फिजिक्स नहीं बल्कि गणित में महारथ हासिल करना चाहते थे Stephen Hawking, 21 साल की उम्र में हो गए थे लाइलाज बीमारी से पीड़ित

Stephen Hawking
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Anoop Prajapati । Jan 8 2025 11:17AM

स्टीफन हॉकिंग का नाम आज की दुनिया में शायद की कोई हो जिसने नहीं सुना हो। वे किसी परिचय के मोहताज नहीं है। हॉकिंग ने व्हीलचेयर पर होने के बावजूद भी अपनी काबिलियत से दुनिया को गर्व करने के कई अवसर दिए है। अपनी शारीरिक परेशानियों से लड़ इन्होंने हर वो चीज को हासिल किया है।

स्टीफन हॉकिंग का नाम आज की दुनिया में शायद की कोई हो जिसने नहीं सुना हो। वे किसी परिचय के मोहताज नहीं है। हॉकिंग ने व्हीलचेयर पर होने के बावजूद भी अपनी काबिलियत से दुनिया को गर्व करने के कई अवसर दिए है। अपनी शारीरिक परेशानियों से लड़ इन्होंने हर वो चीज को हासिल किया है। लोग जिसकी सिर्फ कल्पना ही कर सकते हैं। उन्होंने ऐसी कई खोजें की है, जो नामुमकिन लगती थी। स्टीफन विलियम हॉकिंग ने दुनिया को अपने कई शोधों से बार बार चौंकाया।

वे इतने हिम्मत वाले थे कि डॉक्टरों द्वारा जिंदगी के दो साल बताए जाने के बाद उन्होंने अपनी मौत को कई बार धोखा दिया। स्टीफन का जन्म 8 जनवरी 1942 को इंग्लैंड के ऑक्सफोर्ड में हुआ था। बचपन से मेधावी स्टीफन ने सोच लिया था कि वह अंतरिक्ष वैज्ञानिक बनना चाहते थे। उन्होंने 20 वर्ष की आयु में कैंब्रिज कॉस्मोलॉजी विषय को शोध के लिए चुना और इस विषय पर पीएचडी भी की। 

कैसा था हॉकिंग का शुरुआती जीवन और शिक्षा

दुनिया के महान वैज्ञानिकों में से एक स्टीफन हॉकिंग का जन्म 8 जनवरी 1942 में इंग्लैंड में हुआ था। स्टीफन हॉकिंग के पिता के पिता का नाम फ्रेंक और उनकी माता का नाम इसोबेल था। जब हॉकिंग का जन्म हुआ था तब इनके पिता एक चिकित्सा शोधकर्ता थे और इनकी माता चिकित्सा अनुसंधान संस्थान में एक सचिव थीं। स्टीफन जब आठ साल के थे तब उनके परिवार सेंट अल्बान में रहने लगे और यहां के ही एक स्कूल में उनके पिता ने स्टीफन का एडमिशन करा दिया। अपनी स्कूली पढ़ाई करने के बाद स्टीफन ने ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में प्रवेश लिया और भौतिक विषय का अध्ययन किया।

ऐसा कहा जाता है कि गणित में स्टीफन को बेहद दिलचस्पी थी और वे मैथ्स विषय से ही आगे पढ़ना चाहते थे। लेकिन उस समय ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में गणित विषय नहीं था, इसीलिए उन्होंने फिजिक्स को चुना और फिजिक्स में प्रथम श्रेणी में डिग्री प्राप्त की। इसके बाद उन्होंने कैंब्रिज यूनिवर्सिटी से अपनी आगे की शिक्षा ग्रहण की और साल 1962 में कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी में डिपार्टमेंट ऑफ एप्लाइड मैथेमैटिक्स एंड थ्योरिटिकल फिजिकल (डीएएमटीपी) में ब्रह्माण्ड विज्ञान पर रिसर्च किया। शिक्षा के दम पर ही स्टीफन हॉकिंग ने इतनी ख्याति हासिल की।

स्टीफन हॉकिंग का साल 1963 में उनका स्वास्थ्य खराब होने लगा, जब उनकी आयु महज 21 साल की थी। उनकी बिगड़ती हालत को देख कर स्टीफन के पिता उन्हें अस्पताल ले गए और उनकी जांच कराई। तब यह पता चला कि स्टीफन हॉकिंग को एमियोट्रोफिक लेटरल स्क्लेरोसिस नाम की बीमारी है। इस बीमारी में शरीर के हिस्से धीरे-धीरे काम करना बंद कर देते है और इस बीमारी से छुटकारा पाने का कोई इलाज नहीं है। उन दिनों स्टीफन कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से अपनी पढ़ाई कर रहे थे। लेकिन उन्होंने अपने सपनों के बीच अपनी इस बीमारी को आड़े नहीं आने दिया और अपनी पढ़ाई को पूरा किया। इसके बाद साल 1965 में उन्होंने अपनी पीएचडी की डिग्री प्राप्त की। पीएचडी में इनके थीसिस का टॉपिक था,’प्रॉपर्टीज ऑफ एक्सपांडिंग यूनिवर्स’।

