कैसा खान पान

 भारत का खाद्य उपभोग पैटर्न दुनिया के सभी जी 20 देशों में सबसे ज्यादा स्थाई और पर्यावरण के अनुकूल है। इंडोनेशिया और चीन जी 20 अर्थव्यवस्थाओं में दूसरे स्थान पर हैं,  जिनका डाइट पैटर्न पर्यावरण के मुताबिक है। रिपोर्ट में अमेरिका, अर्जेंटीना और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों के डाइट पैटर्न को सबसे खराब रैंकिंग दी गई है। रिपोर्ट में भारत की स्थायी खपत की तुलना अर्जेंटीना से की गई है, जिसे 2050 तक अपने खाद्य उत्पादन पैटर्न को बनाए रखने के लिए सबसे अधिक पृथ्वी (7.4) की आवश्यकता होगी। इस बेंचमार्क पर खराब प्रदर्शन करने वाले अन्य देशों में ऑस्ट्रेलिया (6.8), संयुक्त राज्य अमेरिका (5.5), और शामिल हैं। ब्राज़ील (5.2). दूसरी ओर, इंडोनेशिया (0.9) भी बेहतर प्रदर्शन करने वाले देशों में से है, इसके बाद चीन (1.7), जापान (1.8), और सऊदी अरब (2) हैं।

इसे भी पढ़ें: Pakistan के इस इमाम ने ऐसा क्या कह दिया, भड़कते हुए इटली PM मेलोनी ने बोरिया-बिस्तर बांध दफा होने का दे दिया आदेश

मिलेट्स का कमाल

डब्ल्यूडब्ल्यूएफ रिपोर्ट राष्ट्रीय बाजरा अभियान के माध्यम से जलवायु-अनुरूप बाजरा को बढ़ावा देने के भारत के प्रयासों की सराहना करती है, जिसका उद्देश्य इन प्राचीन अनाजों की राष्ट्रीय खपत को बढ़ावा देना है। बाजरा बदलती जलवायु परिस्थितियों के लिए अत्यधिक अनुकूल है और पोषण का एक उत्कृष्ट स्रोत है। भारत मिलेट्स का दुनिया का सबसे बड़ा उत्पादक है, जो वैश्विक उत्पादन का लगभग 41% हिस्सा है। मिलेट्स की खपत को बढ़ावा देने के लिए सरकार की ओर से कई पहल की गई हैं, जिनमें राष्ट्रीय मिलेट अभियान, मिलेट मिशन, और ड्राउट मिटिगेशन प्रोजेक्ट शामिल हैं। मिलेट्स का सेवन भारत में लंबे समय से किया जाता रहा है। मिलेट्स का सेवन करने के लिए भारत में कई कैंपेन भी चलाए जा रहे हैं जिसमें लोगों को इसके फायदों के बारे में बताया जा रहा है।

We're now on WhatsApp. Click to join.
All the updates here:

अन्य न्यूज़