दिवंगत वैज्ञानिक स्टीफन हॉकिंग का करियर

कैंब्रिज यूनिवर्सिटी से स्टीफन हॉकिंग ने अपनी पढ़ाई पूरी की और बाद में इसी कॉलेज में एक शोधकर्ता के रूप में काम करने लगे। इन्होंने साल 1972 में डीएएमटीपी में एक सहायक शोधकर्ता के तौर पर अपनी सेवाएं दी। इसी दौरान स्टीफन ने पहली अकादमिक पुस्तक ‘द लाज स्केल स्ट्रक्चर ऑफ स्पेस-टाइम’ लिखी थी। साल 1974 में इनको रॉयल सोसायटी में शामिल किया गया। फिर 1977 में स्टीफन हॉकिंग ने गुरुत्वाकर्षण भौतिकी के प्रोफेसर के तौर पर काम किया। उसके बाद सन 1979 में उनकी नियुक्ति कैम्ब्रिज में गणित के लुकासियन प्रोफेसर के पद पर हुई। जिसे दुनिया के सर्वोच्च पदों में से एक माना जाता है। जहां स्टीफन हाकिंग ने 2006 तक काम किया।

प्रमुख रिसर्च

सिंगुलैरिटी का सिद्धांत

आइंस्टीन के गुरुत्वाकर्षण के सिद्धांत ने सिंगुलैरिटी के बारे में बताया,कि समय और स्पेस में किसी भी भारी पिंड के कारण जो झोल पड़ता है, वहीं गुरुत्वाकर्षण कहलाता है। हॉकिंग की शोध के दौरान पता लगा, दरअसल बिग-बैंग ब्लैक होल का उलटा पतन ही है।

ब्लैक होल का सिद्धांत 

इस सिद्धांत के अनुसार, ब्लैक होल की कुल सतह क्षेत्र कभी छोटा नहीं होता। इसे हॉकिंग एरिया थियोरेम के नाम से जानते है। ब्लैक होल का एक और सिद्धांत है “नो हेयर”थियोरम । जिसके अनुसार ब्लैक होल में विशेषताएं हो सकती है, उनका द्रव्यमान, कोणीय गति और चार्ज। जनवरी 1971 में, स्टीफन हॉकिंग ने “ब्लैक होल्स” नामक निबंध के लिए प्रतिष्ठित ग्रेविटी रिसर्च फाउंडेशन पुरस्कार जीता था।

ब्रह्मांड विज्ञान पर आधारित टॉप-डाउन थ्योरी

स्टीफन ने साल 2006 में थॉमस हर्टोग के साथ मिलकर एक सिद्धांत “टॉप डाउन कॉस्मोलॉजी” को प्रस्तावित किया जिसमें बताया कि ब्रह्मांड में एक अनूठी प्रारंभिक अवस्था नहीं थी, लेकिन कई संभावित प्रारंभिक स्थितियों की अतिपवित्रता शामिल थी। हॉकिंग कहते है कि ब्रह्मांड में गुरुत्वाकर्षण जैसी शक्ति है इसलिए वह नई नई रचनाएँ कर सकता है।

स्टीफन हॉकिंग को मिले को पुरस्कार और सम्मान

साल 1966 में स्टीफन हॉकिंग को एडम्स पुरस्कार दिया गया था। इसके बाद में इन्हें सन् 1975 में एडिंगटन पदक और साल 1976 में मैक्सवेल मेडल एंड प्राइज दिया गया। इनको सन् 1978 में अल्बर्ट आइंस्टीन मेडल भी दिया गया। सन् 1985 में आरएएस गोल्ड मेडल और 1987 डिराक मेडल ऑफ द इंस्टीट्यूट ऑफ फिजिकल भी प्रदान किया गया। इस महान वैज्ञानिक को सन् 1988 में वुल्फ पुरस्कार भी प्रदान किया गया था। इसके अलावा स्टीफन हॉकिंग को 2006 में कोप्ले मेडल,2009 में प्रेसिडेंटियल मेडल ऑफ फ्रीडम,2012 में फंडामेंटल फिजिक्स अवॉर एवं साल 2015 में बीबीवीए फाउंडेशन फ्रंटियर्स ऑफ नॉलेज अवार्ड दिया गया।

हाकिंग का निधन

76 वर्ष की आयु में 14 मार्च 2018 को स्टीफन हॉकिंग का निधन हो गया था।

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